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स्वाभिमानी द्हनदुओं की सामाद्जक , आद्र्थक और धाद्म्थक स्थिति पतनोनमुख होती चली गई । द्हनदुओं को मुसलमान बनानरे का प्रचणड दबाव बढ़ता चला गया । ऐसरे समय में गुरु रैदास नरे धर्मरक्ा के द्लए द्हनदुओं का आह्ान द्कया और इ्लाम को पूर्णरूपरेण अ्वीकार करनरे के द्लए जन-संदरेश प्रसारित द्कया । उन्होंनरे द्निंकारी मत को अपनाकर रकतपात को रोका और अद्हंसाव्रत का सृजन द्कया , द्जसरे आज द्वशव के सभी दरेशदों में स्मान प्रापत है I
पु्तक का छठां अधयाय दद्लत द्हनदुओं के मसीहा संत रैदास द्ािा इस्लामिक ताकत , धर्म परिवर्तन , आपसी भरेदभाव तथा तिरस्कार की द्नंदा पर केंद्रित है । इस अधयाय में दद्लत समाज एवं उनका सामाद्जक पतन , दद्लत समाज के मधय संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास , ्वयं को ‘ चमार ’ एवं ‘ जूता गांठनरे वाला ’ शब्दों सरे स्बोधन का अद्भप्राय , अपमान एवं दयनीय आद्र्थक- सामाद्जक स्थिति ्वीकार-द्कनतु इ्लाम अ्वीकार , धर्म परिवर्तन न करनरे का आग्ह ,
द्बना ्टकराव के दद्लतदों को धर्म परिवर्तन सरे बचाया , दद्लतदों एवं सामाद्जक तथा आद्र्थक रूप सरे कमजोर लोगदों में धाद्म्थक आ्रा का संचालन एवं संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास द्ािा दद्लत एवं आद्र्थक रूप सरे कंगाल द्हनदुओं का स्वाभिमान जागरण जैसरे द्वषयदों पर द्बंदुवार द्चंतन करतरे हुए डा . सोनकर शा्त्री नरे द्लखा है द्क द्वदरेशी आरिानता शासकदों के इ्लामीकरण की धारदार तलवािदों के सामनरे बलपूर्वक दलन करके बनाया गया दद्लत समाज भयारिानत
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