Jan 2023_DA | Page 37

गई , अप्ासंगिक , अप्ाककृकतक एवं अवमूल्यित हो चुकरी ऐसरी जड़ प्थाओं से है जो नाररी-अमसमता के साथ क्रूर मजाक करतरीआ्यरी हैं । इस प्कार के नाररी-जागरण एवं नाररी-मुमकत के मार्ग से स्वयं नारर्याँ ररी बाधक बन सकतरी हैं अथवा बनरी हुई हैं । अतः वैसरीनारर्यों करी मनोवृत्ति को ्पररष्ककृत कर उनमें वैचारिक एवं उद्ेश्य्पूर्ण उधव्भमुखरी क्रांतिकाररी चेतना भरने करी आवश्यकता है । सत्रीवादरीआनदोिन का उद्ेश्य सत्री को कमजोर बनाने वाले हरेक जरीवाणु से लड़ने के लिए होना चाहिए , चाहे वह जरीवाणु ्पुरुष प्ककृकत करी देन हो्या सत्री प्ककृकत करी । प्कसद्ध नाररीवादरी लेखिका जममेन ग्ररी्यर लिखतरी हैं – “ क्रांति के लिए जरूररी है कि मसत््याँ ्पूँजरीवादरी राज्य मेंउ्परोकतावादरी बनने से इंकार कर दें । ऐसा करके हरी वह स्बद्ध उद्ोगों को करारा झटका दे सकतरी हैं ।'' सत्रीवादरी आनदोिन के उद्ेश्य को अभिव्यकत करतरी हुई वरी . वरीरलक्मरी देवरी
कहतरी हैं – “ ्पुरुषोचित विचार ्पद्धति द्ारा जड़रीरूत चेतना ्पर आघात करना हरी इसका मुख्यउद्ेश्य हैI ” वासतव में सत्री लेखन में निम्न ्पॉच बातें प्मुखता से आतरी हैं : - १- मसत््यों करी ्परीड़ा्यें -२- मसत््यों करी महतवकांषिाएं ३-्परिवार तथा समाज का संघर्ष ४- रमकत रचना्यें ५- सत्रीवादरी रचना्यें । दलित लेखन करी आवश्यकता इसलिए महसूस हुई , क्योंकिंसामान्य लेखन ने दलित लेखन करी ्पूररी उ्पेषिा करी । उसरी प्कार दलित सत्री लेखन करी ररी उत्पत्ति होनरी आवश्यक थरी क्योंकि सामान्यसत्री लेखन में दलित सत्री का हित विलोक्पत था । सामान्य तौर ्पर ऐसा माना जाता है कि दलित सत्री लेखन ( विमर्श ररी ) चौतरफासंघर्ष करता है - सवर्ण समाज , ्परिवार , दलित ्पुरूष एवं सामान्य सत्री विमर्श आदि ।“ सत्री आनदोिन धनरी महिलाओं का कोरा वामगविास और न्यूज में बने रहने करी उनकरी साजिश नहीं है । ग्रासरूट सतर तक इसका विसतार है ”।
दलित महिला वर्ग करी एक दूसररी प्मुख समस्या ‘ दैहिक और लैंगिक शोषण ’ करी है जो सव-वर्ग में ररी है और ‘ सवर्णीय-वर्ग ’ करी तरफ
से ररी है अर्थात ‘ दोतरफ़ा शोषण ’। “ ज़रूरत इस बात करी है कि ्यथामसथकत से जूझने वाला हर व्यमकत आगे आ्ये और इस बात ्पर विचार करे कि दलित सत्री समाज करी ्पदसो्पानरी्य व्यवसथा में सबसे नरीिे रहरी है । वह तिहरा शोषण झेलतरी रहरी है- 1 . एक दलित होने के नाते , 2 . एक सत्री होने के नाते और 3 . एक मजदूर होने के नाते । दलित नाररी जाति , वर्ग और क्पतृसत्ता तरीनों के द्ारा शोषण का शिकार होतरी है . उसे औरत होने के कारण उसके समाज का ्पुरुष शोषित करता है , गररीब मजदूर होने के कारण भू सवामरी शोषित करता है और दलित होने के कारण उसे सवरगों द्ारा अ्पमान सहना ्पड़ता है ”। “ ततकाि समाधान हेतु इस देश में ्यकद आज सबसे बड़री कोई समस्या है तो वो है , देश के ्पच्चीस फरीसदरी दलितों और आदिवाकस्यों और अड़तािरीस फरीसदरी महिला आबादरी को वासतव में स्मान , संवैधानिक समानता , सुरषिा और हर षिेत् में ्पारदशटी न्या्य प्दान करना और ्यकद सबसे बड़ा कोई अ्पराध है तो वो दलितों-आदिवाकस्यों और मसत््यों को धर्म के नाम ्पर हर दिन अ्पमानित , शोषित और उत्परीकड़त कक्या जाना ।
tuojh 2023 37