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दलित चेतना के अग्िूत “ बाबा साहब ”

देवेन्द्र

संविधान अनय देशों ्के संविधानों से भिन्न है कयोंद्क यह भारतीय

सभी नागरर्कों ्के अदध्कारों ्की रक्ा ्करता है और उनहें नागरर्कों ्के रूप में अपने ्कतमावयों ्का बिोध ्कराता है । डा . भीमराव आंबिेड्कर इस संविधान ्को बिनाने ्के लिए प्रदसद् हैं और इस्के निर्माण में उन्की भदूदम्का अतुलय है । उन्के योगदान ्के बिारे में ्कई लोगों ने त्क्फ दिया , लेद्कन डा . आंबिेड्कर ्की भदूदम्का ्को न्कारा नहीं जा स्कता । उन्का जनम 14 अप्रैल , 1891 ्को हुआ था और उनहोंने जीवन भर भेदभाव ्का सामना द्कया । हालांद्क , उनहोंने ्कभी हार नहीं मानी और 32 दडदग्यां हासिल ्की ।
बिाबिासाहेबि आंबिेड्कर ्के विचारों ्की विभिन्न समदूहों ्के लोगों ्के बिीच अलग-अलग तरह से वयाखया ्की जा रही है । ्कुछ लोग सोचते हैं द्क उन्के विचार उन्के लिए विशेष रूप से प्रासंदग्क हैं कयोंद्क वे भारत में जाति वय्स्ा से प्रभावित हुए हैं । पहला उन्का अपना अनुभव , िदूसरा- महातमा ज्योतिबा फूले ्का सामादज्क आंदोलन तथा तीसरा-बिुदद्जम । डा . आंबिेड्कर ्के विचारों ्के इन सभी स्ोतों ्के मदूल में यह तरय है द्क वे अपनी जाति ्के ्कारण ए्क उतपीदड़त वयषकत थे , और उनहोंने जाति वय्स्ा ्को समापत ्करने ्के लिए संघर्ष द्कया । असपृशयता ्को समापत ्करने ्के अभियान में मुखय वयषकत महातमा गांधी ्के साथ उन्के इस विचार ्को ले्कर मतभेद थे द्क लोगों ्को दैवीय जाति वय्स्ा ्के बिजाय ए्क मानव देन ्के रूप में असपृशयता ्के खिलाफ लड़ना चाहिए । हालांद्क , अभियान में गांधीजी ्की भदूदम्का महत्पदूणमा होने ्के बिावजदूि , गांधीजी ्की जाति ्की दैवीय अवधारणा ्के प्रति आंबिेड्कर
्के कड़े विरोध ने दलितों ्के बिीच उन्के ्कई सम्मा्कों ्को जीत लिया ।
डा . आंबिेड्कर ्का मानना था द्क हिंिदू धर्म में जाति वय्स्ा भारत में ्कई समसयाओं ्की जड़ थी , और उनहोंने ्कहा द्क हिंिदू धर्म ्के लिए ए्क मिशनरी धर्म बिनना असंभव था कयोंद्क लोगों से उन्की जाति ्के आधार पर वय्हार द्कया जाता है । उनहोंने निम्न जातियों ्के लोगों ्के लिए बिौद् धर्म ्को ए्क उपयुकत धर्म ्के रूप में भी स्वीकार द्कया । इससे समय ्के साथ भारत ्के लो्कतंत् ्को मजबिदूत बिनाने में मदद मिली । ए्क प्रश्न यह भी उठता है और हम सभी ्को जानना भी चाहिए ्की डॉ आंबिेड्कर ने इसलाम , ईसाई या सिख धर्म ्के जगह बिौद् धर्म ही कयों चुना ?
डॉ आंबिेड्कर ्के मानदंडों ्के अनुसार बिौद् धर्म सबिसे अचछा धर्म है । उन्का मानना है द्क यह संपदूणमा मानव जाति ्के लिए सबिसे अदध्क लाभ्कारी धर्म है । बिौद् धर्म बिुद् ्की शिक्ाओं पर आधारित है और यह शांति , प्रेम और समझ ्के महत् पर जोर देता है । डा . आंबिेड्कर ्का मानना है द्क जीवन जीने और खुशी हासिल ्करने ्का यह सबिसे अचछा तरी्का है । डॉ आंबिेड्कर ्के मानदंडों ्के अनुसार हिंिदू धर्म ए्क अचछा धर्म है । उन्का मानना है द्क यह मानव प्र्ककृदत ्के साथ सबिसे अदध्क संगत धर्म है ।
हिंिदू धर्म वैदि्क साहितय ्की शिक्ाओं पर आधारित है , जो सैकड़ों साल पहले लिखा गया था । ऐसा माना जाता है द्क यह शिक्ाएं ब्रहांड
24 tuojh 2024