Feb 2025_DA | Page 48

पुसतक समीक्षा

समृद्धशाली अतीत का वर्णन द्कया गया है । इसमें द्वदरेशी इस्लामिक लु्टेिदों के आरिमण , ततकालीन मुस्लम आरिानताओं द्ािा स्थापित शासन में द्हनदुओं की स्थिति , संत रैदास द्ािा मुसलमान शासकदों के द्हनदू उतपीड़न का द्विोध , संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास नरे द्हनदुओं को द्वचद्लत न होनरे का द्दया संदरेश , संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास द्ािा द्हनदू धर्म संिक्ण हरेतु पथ-प्रदर्शन , महान द्हनदू संत गुरु रैदास तथा द्हनदू धर्म की वयापत द्वककृद्तयदों पर गुरु रैदास का प्रहार जैसरे गंभीर द्वषयदों को तथ्यों के आधार पर सामनरे रखा गया है । इस अधयाय में बताया गया है द्क ततकालीन समय में मुस्लम लु्टेिदों के रूप में कुखयात मुस्लम शासकदों के अतयाचािदों एवं उतपीड़न का संत रैदास नरे द्विोध द्कया । उन्होंनरे द्हनदुओं को द्कसी भी धर्मानधता की आंधी सरे द्वचद्लत नहीं होनरे की सलाह दी , उनको धर्म के संिक्ण में लगरे रहनरे के उपाय भी बताएI इस तरह उन्होंनरे एक महान् द्हनदू संत की पि्पिा का साथ ही मार्गद्रष्टा की भूद्मका का सर्वथा द्नवा्थह द्कया ।
पु्तक का तीसरा अधयाय द्हनदू धर्म , संस्कृद्त एवं नैद्तकता के प्रतीक द्हनदू संत द्शिोमद्ण गुरू रैदास पर केंद्रित है । यह अधयाय द्हनदू धर्म एवं द्हनदू जीवन पद्धद्त , द्हनदू संस्कृद्त एवं संत- पि्पिा , संत रैदास एवं द्हनदू संस्कृद्त , द्हनदू ज्ान के पूर्ण वाहक संत रैदास , द्हनदू संस्कृद्त के पालन हरेतु संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास का समाज सरे आह्ान , द्हनदू धर्म के सामाद्जक ्वरूप को सामनरे रखा संत रैदास नरे , मानव परक द्हनदू जीवन पद्धद्त एवं संस्कृद्त का खुलकर प्रचार एवं संत रैदास महान द्हनदू संत के रूप में समाज में सदैव मया्थद्दत आद्द द्बंदुओं पर केंद्रित है । इस अधयाय में डा . सोनकर शा्त्री नरे बताया है द्क संत रैदास द्हनदूधर्म एवं द्हनदू जीवन पद्धद्त को अनत तक मूलयपरक बनाए रखनरे में सफल हुए । द्हनदू संस्कृद्त को प्रसारित करनरे की संत पि्पिा का भी उन्होंनरे द्नव्थहन द्कया ।
पु्तक का चौथा अधयाय परमपूजय रामानंद के प्रधान द्शष्य के रूप में आधयासतमक पुरोधा संत द्शिोमद्ण गुरू रैदास पर केंद्रित है । इस अधयाय में आधयातम के पुरोधा संत द्शिोमद्ण गुरु
रैदास , गुरु रामाननद नरे द्शष्य रैदास को कराया आतमबोध , योगय गुरु एवं योगय द्शष्य , रामननदी स्प्रदाय और संत रैदास , संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास का आधयासतमक द्चनतन , भसकत आनदोलन के पथ-प्रदर्शक संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास , द्निाकार मत के प्रद्तपादक संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास एवं रैदासी-मत एवं द्हनदू आधयातम-दर्शन आद्द द्वषयदों को बताया गया है । डा . सोनकर शा्त्री नरे द्लखा है द्क संत रैदास नरे अपनरे आधयातम- दर्शन को सदैव दूसिरे मत के अनुसार द्नयोद्जत करनरे पर बल द्दया । उन्होंनरे पि्पिागत जनम के द्सद्धानत को नकारा और समनवयवादी सहजीवन पद्धद्त को प्रोत्साहित द्कया । द्निाकार आधयातम- दर्शन का प्रद्तपादन करके धर्मानध आरिानताओं को भ्रद्मत एवं मारका्ट सरे द्वित कर द्दया । यह द्कसी भी आधयासतमक पुरूष की सबसरे बड़ी सामाद्जक सरेवा है । संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास नरे कर्म और धर्म का अनुरिम स्थापित द्कया तथा पि्पिागत धर्म-कर्म की वैचारिकी को ” कर्म ही धर्म है ” इस ओर मोड़नरे का पहली बार प्रयास द्कया । इसी परिप्ररेक्य में उनके द्वचार को एक मत ( रैदासी-मत ) की श्रेणी प्रदान की गई और उसरे द्हनदू आधयासतमक-दर्शन के सनदभ्थ में स्मानजनक ्रान द्दया गया ।
पु्तक के पांचवें अधयाय में द्हनदुओं को जबरन मुसलमान बनानरे के प्रयासदों को चुनौती दरेनरे वालरे द्हनदू धम्थिक्क संत रैदास के प्रयासदों को इंद्गत द्कया गया है । इस अधयाय में द्वदरेशी मुस्लम आरिानताओं एवं शासकदों द्ािा द्हनदुओं का उतपीड़न , द्हनदुओं द्ािा प्रचणड द्विोध , शासन एवं सत्ा सरे ्टकरानरे वालदों के साथ अमानवीय वयवहार , स्वाभिमानी द्हनदुओं का सामाद्जक , आद्र्थक एवं धाद्म्थक पतन , मुसलमान बनानरे हरेतु प्रचणड दबाव , धम्थिक्क संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास द्ािा धर्मरक्ा का आह्ान , मुस्लम शासकदों द्ािा तोड़े जा रहरे मन्दिरों के मुद्दे पर ्टकराव ्टालनरे हरेतु गुरु रैदास द्ािा द्निंकार भसकत का प्रादुर्भाव एवं इ्लाम पूर्णरूपरेण अमानय जैसरे उन गंभीर द्वषयदों को िरेखांद्कत द्कया गया है , जो द्वषय ततकालीन समय में द्हनदू समाज सरे प्रतयक् रूप सरे सम्बंधित ररे और संत रैदास नरे इन द्वषयदों
को अपनरे तरीके सरे द्नप्टनरे का प्रयास द्कया था । इस अधयाय में डा . सोनकर शा्त्री नरे इंद्गत द्कया है द्क गुरु रैदास के समय में द्वदरेशी मुस्लम आततायी शासकदों एवं आरिानताओं द्ािा द्जस जघनय एवं रिूितम ्ति पर द्हनदुओं का उतपीड़न द्कया गया और द्जसका प्रचणड द्विोध भी द्हनदुओं नरे भी द्कया । उसका परिणाम यह द्नकला द्क इ्लाम न ्वीकारनरे वालदों को मृतयुदणड के बदलरे अपमाद्नत करनरे की एक नवीन द्वधा का जनम हुआ । परिणाम्वरूप
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