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डॉ . भरत झुनझुनवाला
दलितों के कल्ार की dsa
द्र सरकार में सचिव सतर ्पर अनुसूचित जाति के अफसरों करी संख्या नगण्य है । इस विसंगति को दूर करने के लिए सरकार ने सरकाररी नौकरर्यों में प्मोशन में आरषिर देने का निर्भ्य लि्या है । इस आरषिर से ऊंचे ्पदों ्पर अनुसूचित जाति के ककम्भ्यों करी ्पैठ बनने करी ्पूररी संभावना है । कवि्य है कि इससे आम दलित करी समस्या का हल होगा कि नहीं ? इस संबंध में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के एक निर्भ्य को समझना चाहिए । ्यूनिवर्सिटरी आफ मिशिगन द्ारा अशवेतों , हिस्पैनिकों एवं रेड इंकड्यनों को प्वेश में 20 अंक दिए जा रहे थे । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्पछड़े वर्ग को सुविधा देना उचित है , ्परंतु सररी व्यक्तियों को किसरी कोरे फार्मूले के अंतर्गत सुविधा नहीं दरी जा सकतरी है । कोर्ट ने कहा कि प्त्येक आवेदक करी व्यमकतगत मसथकत देखते हुए उनहें सुविधा दरी जाए । इस निर्भ्य का महतव है कि क्पछड़े वर्ग के क्ररीमरी ले्यर के आवेदकों को ्यह सुविधा नहीं दरी जानरी चाहिए । महतव ्यह ररी है कि आरषिर के सथान ्पर अंक दिए जाने चाहिए । ्यकद कटआफ 70 अंक ्पर है तो 50- 69 अंक ्पाने वाले अशवेत आवेदक को दाखिला दे कद्या जाएगा । 20 अंक देने के बाद ररी ्यकद ्प्या्भपत संख्या में क्पछड़े वर्ग को दाखिला नहीं मिलता है तो इसे स्वीकार कक्या जाए । आश्य है कि ऐतिहासिक अन्या्य को दूर करने के लिए एक सरीमा के आगे प्ा्यमशित नहीं कक्या जाता है जैसे किसरी ने गािरी दे दरी तो उसे आजरीवन बंधुआ मजदूर नहीं बना्या जाता ।
अमेरिकरी सुप्रीम कोर्ट में निर्भ्य सररी नौ न्या्याधरीशों द्ारा दिए जाते हैं , जैसे हमारे सुप्रीम
सकारात्मक राह
24 tuojh 2023