Jan 2023_DA | Page 25

कोर्ट में संविधान बेंच देतरी है । इस कोर्ट के एकमात् अशवेत जज थामस का रुख उग्र था । उनहोंने शैकषिक संसथाओं में ररी क्पछड़े वर्ग को आरषिर देने का विरोध कक्या । उनका कहना था कि अशवेत लोग आरषिर ्पर निर्भर होने के कारण कमजोर होते जा रहे हैं । उनहें केवल बराबर अवसर दिए जाने चाहिए । उनहें अ्पने
प्रयास से हरी आगे बढ़ना चाहिए ।
्पहला निष्कर्ष तो ्यहरी है कि क्पछड़े वगगों को प्ोतसाहन कशषिा में देना श्रेयसकर है । दो , कोई ररी सुविधा इतनरी ज्यादा नहीं दरी जानरी चाहिए कि व्यमकत सुविधा करी बैसाखरी ्पर निर्भर हो जाए । तरीसरा निष्कर्ष ्यह है कि क्पछड़े वर्ग के केवल उनहीं सदस्यों को ्यह सुविधा दरी जानरी चाहिए जो इसके अधिकाररी हैं । इन सररी बिंदुओं में प्मोशन में आरषिर ्पास नहीं होता है । आरषिर कशषिा में न देकर रोजगार में कद्या जाना है । क्पछड़े वगगों के ककम्भ्यों को आरषिर करी बैसाखरी ्पर निर्भर बना्या जा रहा है । सुविधा क्ररीमरी ले्यर को मिलेगरी । एक और समस्या है । मेरे दलित कमत् बताते हैं कि दलित अधिकारर्यों का दलितों के प्कत रुख ज्यादा हरी जरूर होता है । उनका प्रयास अ्पने को अ्पने कुनबे से अलग करके ऊंिरी जाकत्यों के साथ जोड़ने का होता है । अत : प्मोशन में आरषिर असफल है ।
फिर ररी मैं इस प्सताव का समर्थन करता हूं । कारण कि दलित देशवाकस्यों के मन में ्यह बात बैठ गई है कि उनके कुनबे के प्कत द्ेि रखा जाता है । उनकरी ्यह भावना समाज को विघटन करी ओर ले जाएगरी । अत : उनकरी सोच के खोखले्पन को समझाने के लिए उनकरी इस मांग को स्वीकार कर लेना चाहिए जैसे जिद करने ्पर बच्े करी मां उसे गरम दूध ्परीने देतरी है । जब जरीर जलतरी है तो बच्े को मां के विरोध का रहस्य समझ में आ जाता है । इसरी प्कार दलितों को ्यह आरषिर देकर उनका भ्रम दूर कर देना चाहिए । समाज को जोड़े रखना हमाररी प्ाथमिकता है । भारत ्पर मुगलों और अंग्रेजों ने विज्य इसरीकिए ्पाई थरी कि उनहोंने हमाररी एकता तोड़ने में काम्याबरी ्पाई थरी । ऐसा दोबारा नहीं होने देना चाहिए । शासन करी गुणवत्ता में जो ह्ास होता है उसे बर्दाशत कर लेना चाहिए । वोट बैंक का आरो्प ररी स्वीकार नहीं है । वोट बैंक का हरी नाम लोकतंत् है । हमारा प्रयास होना चाहिए कि दलितों को समझ आ जाए कि आरषिर से उनके कुनबे का भला नहीं होगा , बमलक उनके सदस्य ऊ्पर िढ़कर उन ्पर हरी अत्याचार करेंगे ।
एक और समस्या सरकाररी कर्मचारर्यों का शोषक चररत् है । देश के नेता जनविरोधरी नरीकत्यों को लागू करने को तत्पर हैं । जल , जंगल और जमरीन से गररीब का हित छरीना जा रहा है । उसे बरी्परीएल कार्ड धारक का अ्पमानजनक दर्जा कद्या जा रहा है । नेता और सरकाररी कमटी दलित समेत सं्पूर्ण जनता को लूट रहे हैं । अगर अनुसूचित जाति के लोग ्यह सोच रहे हैं कि सरकाररी सेवा में शामिल होने के साथ उनहें इस लूट में शामिल होने का मौका मिल जाएगा तो ्यह सहरी चिंतन नहीं है । इन स्थितियों में दलित बुद्धिजरीकव्यों ्पर विशेष कज्मेदाररी आ जातरी है । उनके द्ारा प्मोशन में आरषिर को उद्धार का रासता बताने ्पर ्पूरे दलित समाज का ध्यान मूल समस्या से भटक जाता है । ्यह विचित् है कि वे लूट में लगरी नौकरशाहरी के साथ मिल कर अ्पनों को हरी लूटने को दलितों का उद्धार बताने लग जाते हैं ।
दलितों करी मूल समस्या आर्थिक है । आर्थिक मसथकत मजबूत होतरी है तो व्यमकत अच्छी कशषिा और भोजन स्वयं हासिल कर लेता है । उसका दब्बूपन सवत : हरी समापत हो जाता है । जरूरत है दलितों के आतम स्मान को बढ़ाने करी । सुझाव है कि सफल दलितों करी जरीवकन्यों को लिखवाने और उनको टेिरीकवजन में प्सारित करने का काम हाथ में लेना चाहिए । दूसरे , दलितों के लिए श्ेष्ठतम सकूि करी फरीस सरकार के द्ारा भररी जानरी चाहिए । इंमगिश मरीकड्यम के प्ाइवेट सकूि करी फरीस आजकल 5,000 रु्प्ये प्कतमाह के लगभग है । ्यह रकम सरकार के द्ारा दरी जानरी चाहिए । तरीसरे , तमाम जनकल्याणकाररी ्योजनाओं को बंद करके इस राशि को देश के प्त्येक नागरिक को जरीवन के अधिकार के रू्प में देना चाहिए । देश के सररी नागरिकों को ्यह राशि देने से दलितों को ररी ्यह रकम सवत : मिल जाएगरी और उन ्पर ' दलित ' का ठप्पा ररी नहीं लगेगा । इन नरीकत्यों को लागू करने के साथ-साथ प्मोशन में आरषिर दे देना चाहिए जिससे भ्रम दूर हो तथा भटकाव समापत हो जाए ।
( साभार ) tuojh 2023 25