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महात्मा गाँधी और दलित कल्ार

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हातमा गाँधरी करी आतमकथा पढ़नेवाले रिरीरांति जानते है कि वे बि्पन से हरी अस्पृश्यता को नहीं मानते थे । उनका मानना था कि इनसान- इनसान के बरीि इतना भेद नहीं हो सकता है कि एक को स्पर्श करने से दूसरा भ्रष्ट हो जाता है ।
्यह स्वीकार करने को वह तै्यार हरी नहीं थे । इसलिए मातृभकत होने के बावजूद वे उकाभाई भंगरी को न छूने के अ्पनरी माँ के आदेश का ्पालन वह नहीं कर ्पाए थे । आतमकथा में दकषिण अफ्रीका में बनरी एक प्कसद्ध घटना का वर्णन है कि कसतूरबा ने जब एक अस्पृश्य किाक्फ का
्पॉट साफ करने से इनकार कक्या तो गांधरीजरी उनहें धमकाकर घर से निकाल देने ्पर आमादा हो ग्ये थे । पश्चिम में इस घटना का अर्थघटन ऐसा कक्या जाता है कि गांधरीजरी अ्पनरी ्पत्नरी के प्कत अन्या्य करनेवाले ्पुरुष थे । लेकिन उनके इस क्रोध के ्परीछे दलितों के प्कत प्ेम कछ्पा था ,
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