Jan 2023_DA | Page 29

पाठ्यक्रम का हिस्ा बनें देश के गुमनाम नायक

प्ण्य कुमार

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म्य सदा एक सा नहीं रहता । सत्य अंततः प्काशित होता है । छल-बल से आरोक्पत एवं प्रायोजित स्थापनाओं को जनसामान्य के गले उतारने करी कितनरी ररी कोशिशें क्यों न करी जाएं , वे लंबे कालखंड तक नहीं टिकतीं । अनुकूल अवसर एवं ्परिवेश ्पाते हरी देश के साथ नाभिनाल संबधों से जुड़ा उसका संतानवत समाज अ्पनरी मूल ्पहचान करी ओर कनमशित लौटता है । भारतरी्य समाज ररी इन दिनों अ्पनरी राष्ट्री्य एवं सांस्कृतिक अमसमता को लेकर सजग हुआ है । वह अ्पनरी ऐतिहासिक विरासत को संजोना चाहता है । वह लोक में प्कसद्ध ना्यकों- महाना्यकों के बारे में विसतार से जानना चाहता है ।
अकादमिक जगत और इतिहास करी ्पाठ्य- ्पुसतकों द्ारा उसके समषि अब तक जो इतिहास ्परोसा ग्या , उससे वह सहमत नहीं । उसे वह अधूरा , एकांगरी एवं औ्पकनवेशिक मानसिकता से ग्रसत ्पाता है । उसे इन ्पुसतकों में अ्पनरी संस्कृति , धर्म , ज्ञान-्परं्परा , लोक एवं साहित्य आदि के दर्शन नहीं होते , बमलक इनहें ्पढ़ने से हरीनभावना विकसित होतरी है । ्ये राष्ट्री्य विसमृकत एवं सवाकरमानशून्यता का संचार करते हैं । इनमें आक्रांताओं का ्यशोगा्यन तो खूब कक्या ग्या है , ्परंतु साहस एवं दृढ़ता के साथ उनका प्कतकार करने वाले देश के वरीर स्पूतों करी घनघोर उ्पेषिा करी गई है । इनमें ्पराज्य को हरी भारत करी कन्यकत सिद्ध करने करी कुचेष्टा करी गई है । जबकि दुकन्या जानतरी है कि ्यह एकमात् ऐसा देश है , जो अ्पनरी सनातन संस्कृति करी सत्यता को बनाए रखने में लगभग सफल रहा
भारतीय समाज भी इन दिनों अपनी राष्टीय एवं सांस्कृतिक अस्मिता को लेकर सजग हुआ है । वह अपनी ऐतिहासिक विरासत को संजोना चाहता है । वह लोक में प्रसिद्ध नायकों-महानायकों के बारे में विस्तार से जानना चाहता है ।
है ।
क्या कोई ्पराजित सभ्यता अ्पने जरीवनमूल्यों , आदशगों , ्परं्पराओं , मानबिंदुओं करी रषिा कर सकतरी थरी ? कदाक्प नहीं । सत्य ्यहरी है कि भारत का इतिहास ्पराज्य का नहीं , बमलक संघर्ष , शौ्य्भ एवं ्पराक्रम का है । देश का कोई ररी भूभाग ऐसा नहीं , जहां विदेशरी आक्रांताओं को निरा्पद शासन करने कद्या ग्या हो । हर कालखंड में इस देश में ऐसे महा्पुरुष हुए , जिनहोंने इन आक्रांताओं के विरुद्ध सवतंत्ता करी अलख जलाए रखरी और उनके दुर्बल ्पड़ते हरी अ्पने राज्य और प्जाजनों को उनके अन्या्य-अत्याचार से मुकत करा्या , ्परंतु दुर्भाग्य से कब्कटश इतिहासकारों ने इतिहास संबंधरी जो मिथ्या धारणाएं गढ़ीं , उसे निहित सवाथगों करी ्पूर्ति एवं छद्म ्पंथनिर्पेषितावादरी राजनरीकत के नाम ्पर सवतंत्ता के ्पशिात ररी निरंतर जाररी रखा ग्या ।
्यह सुखद है कि देश के अलग-अलग भूभागों से आने वाले जिन ना्यकों को षड्ंत््पूर्वक विसमृकत के गर्त में धकेल कद्या ग्या था , आजादरी के इस अमृत काल में केंद्र सरकार करी ्पहल से उनकरी चर्चा सामान्य जन के बरीि ्पुनः होने लगरी है । उनके प्कत और अधिक जानने करी आम जनों करी इचछा तरीव्र हुई है । चाहे ‘ मानगढ़ धाम करी गौरव गाथा ’ का्य्भक्रम के माध्यम से
ररीि समुदा्य से आने वाले महान सवतंत्ता- सेनानरी गोविंद गुरु को ्याद करने ्या बेंगलुरु शहर के संस्थापक नादरप्रु कें्पेगौड़ा करी 108 फरीट ऊंिरी कांस्य-प्कतमा का अनावरण करने ्या इसरी वर्ष जुलाई में आंध्प्देश के ररीमावरम में महान सवतंत्ता-सेनानरी अलिूररी सरीताराम राजू करी 125वीं ज्यंतरी ्पर वर्ष भर चलने वाले समारोह करी शुरुआत करने ्या जून में मुंबई राजभवन में ‘ क्रांति गाथा गैलररी ’ का शुभारंभ कर बासुदेव बलवंत फड़के , चाफेकर बंधु , बाल गंगाधर तिलक , वरीर सावरकर , बाबा राव सावरकर , क्रांतिगुरु लाहूजरी सालवे , अनंत लक्मर कानहेरे , ररीखाजरी कामा और राजगुरु जैसे क्रांतिकारर्यों करी समृकत को संजोने ्या रांिरी में भगवान बिरसा मुंडा समृकत उद्ान सह सवतंत्ता सेनानरी संग्रहाि्य का उदघाटन करने ्या बहराइच में महाराजा सुहेलदेव-समारक तथा ्पानरी्पत में ्पानरी्पत संग्राम संग्रहाि्य के शिलान्यास आदि करने करी बात हो-वर्तमान केंद्र सरकार अतरीत के इन गौरवशािरी व्यमकततवों के प्कत श्द्धावनत दिखाई देतरी है । ऐसे प्रयास जहां राष्ट्री्य चेतना का संचार करते हैं , वहीं इनसे ्युवाओं के ररीतर राष्ट् के प्कत गौरव , रमकत एवं कर्तव्य्परा्यरता करी भावना विकसित होतरी है ।
tuojh 2023 29