Jan 2024_DA | Page 31

हुआ । उनहोने ्कांग्ेस तथा महातमा गांधी ्की
अछूतोद्ार सम्बनधी ्कार्यप्रणाली ्की धज्जियां
उड़ाते हुए 1945 में ’’ ्कांग्ेस और गांधी जी ने अछूतों ्के लिए कया द्कया ” नाम्क पुस्तक ्के प्रथम पृ्् पर लिखा- ’’ हमारा मादल्क बिनने से तु्हे फायदा होगा पर तु्हारा दास बिनने से हमें कया फायदा हो स्कता है ।“ प्रदसद् इतिहास्कार सुमित सर्कार लिखते है द्क - ’’ इतिहास गवाह है द्क हरिजन आनिोलन ्का जनम ही दलित आनिोलन ्को िबिाने ्के लिए हुआ था लेद्कन समय ्के प्रवाह में दलित आनिोलन ने हरिजन आनिोलन ्के सामादज्क और धादममा्क प्र्ककृदत ्के मुद्ों ्को गौण सादबित ्करते हुए राजनीदत्क एवं आर्मा्क प्रतिनिधित् ्के सवालों पर अपने आनिोलन ्की दबिसात तैयार ्की । ए्क तरह से डा . अम्बेड्कर ्के आतमस्मान आनिोलन ने दलित वंचित समाज में ए्क चिंगारी ्का ्काम द्कया और इनमें राजनीदत्क चेतना पैदा ्की ।’’
सामादज्क हालात ्के विरोधाभास ्की वयाखया ्करते हुए डा . अम्बेड्कर ने संविधान सभा में ्कहा था द्क भारतीय समाज में दो बिातों ्का पदूणमातः अभाव है । इनमे से ए्क समानता है । सामादज्क क्ेत् में हमारे देश ्का समाज ्गवी्ककृत असमानता ्के सिद्ानत पर आधारित है , जिस्का अर्थ है ्कुछ लोगों ्के लिए उत्ान एवं अनयों ्की अवनति । आर्मा्क क्ेत् में हम देखते है द्क समाज ्के ्कुछ लोगों ्के पास
सामाजिक हालात के विरोधाभास की व्ाख्ा करते हुए डा . अम्बेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि भारतीय समाज में दो बातों का पूर्णतः अभाव है । इनमे से एक समानता है । सामाजिक क्ेत् में हमारे देश का समाज िगदीकृ त असमानता के सिद्ान्त पर आधारित है , जिसका अर्थ है कु छ लोगों के लिए उत्ान एवं अन्ों की अवनति । आर्थिक क्ेत् में हम देखते है कि समाज के कु छ लोगों के पास अथाह सम्पति है , जबकि दूसरी ओर असंख् लोग घोर दरिद्रता के शिकार है ।
अथाह स्पदत है , जबिद्क िदूसरी ओर असंखय लोग घोर दरिद्रता ्के दश्कार है । 26 जनवरी 1950 ्को हम लोग ए्क विरोधाभासी जीवन
में प्रवेश ्करने जा रहे है । राजनीति ्के क्ेत् में हमारे बिीच समानता होगी पर अपने सामादज्क एवं आर्मा्क जीवन में वर्तमान सामादज्क एवं आर्मा्क संरचना ्के चलते ए्क वयषकत ए्क मदूलय ्के सिद्ानत ्को अस्वीकार ्करना जारी रखेंगें । हम ्कबि त्क इस विरोधाभासी जीवन ्को जीते रहेगें , अपने सामादज्क और आर्मा्क जीवन में समानता ्को अस्वीकार ्करते रहेगें ।
भारतीय समाज ्के निम्नतम सोपान पर जीवन यापन ्करने वाले समुदाय ्की सामादज्क आर्मा्क समसयायों ्का जाति वय्स्ा से प्रतयक् सम्बनध है कयोंद्क यहीं वय्स्ा सामादज्क आर्मा्क संरचना एवं संसाधनों से जुड़ी है । ड़ा . आंबिेड्कर ने ्कहा था द्क दुनिया ्के अनय देशों में सामादज्क कांदतयां होती रही हैं पर भारत में ऐसी सामादज्क काषनत कयों नही हुई । इस्के लिए उनहोंने जाति प्रथा ्की बिुराईयों ्को दज्मेिार माना । हिन्दू धर्म ग्न्ों ने वर्ण और जाति वय्स्ा ्को ईश्रजनित माना और यह स्ादपत द्कया द्क मनु्य ्का भागय ईश्र ्के हाथ में हैं और ईश्र ्की अराधना ही उन्के जीवन ्को सफल बिना स्कती है । शोषण ्की इस वय्स्ा ने पदूरे समाज में निकम्मापन पैदा ्कर्के ए्क वर्ण एवं जाति विशेष ्को शोषण ्का लाइसेनस दे दिया । अबि यह हम सबि ्का दायित् है द्क इस शोषित वर्ग ्को भागय , भगवान , और भद््य ्के दश्कंजे से दन्काल्कर उन्को बिेहतर इंसान बिनने ्के लिए प्रेरित ्करें । ए्क और महत्पदूणमा बिात यह भी है द्क जबि दलितों ्की षस्ती ्का हम समाजशासत्ीय अधययन ्करते है तो इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं द्क दलित समुदाय सामादज्क अपमान , घुटन , एवं धृणा ्के प्रतिरोध में तथा अषसमता और आतमस्मान ्के लिए ऐसे धर्म ्को स्वीकार ्करता है , जहां उसे समता , बिंधुता व स्तंत्ता मिले । जिस तरह हिनिी ्का विपुल साहितय धममाग्न्ों ्की घटनाओं ्के आधार पर लिखा गया है , ठी्क उसी तरह अबि दलित विषय्क साहितय भी धर्म ्के मानव विरोधी पक्ों ्को दचदत्त ्कर्के सामादज्क जागरण ्का अभियान चला रहा है । �
tuojh 2024 31