बहरहाल , दलितों के वोट ्पर सबसे बड़ा दावा बस्पा करतरी रहरी है । इसका उसे फा्यदा ररी खूब मिला । जब-जब दलितों के साथ अन्य वर्ग के मतदाता साथ आए , तब-तब बस्पा मजबूत हुई । वर्ष 2007 के चुनाव में तो इस सोशल इंजरीकन्यरिंग ने कमाल दिखा्या और बस्पा करी ्पूर्ण बहुमत करी सरकार बनरी । बहरहाल दलित वोट बैंक के दम ्पर मा्यावतरी चार बार प्देश करी मुख्यमंत्री बनीं । ्पर , ्यह ररी उतना हरी सच है कि दलितों करी राजनरीकतक चेतना मजबूत हुई , लेकिन उनकरी आर्थिक मसथकत में खास बदलाव नहीं आ्या । बस्पा
संस्थापक कांशरीराम ने दलितों करी राजनरीकत में उभार को उनके उतथान के लिए जरूररी कदम बता्या था । कुछ इसरी तर्ज ्पर चंद्रशेखर आजाद ररी कहते हैं , दलितों को लोकतांकत्क ताकत अ्पने हाथ में लेनरी होगरी , तररी जमरीन ्पर बदलाव दिखेगा ।
आबादी के अनुपात में मिले भागीदारी
जहां तक सवाल कस्यासरी ताकत करी है तो दलित मतदाता किसरी ररी विधानसभा षिेत् में किसरी ररी चुनाव का ्परिणाम प्रावित कर सकने का माद्ा रखते हैं । ऐसा होता ररी रहा है , जब दलितों ने अ्पने दम ्पर चुनावरी ्परिणाम का रुख मोड़ कद्या । नरीकत आ्योग 2016 करी रर्पोर्ट करी रर्पोर्ट बतातरी है कि सबसे अधिक आबादरी वाले उत्तर प्देश में दलितों करी आबादरी कररीब 20 फरीसदरी है । वर्ष 2011 करी जनगणना के हिसाब से ्यू्परी में दलितों करी जनसंख्या 4
करोड़ 45 लाख 89 हजार 300 है । ्पर , अब तो ्यह संख्या और ररी बढ़ गई है । ्यहरी वजह है कि सररी दल इस वोटबैंक को ्पाने करी जुगत भिड़ाते रहते हैं । ्पर , एक हकरीकत ्यह ररी है कि 86 आरकषित सरीटों ्पर हरी दलितों को राजनरीकतक दल टिकट देते हैं । अन्य सरीटों ्पर
दलित उम्मीदवारों करी संख्या नगण्य हरी रहतरी है ।
परिणाम प्रभावित करने में सषिम दलित
वैसे तो दलितों में जाटव , कोररी , ्पासरी , धोबरी , वाल्मीकि आदि हैं , ्पर इनकरी 66 उ्प जाकत्यां हैं । इनमें सबसे ज्यादा जाटव व अन्य 56 प्कतशत हैं । ्पासरी 16 , धोबरी , कोररी और वाल्मीकि 15 प्कतशत , गोंड , धानुक , खटरीक 5 प्कतशत से ज्यादा हैं । आगरा , बिजनौर , सहारन्पुर , गोरख्पुर , आजमगढ़ , जौन्पुर , गाजरी्पुर में जाटव व अन्य का तगड़ा प्राव है , तो इसके अलावा हरदोई , रा्यबरेिरी , सरीता्पुर , इलाहाबाद षिेत् में ्पासरी जाति का काफरी प्राव है । सुलतान्पुर , बरेिरी , गाकज्याबाद आदि जिलों में धोबरी , कोररी , वाल्मीकि का प्राव है । बिजनौर में जाटवों के अलावा हिंदू जुलाहा जाति का ररी खासा वर्चसव है । ्यहरी कारण है कि इन षिेत्ों में सुरकषित सरीटों के अलावा अन्य सरीटों ्पर ररी दलित वोटों का अहम प्राव है ।
सही समय पर खुलेंगे पत्े
अन्य जाकत्यों करी तरह हरी ्यह ररी अहम रहा है कि दलितों के साथ जब तक दूसरे वगगों का समरीकरण फिट नहीं होता , तब तक वे किसरी ररी एक ्पाटटी करी चुनावरी नै्या आसानरी से ्पार नहीं लगा सकते हैं । ्यहरी कारण है कि सररी दल इस समरीकरण को तै्यार करने करी कोशिश में हैं । बस्पा सुप्रीमो मा्यावतरी दलितों के साथ ब्ाह्मण व मुमसिम समरीकरण साधना चाह रहरी हैं । भाज्पा ररी अ्पने समरीकरण ्पर काम कर रहरी है और कांग्रेस ने तो ्पंजाब में दलित को सरीएम बनाकर दलित कार्ड खेल हरी कद्या है । बस्पा के टूटे दलित कस्पहसालारों को अ्पने ्यहां लाकर स्पा ररी दलितों को लुभाने के लिए ्पूरा जोर लगाए है । ्पर , इन सब के बरीि बड़ा सवाल है कि दलितों के मन में क्या है ? वे किसके साथ खड़े होंगे ? दलितों के मन में चाहे जो ररी हो , ्पर एक िरीज साफ रहरी है कि वे अ्पने ्पत्ते कररी खोलते नहीं हैं ।
tuojh 2023 41