Jan 2024_DA | Page 35

बिताती है जो भारी भेदभावपदूणमा और अपमानजन्क सामादज्क माहौल में सीखने ्के लिए संघर्ष ्करते हैं । हालांद्क सामादज्क ्कुरीतियों , गरीबिी और शोषण पर ्कई वृत्तदचत् हैं , हम बिहुत ्कम देखते हैं जो जाति पदानुकम ्का दचत्ण ्करते हैं जो मुखय रूप से हाशिए पर रहने वाले समदूहों ्की हिंसा और भेदभाव ्का ्कारण बिनते हैं । सटादलन ्के ्की इंडिया अनटचड ( 2007 ) दलित अदनषशचतताओं , सामादज्क बिदह््कार और बड़ी आबिादी ्के जीवित रहने ्की शोषण्कारी षस्दतयों ्को प्रदर्शित ्करने वाली पहली अचछी तरह से बिनाई गई लंबिी वृत्तचित्ों में से ए्क है ।
आनंद पटवर्धन ्की जय भीम ्कॉमरेड ( 2011 ) दो दश्कों ्की यात्ा और महारा्ट्र में दलित पैंथर्स आंदोलन ्के सदूक्म सामादज्क- सांस्ककृदत्क इतिहास ्को प्रसतुत ्करती है , जो इस युवा आंबिेड्करवादी समदूह ्के उत्ान और पतन ्का पता लगाती है । वृत्तदचत् निर्माताओं ्की ए्क नई पीढ़ी , विशेष रूप से दलित-बिहुजन
सामादज्क पृ््भदूदम से , इस ्ककृदत में महत्पदूणमा योगदान दे रही है , और इसने मुखयधारा ्के ्कलात्मक क्ेत् में डा . आंबिेड्कर ्के वयषकतत् और विचारों पर चर्चा ्को बिढ़ाया है । उदाहरण ्के लिए , जयोदत निशा ्की बिीआर आंबिेड्कर : नाउ एंड देन ( 2023 ) ए्क लंबिी फीचर-लंबिाई वाली डॉक्यूमेंट्री है जो भारत में दलित जीवन ्की दुर्दशा ्की पड़ताल ्करती है । निशा , ए्क बिहुजन-नारीवादी फिलम निर्माता , पितृसत्ता ्के खिलाफ लड़ाई ्के साथ जुड़े नयाय और स्मान ्के लिए चल रहे आंबिेड्करवादी संघर्ष ्को समझने ्के लिए ए्क नया दृष्टिकोण प्रदान ्करती है । सोमनाथ वाघमारे ्की चैतयभदूदम ( 2023 ) इस शैली ्के लिए ए्क उत्ककृ्ट अतिरिकत है , और यह बिताती है द्क ्कैसे मुंबिई में आंबिेड्कर ्के दाह संस्कार ्की जगह ्को अबि ए्क ऐतिहादस्क समार्क में बििल दिया गया है जो उन्के लाखों अनुयायियों ्को प्रेरित और संलनि ्करता है ।
इतने लंबिे समय त्क बिदह््कार ्के बिाद डा . आंबिेड्कर धीरे-धीरे लो्कदप्रय सिनेमा , टीवी और ओटीटी पलेटफामषों में प्रवेश ्कर रहे हैं , यह इस बिात ्की स्ी्ककृदत है द्क दलित-बिहुजन सांस्ककृदत्क मदूलयों ्को धीरे-धीरे मुखयधारा ्के मीडिया में ए्की्ककृत द्कया जा रहा है । अभी भी नवजात होने ्के बिावजदूि , इसमें फिलम उद्ोग ्के लो्कतंत्रीकरण ्के लिए बिातचीत शुरू ्करने और अदध्क आखयानों ्को अपनाने ्की क्मता है जो सामादज्क रूप से हाशिए पर रहने वाले समदूहों ्के प्रति संवेदनशील और समझदार हैं । डा . आंबिेड्कर ्का वयषकतत् मानवादध्कारों और सामादज्क नयाय ्के लिए वैश्विक आंदोलनों ्को प्रेरित ्करने ्की क्मता रखता है । इस्की ए्क स्ी्ककृदत हॉलीवुड दनिवेश्क एवा डुवर्नय ्की नई फिलम ओरिजिन ( 2023 , इसाबिेल विल्करसन ्की पुस्तक ्कासट पर आधारित ) में देखी गई है , जो डा . आंबिेड्कर ( गौरव पठानिया द्ारा अभिनीत ) ्को यहदूदियों ्के खिलाफ नसलीय भेदभाव और नफरत ्की समझ ्के लिए ए्क लिंचपिन ्के रूप में खोजती है । यह डा . आंबिेड्कर ्को अंतररा्ट्रीय िशमा्कों ्के सामने लाता है , पषशचम ्को दलित-बिहुजन आंदोलन और सामादज्क पदानुकम और जाति- आधारित हिंिदू वय्स्ा ्के खिलाफ लड़ाई में डा . आंबिेड्कर ्के योगदान से परिचित ्कराता है । सांस्ककृदत्क उद्ोग , विशेष रूप से सिनेमा , पारंपरर्क सामादज्क अभिजात वर्ग ्के प्रभुत् में रहा है , जो दबिना द्कसी प्रतिरोध ्के अपने सामादज्क और राजनीदत्क हितों ्की पदूदतमा ्करता है । हाशिए पर रहने वाले समदूह मनोरंजन ्के दनष्कय प्राप्तकर्ता हैं जो शायद ही उन्के जीवन या हितों ्के बिारे में बिात ्करते हैं । ऐसी वय्स्ा में लो्कतांत्रिक सुधार ्की आवश्यकता है । सकीन पर डा . आंबिेड्कर ्का उद्् और ए्क नवोदित दलित सिनेमा शैली ्के आगमन में ए्क नई और सामादज्क रूप से दज्मेिार सिनेमाई संस्ककृति लाने ्की क्मता है । इसमें फिलम उद्ोग ्को वासत् में लो्कतांत्रिक बिनाने ्की क्मता है ।
( साभार ) tuojh 2024 35