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श्ीराम से राष्ट्र की चेतना का विस्ार : नरेंद्र मोदी
आज हमारे राम आ गए हैं ! सदियों ्की प्रतीक्ा ्के बिाद हमारे राम आ गए हैं । सदियों ्का अभदूतपदू्मा धैर्य , अनगिनत बिदलिान , तयाग और तपसया ्के बिाद हमारे प्रभु राम आ गये हैं । इस शुभ घड़ी ्की आप सभी ्को , समसत देशवासियों ्को , बिहुत-बिहुत बिधाई । मैं अभी गर्भगृह में ईश्रीय चेतना ्का साक्ी बिन्कर आप्के सामने उपषस्त हुआ हदूँ । द्कतना ्कुछ ्कहने ्को है , लेद्कन ्कंठ अवरुद् है । मेरा शरीर अभी भी सपंदित है , चित्त अभी भी उस पल में लीन है । हमारे रामलला अबि टेंट में नहीं रहेंगे । हमारे रामलला अबि इस दिवय मंदिर में रहेंगे । मेरा पक्का विश्ास है , अपार श्रद्ा है द्क जो घटित हुआ है इस्की अनुभदूदत , देश ्के , विश् ्के , ्कोने-्कोने में रामभकतों ्को हो रही होगी । यह क्ण अलौद्क्क है । यह पल पद्त्तम है । यह माहौल , यह वातावरण , यह ऊर्जा , यह घड़ी , प्रभु श्रीराम ्का हम सबि पर आशीर्वाद है । 22 जनवरी , 2024 ्का ये सदूरज ए्क अद्भुत आभा ले्कर आया है । यह ए्क नए ्कालचक ्का उदगम है ।
हम सबि जानते हैं द्क जहां राम ्का ्काम होता है , वहां पवनपुत् हनुमान अवशय विराजमान होते हैं । इसलिए , मैं रामभकत हनुमान और हनुमानगढ़ी ्को भी प्रणाम ्करता हदूं । मैं माता जान्की , लक्मण जी , भरत-शत्ुघ्न , सबि्को नमन ्करता हदूं । मैं पावन अयोधया पुरी और पावन सरयदू ्को भी प्रणाम ्करता हदूं ।
त्ेता में राम आगमन पर तुलसीदास जी ने
लिखा है- प्रभु दबिलोद्क हरषे पुरबिासी । जनित वियोग दबिपति सबि नासी । अर्थात् , प्रभु ्का आगमन देख्कर ही सबि अयोधया्ासी , समग् देशवासी हर्ष से भर गए । लंबिे वियोग से जो आपत्ति आई थी , उस्का अंत हो गया । उस ्कालखंड में तो वह वियोग ्केवल 14 ्रषों ्का
था , तबि भी इतना असह्य था । इस युग में तो अयोधया और देशवासियों ने सैकड़ों ्रषों ्का वियोग सहा है । भारत ्के तो संविधान में , उस्की पहली प्रति में , भगवान राम विराजमान हैं । संविधान ्के अषसतत् में आने ्के बिाद भी दश्कों त्क प्रभु श्रीराम ्के अषसतत् ्को ले्कर ्कानदूनी
14 tuojh 2024