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दलित विद्यालय करी ररी स्थापना करी । दलितों केअधिकारों के साथ-साथ दलितों करी कशषिा करी ररी ्पैरवरी करी । ज्योतिबा ने भारत में दलित आंदोलनों का सूत्रपात कक्या था लेकिन इसेसमाज करी मुख्यधारा से जोड़ने का काम बाबा साहब अ्बेडकर ने कक्या । एक बात और जिसका जिक्र किए बिना दलित आंदोलन करीबात बेमानरी होगरी वो है बौद्ध धर्म । ईसा ्पूर्व 600 ईसवरी में हरी बौदघ धर्म ने समाज के निचले तबकों के अधिकारों के लिए आवाज़उठाई । बुदघ ने इसके साथ हरी बौद्ध धर्म के जरिए एक सामाजिक और राजनरीकतक क्रांति लाने करी ररी ्पहल करी ।
लेकिन अब सम्य आ ग्या है करी दलित महिलाऒं को इन सररी षिेत्ों में अ्पना सथान निर्धारित करना चाहिए । घर का काम और रसोई घर करी चाकररी ररी जब सामाजिक उत्पादन का एक हिससा बनेंगे तररी मसत््यों करी चाकररी का
मूल्य होगा और जब तक ऐसा नहींहोगा , सत्री रसोई घर करी बाँदरी हरी रहेगरी । चूँकि मसत््याँ संतानोत्पत्ति द्ारा सामाजिक उत्पादन में भागरीदाररी कर रहरी हैं , इसलिए इस का्य्भको समाज के उत्पादक श्म के एक भाग के रू्प में मान्यता मिलनरी चाहिए । दलित महिलाऒं को इन षिेत्ों में उपस्थित असमानता , लिंगभेद ( ्यह ्यौन – भेद से अलग शबद है , जहाँ ्यौनभेद ‘ प्करवैज्ञानिकता ’ को प्दर्शित करता है वहीं लिंगभेद ‘ सांस्कृतिक गुणातमकता ’ को । ्पुरुषों करी वि्भमसवता इसरी लिंग भेद ्पर आधारित है ), अवसत्री्परकता ( ्यह नाररी घृणा के व्यवथित व्यवहारों को , नाररी के संसथानरीककृत – अधरीनरीकरण को , सररी प्कार के नाररी विरोधरी व्यवहारों को उदघाकटत करने वाला है ), और क्पतृ- सत्तातमकता ( ्पुरुषों को अधिमानता देने वािरी सांस्कृतिक व्यवसथा और ्पुरुषों के हाथो ताकत सौ्पने वािरी राजनैतिक व्यवसथा को उजागर
करतरी है ) का कड़ा विरोध करना चाहिए ्परंतु इसके लिए उनहे तार्किक चिंतन करना होगा । इस समस्या के मूल में जाकर हरी इसका समाधान ढूढ़ना होगा । और ्यह अब तररी होगा जब वे आर्थिक रू्प से सुदृढ़ व आतमकनर्भर हों । ज्यों – ज्यों वे ‘ सेलफ-इम्पाँवर ’ ( आतमशमकत-सं्पन्न ) होतरी जाएंगरी , वैसे – वैसे ्पुरुष-वर्ग का ‘ डॉमिनेसन ’ अर्थात ‘ सामनतवादरी मानसिकता ’ का दवाब कम होता जाएगा । इस सत्रीतववादरी आंदोलन मे दलित महिलाऒं को ईरान करी मानवाधिकार महिला का्य्भकर्ता ‘ नसररीन सौतदेव ’ का मार्ग अ्पनाना चाहिएI
“ नाररी शररीर के चंद वसत्ों को जला डालने से नाररी मुमकत नहीं हो जा्या करतरी , मुमकत मन करी होतरी है । सत्री को शव बनने से बचानेके लिए वैचारिक आनदोिन करी आवश्यकता है । उसे ्यह ख्याल रखना होगा कि उसकरी लड़ाई किसरी व्यमकत विशेष ्या वर्ग विशेष से नहींहै , थो्परी
36 tuojh 2023