Jan 2023_DA | Page 40

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दलित राजनीति : सियासत पर भारी सरोकार

दलों के दायरे से बाहर आ रहे दलित अपने सवालों के जवाब तलाश रहा दलित समाज

अमित मुदगि

दो अप्ैि 2018 ...। एससरी-एसटरी एकट

में हुए बदलावों के खिलाफ दलित
सड़कों ्पर थे । देखते हरी देखते मसथकत ऐसरी बिगड़री कि ररीड़ बेकाबू हो गई । बवाल हुआ और देश भर में कई लोगों करी जान ििरी गई । ्यू्परी में ररी ्यहरी हुआ और मसथकत सामान्य होने में काफरी सम्य लगा । एक दलित चिंतक कहते हैं कि ्यह कोई अचानक आ्या उबाल नहीं था , बमलक अधिकारों को लेकर ररीतर हरी ररीतर सुलग रहे जवािामुखरी का विसफोट था । ्यहरी मसथकत आज ररी है । दलितों के मुद्े बरकरार हैं । चुनावरी ब्यार में कस्यासरी ्पार्टि्यां फिर से दलितों को लुभाने में जुटरी हैं । ्पर , अहम सवाल है कि दलित किधर जाएंगे ?
आरषिण और सुरषिा सरवोपरि मुद्ा
दलितों का बेहद अहम भावनातमक मुद्ा आरषिर करी सुरषिा है । वे चाहते हैं कि दूसररी जाकत्यों के लोग इसमें सेंध न लगाएं । जिस तरह क्पछड़ों करी 17 उ्प जाकत्यां एससरी का दर्जा ्पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहरी हैं , उसको लेकर दलितों का कहना है कि आरषिर का दा्यरा बढ़ाया जाना चाहिए । निजरी षिेत् में आरषिर करी मांग ररी लंबे सम्य से ििरी आ रहरी है । वहीं , बैकलॉग ्पूरा करने करी ररी मांग ्यदा-कदा जोर ्पकड़तरी हरी रहतरी है । बस्पा व
दूसरे कव्पषिरी दल इस मुद्े ्पर सत्ता पक्ष को घेरते रहे हैं । वहीं दूसरा सबसे बड़ा मुद्ा सुरषिा का है । दलित चिंतक सतरीश प्काश कहते हैं , दलित चाहते हैं कि कानून व्यवसथा बेहतर हो । क्योंकि , अ्पराध का शिकार ररी वे कहीं ज्यादा होते हैं । वे चाहते हैं कि बेरोजगाररी करी बात हो । प्शासनिक व्यवसथा में उनकरी सहभागिता बढ़े । जन कल्याणकाररी ्योजनाएं उन तक ्पहुंचंे , इसके लिए ्पारदशटी व्यवसथा ररी वे चाहते हैं । ररीम आमटी व आजाद समाज ्पाटटी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद इन सवालों को और ररी स्पष्ट कर देते हैं । वे कहते हैं , राजनरीकत करी बिसात ्पर दलितों को केवल मोहरा बना्या ग्या । समाज करी अन्य जाकत्यां जहां अ्पनरी हिससेदाररी के लिए लड़ रहरी हैं , वहीं दलित केवल रोटरी , क्पड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहा है । देश में हर साल लाखों बच्ों करी मौत कु्पोषण से होतरी है । सुरषिा दलितों के लिए एक बड़ा मुद्ा है । एनसरीआरबरी के आंकड़े बताते हैं कि दलितों के खिलाफ होने वाले अ्पराध में ररी उत्तर प्देश ्पहले ्पा्यदान ्पर है । साल 2020 में देश में दलितों के खिलाफ अ्पराध के कुल 50,291 मामले दर्ज हुए । इनमें से 12,714 मामले उत्तर प्देश के हैं । 2019 करी तुलना में दलितों के खिलाफ होने वाले अ्पराध का आंकड़ा ररी बढ़ा है ।
क्सयासी चेतना बढ़ी , बदलाव बाकी
सतरीश प्काश और चंद्रशेखर आजाद के सवाल अ्पनरी जगह जा्यज ररी हैं । ्ये सवाल आम दलित ्युवाओं को झकझोरते ररी हैं ।
40 tuojh 2023