Jan 2023_DA | Page 21

दकषिण भारत में दलित आंदोलन करी शुरूआत अचछे व्यवसा्यरी ्परिवार मे जनमे रामासवामरी ना्यकर ्पेरर्यार के द्ारा करी गई , जिनहे हम ्पेरर्यार के नाम से जानते है , जिनहोने ्यह देखा कि ब्ाहमण , दलितों का शोषण करते है और उनहे नारकरी्य जरीवन जरीने ्पर मजबूर करते है । उनहोने अ्पने राजनैतिक जरीवन कि शुरूआत कांग्रेस के साथ करी तथा शरीघ्र हरी
उनहोने कांग्रेस का साथ छोड़ कद्या क्योंकि उनके लक््य कांग्रेस से कई उच् सतर के थे । सवतंत्ता से ्पूर्व 1930 मे हरी उनहोंने कह कद्या था , भारत मे समाजवादरी गणतंत् होना चाकह्ये , जिसकरी घोषणा आजादरी के बाद जवाहर नेहरू ने करी । उनहोंने देखा करी एक मात् हिनदू धर्म मे हरी लोगो को ऊच्-निम्न जाति मे बांटा ग्या है और उनका शारिररीक , मानसिक और सामाजिक शोषण कक्या जाता है ।
्पेरर्यार ने आजादरी के बाद कहा कि सवतंत्ता 3 प्कतशत ब्ह्मण हुए है , 97 प्कतशत गैर
-ब्ाह्मण तो आज ररी गुलाम है , जिनहे सामाजिक अ्पमान झेलना ्पड़ रहा है । इसके लिए ्पांच बाते अ्पने संदेश मे कहरी -ईशवर करी समामपत , धर्म करी समामपत , कांग्रेस का बहिष्कार , ब्ाह्मण का बहिष्कार , उनका हरी संदेश था , जिसके कारण तमिलनाडु विधानसभा मे सररी सदस्यों ने ईशवर के नाम ्पर श्पथ नहरी िरी , तथा उनकरी हरी प्ेरणा मे तमिलनाडु सरकार ने एक आदेश
जाररी कक्या , जिसमे कहा ग्या कि , सरकाररी का्या्भि्यों मे देवरी देवताओं करी तस्वीर ना लगाई जा्ये ।
दकषिण भारत मे उनका आंदोलन दलितों को राजनैतिक व सामाजिक अधिकार दिलाने मे सफल रहा , जिसमे तमिलनाडु , कर्नाटक , केरल , आनध्प्देश , जबकि उत्तर भारत ्परीछे रह ग्या , क्योंकि उत्तर भारत मे कोई ्पेरर्यार ्या डॉ . आंबेडकर करी तरह सर्वमान्य नेता नहरी मिल ्पा्या । उत्तर भारत दलित आंदोलन का नेतृतव सामनतवाकद्यों के द्ारा हरी कक्या ग्या और दलित
आंदोलन कांग्रेस के इर्द गिर्द हरी रहा । उत्तर भारत मे सव्भप्थम दलित आंदोलन करी शुरूआत बिहार मे हुई , वहाँ के दलित नेता बाबू जगजरीवन राम हुए , जिनहोने धर्म ्परिवर्तन का विरोध कक्या , उनहोने दलितों को कहा , करी दलितों में हरी ब्ाह्मण ्पैदा होने चाकह्ये , जिन ममनदरों मे दलितों को प्वेश नहरी कद्या जाता है , उन मंदिरों से दलितों का कोई लेना देना नहरी है । इन्ही के प्रयासो का ्परिणाम था कि क्पछड़ा वर्ग से क्पू्भररी ठाकुर मुख्यमंत्री बने । जगजरीवन राम के बाद बिहार के दलित नेता बने रामविलास ्पासवान , उनहोने सररी दलित जाकत्यों को एकजुट करने का प्रयास कक्या , लेकिन वे सफल नहरी हुए तथा देश सतर ्पर सर्वमान्य नेता नहरी बन ्पा्ये ।
बिहार के बाद दलित आंदोलन करी शुरूआत , उत्तर प्देश मे हुई , इसकरी कमान सम्भाली , मान्यवर काशरीराम ने बाबू जगजरीवन के अनत के बाद काशरीराम ने आंदोलन करी शुरूआत करी और ्पूरे उत्तर भारत मे दलित आंदोलन को एक नई दिशा दरी । नेहरू के कारण हरी दलित , कांग्रेस के साथ थे । जिनके वोटों से नेहरू ने सत्ता प्ापत करी , लेकिन दलितों को हमेशा सत्ता से बाहर रखा । काशरीराम ने दलितों को सता का स्पना दिखा्या और उसे सच कर दिखा्या । वो अ्पने का्य्भ मे इसलिए सफल हुए क्योंकि वो किसरी अन्य अखिल भारतरी्य दल का हिससा नहरी बने , उनहोंने स्वयं सन् 1984 मे बहुजन समाज ्पाटटी बना्यरी । काशरीराम ने उत्तर प्देश मे मुमसिम गठजोड़ बना्या । ्यहरी प्रयास बिहार मे रामविलास ्पासवान ने कक्या । काशरीराम ने दलितों को आतमस्मान दिलाने , समतामूलक समाज बनाने , जाति उनमुिन समाज बनाने , विभाजित समाज को जोड़ने तथा क्पछड़े अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अत्याचार को समापत करने के लिए उनहोंने 85 प्कतशत जनता को साथ लि्या तथा अन्य 15 प्कतशत के खिलाफ संघर्ष करी शुरूआत करी , और दलितों मे आतमकवशवास ्पैदा कक्या , उनहोने सम्पूर्ण भारत कि ्यात्ा 6 दिस्बर को कन्याकुमाररी से लेकर कश्मीर , तमिलनाडू , केरल , आनध् प्देश , हरर्याणा , मध्यप्देश के महु मे आकर अ्पनरी
tuojh 2023 21