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्की सीढ़ी है ।
आज ्के युग ्की मांग है द्क हमें अपने अंतः्करण ्को विसतार देना होगा । हमारी चेतना ्का विसतार , देव से देश त्क , राम से रा्ट्र त्क होना चाहिए । हनुमान जी ्की भषकत , हनुमान जी ्की सेवा , हनुमान जी ्का समर्पण , यह ऐसे गुण हैं जिनहें हमें बिाहर नहीं खोजना पड़ता । प्रत्येक भारतीय में भषकत , सेवा और समर्पण ्के यह भाव , समर्थ-सक्म , भवय-दिवय भारत ्का आधार बिनेंगे । और यही तो है देव से देश और राम से रा्ट्र ्की चेतना ्का विसतार ! िदूर-सुिदूर जंगल में ्कुटिया में जीवन गुजारने वाली मेरी आदिवासी मां शबिरी ्का धयान आते ही , अप्रतिम विश्ास जागृत होता है । मां शबिरी तो ्कबिसे ्कहती थीं- राम आएंगे । प्रत्येक भारतीय में जनमा
यही विश्ास , समर्थ-सक्म , भवय-दिवय भारत ्का आधार बिनेगा । और यही तो है देव से देश और राम से रा्ट्र ्की चेतना ्का विसतार ! हम सबि जानते हैं द्क निषादराज ्की दमत्ता , सभी बिंधनों से परे है । निषादराज ्का राम ्के प्रति स्मोहन , प्रभु राम ्का निषादराज ्के लिए अपनापन द्कतना मौदल्क है । सबि अपने हैं , सभी समान हैं । प्रत्येक भारतीय में अपनत् ्की , बिंधुत् ्की यह भावना , समर्थ-सक्म , भवय-दिवय भारत ्का आधार बिनेगी । और यही तो है देव से देश और राम से रा्ट्र ्की चेतना ्का विसतार !
आज देश में निराशा ्के लिए रत्तीभर भी स्ान नहीं है । मैं तो बिहुत सामानय हदूं , मैं तो बिहुत छोटा हदूं , अगर ्कोई यह सोचता है , तो उसे गिलहरी ्के योगदान ्को याद ्करना चाहिए ।
गिलहरी ्का समरण ही हमें हमारी इस हिच्क ्को िदूर ्करेगा , हमें सिखाएगा द्क छोटे-बड़े हर प्रयास ्की अपनी ता्कत होती है , अपना योगदान होता है । और सबि्के प्रयास ्की यही भावना , समर्थ-सक्म , भवय-दिवय भारत ्का आधार बिनेगी । और यही तो है देव से देश और राम से रा्ट्र ्की चेतना ्का विसतार !
लं्कापति रावण , प्र्कांड ज्ञानी थे , अपार शषकत ्के धनी थे । लेद्कन जटायु जी ्की मदूलय निष्ा देखिए , वह महाबिली रावण से दभड़ गए । उनहें भी पता था द्क वह रावण ्को परासत नहीं ्कर पाएंगे । लेद्कन फिर भी उनहोंने रावण ्को चुनौती दी । ्कतमावय ्की यही परा्काष्ा समर्थ- सक्म , भवय-दिवय भारत ्का आधार है । और यही तो है , देव से देश और राम से रा्ट्र ्की
16 tuojh 2024