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्यह ्याद रखना चाहिए . I
भारत आकर महातमा गांधरी ने अहमदाबाद के कोचरब में आश्म शुरू कक्या । ्यह तब करी बात है । समाज में छुआछुत का बड़ा जोर था । ठककरबा्पा ने एक बुनकर ्परिवार को गाँधरीजरी के आश्म में रहने के लिए भेजा । गांधरीजरी ने दुदाभाई नाम के उस बुनकर को स्परिवार आश्म मे रख लि्या । अहमदाबाद के सारे वैष्णव इतना गुससा हो गए कि आश्म को
हुआ , तब गांधरीजरी ने उनको आश्म में वा्पस लि्या । इस मामले में कसतूरबा को ररी भाररी आंतरिक संघर्ष से गुजरना ्पडा था । आखिर ्पकत के ्पुन्यकमवो में सहभागरी होने के अ्पने कर्तव्य को मानकर वे दुदाभाई ्परिवारका आश्म में रहना स्वीकार कर ्पाई ।
अस्पृश्यता को लेकर गांधरीजरी ्पर कई बार जानलेवा हमले हुए थे । जगन्नाथ्पुररी के मंदिर में प्वेश करने के सम्य उनकरी गाडरी ्पर
लिए फंड एककत्त करना नहीं भूलते थे ।
' मेरा जरीवन हरी मेरा संदेश ' कहनेवाले गांधरीजरी के अस्पृश्यतानिवारण-का्य्भ करी अवहेलना तो कोई मूढ़मति हरी कर सकता है । गांधरीजरी कहते थे कि अगर कोई सनातनरी ्यह सिद्ध कर देगा कि वेदों ने अस्पृश्यता को मान्यता दरी है तो वे वेदों को छोड देंगे ्पर अस्पृश्यता को नहीं छोड़ेंगेI 1931 में गांधरीजरी को ' अर्धनग्न फकरीर ' कहने वाले विनसटन चर्चिल ने ररी गांधरीजरी
आर्थिक मदद मिलना बंद हो ग्या । गांधरीजरी ने कहा कि आश्म नहीं चलेगा तो हम हरिजनवास में जाकर रहेंगे लेकिन दुदाभाई ्परिवार को आंच नहीं आने देंगे । दूसररी ओर आश्म के निवाकस्यों को ररी दुदाभाई ्परिवार का रहना खटक रहा था ।
गांधरीजरी जिनहें ' आश्म के प्ार ' कहा करते थे , उस मगनलाल गाँधरी करी ्पत्नरी संतोकबहन दुदाभाई ्परिवार के साथ रहना-खाना सह नहीं सकरी । इस ्पर गांधरीजरी ने अ्पने ्परम साथरी मगनभाई को आश्म छोड़ने कि सलाह दरी । मगनभाई बुनाई सरीखने मद्रास चले गए और छ : महरीने तक वहीं रहे । बाद में जब उनका ्परिवार दुदाभाई के साथ आश्म में रहने के लिए तै्यार
आक्रमण हुआ था । ्पूना में गांधरीजरी करी गाडरी ्पर बम फेंका ग्या था , उस सम्य उनकरी जान मुमशकि से बिरी थरी । महातमा गांधरी ने अस्पृश्यता निवारण के लिए देशभर में ्यात्ा करी थरी । जब दुसरे उ्पवास के कारण महातमा गाँधरी को जेल से जल्दी छोड़ा ग्या , तब उनहोंने जेल करी बाकरी सजा का ्पूरा साल कोई राजकरी्य प्वृत्ति न करते हुए हरिजन्यात्ा में गुजारा था । 1934 में उनहोंने हरिजन सेवक संघ करी स्थापना करी थरी जो आज तक हरिजनसेवा में रत है । इसरी सम्य गांधरीजरी ने अ्पने ्पत्ों के नाम ररी ' हरिजन ', ' हरिजनबंधु ' और ' हरिजनसेवक ' ऐसे कद्ये थे । जरीवन के अंत तक अनेक कार्यों के बरीि गाँधरी हरिजनों के
करी हरिजन सेवा करी प्शंसा करी थरी ।
हरिजनो को मंदिर-प्वेश , उनके लिए ्पाठशालाएं , कुएं और अन्य का्य्भ गांधरीजरी द्ारा दिए गए लोककशषिर के हरी ्परिणाम थे । इस लोककशषिर का ्परिणाम इतना जबरदसत आ्या कि सवतंत्ता मिलने के साथ हरी हमारे देश से कानूनन अस्पृश्यता निवारण हो ग्या । इंगिेंड जैसे लोकशाहरी राष्ट् ने महिलाओं को मताधिकार देने में सालों लगा्ये । अमरिका और अफ्रीका में श्यामवर्ण लोगों को समान अधिकार मिलने में ्परीकढ़्यां ििरी गई । लेकिन भारत में सवतंत्ता मिलने के साथ हरी अस्पृश्यता निवारण का कानून बन ग्या ्यह गांधरीजरी के लोककशषिर का हरी प्राव था । �
tuojh 2023 33