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जाति के विरुद्ध संघर्ष करने वाली महिला नेत्ी : जाईबाई चौधरी

सत्येंद्र सिंह

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लित समाज करी एक महान समाज-सुधारिका व लेखिका “ जाईबाई चौधररी ” का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा । उनका जनम “ महार ” जाति में सन् 1892 में नाग्पुर शहर से कररीब पन्द्रह किलोमरीटर दूर उमरेर में हुआ था । 1896 में अकाल ्पड़ने के कारण उनका ्परिवार नाग्पुर आ ग्या और वहीं उनहोंने अ्पनरी प्ाथमिक कशषिा ररी ्पूररी करी । सन् 1901 मे कम आ्यु में हरी उनकरी शादरी बा्पूजरी चौधररी से करा दरी ग्यरी । उसके बाद आर्थिक मसथकत बेहद हरी खराब होने के कारण उनहोंने कुिरी का काम ररी कक्या ।
कुछ सम्य बाद उनकरी मुलाकात एक ईसाई धर्म-प्िारक “ मिस ग्रेगररी ” नामक महिला से हुई । जिसने जाईबाई को अ्पने सकूि में 4 रू्प्ये प्कत माह ्पर कशकषिका के रू्प में कन्युकत कर कद्या । चूंकि वो एक “ अछूत ” जाति से आतरी थरी इसलि्ये हिनदुओं को ्यह ्पता चला कि उनके बच्ों को एक अछूत महिला पढ़ा रहरी है तो उनहोंने उस सकूि का बहिष्कार कर कद्या । इस वजह से जाईबाई को सकूि छोड़कर जाना ्पड़ा । इस घटना का जाईबाई ्पर इतना प्राव ्पड़ा कि उसके बाद उनहोंने ने अस्पृश्यता और जाकतप्था के विरुद्ध जंग और अछूत कन्याओं व महिलाओं को कशकषित करने करी ठान िरी थरी और 1922 में “ संत चोखोमेला गलस्भ सकूि ” करी नींव ररी रख दरी ।
जाईबाई प्थम दलित महिला स्मेिन जो अगसत , 1930 में हुआ था उसमें सवागत समिति करी अध्यषि ररी थरी । वो महिलाओं को कशकषित होने के साथ-साथ रहन-सहन , साफ-सफाई और तार्किक होने के लि्ये ररी प्ोतसाकहत करतरी
थरी । नाग्पुर में 8 से 10 अगसत 1930 में अखिल भारतरी्य दलित कांग्रेस के प्थम अधिवेशन में दलित महिलाओं का प्कतकनकधतव करते हुए जाईबाई चौधररी ने कहा ‘ िड़कक्यों को ररी िड़कों के समान ्पढ़ने के ्पूरे-्पूरे अवसर उ्पिबध कराने चाहिए । एक िड़करी करी कशषिा से से ्पूरा ्परिवार कशकषित हो जाता है । ’
एक बार वो 1937 में “ अखिल भारतरी्य महिला स्मेिन ” के अधिवेशन में सवर्ण महिलाओं के जातिगत भेदभाव करी शिकार ररी हुई थरी । इस अधिवेशन में भोजन करी जगह से दूर बिठाकर उनकरी बेईज्जतरी करी ग्यरी थरी । उसके बाद जाईबाई ने हजारों दलित महिलाओं को लेकर 1 जनवररी , 1938 को एक बड़री सभा का आ्योजन कक्या और सवर्ण महिलाओं द्ारा कक्ये ग्ये दुर्भावना्पूर्ण बर्ताव व छुआछूत का विरोध करते हुऐ उनकरी रतस्भना कर अ्पना रौष प्कट कक्या था ।
जाईबाई जुलाई , 1942 में हुऐ “ अखिल भारतरी्य दलित महिला स्मेिन ” करी ररी सदस्य थरी । जिसमें स्वंय “ बाबा साहेब डॉ . ररीमराव अंबेडकर ” ररी उपस्थित थे । इस स्मेिन में महिलाओं करी जागरूकता देखकर बाबा साहेब ने अ्पनरी खुशरी जाहिर करते हुऐ कहा था- इस ्परिषद में महिलाओं करी बड़री भाररी संख्या में शामिल होने करी मसथकत देखकर मुझे तसल्ली हुई है व खुशरी हुई है कि हमने प्गति करी है । जाई बाई चौधररी कशकषिका के साथ-साथ एक जागरूक लेखिका एंव अच्छी वकता ररी थरी । जाईबाई चौधररी बाबा साहब के कशकषिओं से प्रावित उनकरी ्पक्की अनु्या्यरी थरी । जाईबाई चौधररी ने सत्री कशषिा को अत्यधिक महत्वपूर्ण मानते हुए सव्भप्थम नाररी को कशकषित करने ्पर बल कद्या । जाईबाई चौधररी के अथक प्रयासों से दलित महिला आनदोिन करी माला में संघर्ष का एक मोतरी और जुड़ ग्या । �
tuojh 2023 23