Hybrid Hues '15-'17 AIIMS, New Delhi | Page 157

िह ु ानी �ँ म�, आज सबसे यही कहता �ँ , िहदी इस ��शाल ��� म�, सबके िदल म� रहता �ँ , पनप रहा ह ै �ार कही ं पे, तो �ह अपना िहद�ान ह,ै आज िफर �मलकर बोलो, मेरा भारत महान ह.ै ���गु� कहलात े हम, इं ि�य� हमारा नाम ह,ै शा�ंत से �ग�त �र ��कास, हमारा काम ह,ै कणाद ने कण, तो आय�भ� ने शू� िदया, इस ��शाल भारत��� ने, महापु��ो ं को ज� िदया. आय��त � िक इस धरा पर, आचँ ह ै जब-जब आई, यहा ँ के रणबाक ु रो ं से, सबने मँ ुह िक खाई, �ाग, �मे, ब�लदान का, दसरा नाम भारत ह,ै �मे का चलता यहा ँ महारथ ह.ै स�, अिहसा, पर�रा� ं के इस देश म�, आख ो ं म� उ�ीद� ह,� हर िकसी क� आख म�, सपनो ं भरी नीद� ं ह,� उठे गा मेरा भारत, यह मेरा इक सपना ह,ै आय��त � अपना ह.ै सपने भी सच होगे ं �ोिक, �जद करो....द�नया बदलो.... शा�ंत के पुजारी हम, कमज़ोर न हमको सम�झए, हम� �जसने आजमाया, पहले उनसे �मल ली�जए, पता चलेगा आपको, हम िकस खेत क� मूली ह,� �जसने पं गा �लया हमसे, �े कहग�े हम नही ं मामूली ह.� ल�लत कु मार �२��, ��� २���