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डा . सोनकर शा्त्री नरे द्वशद अधययन के बाद पु्तक के पहलरे अधयाय में द्लखा है द्क संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास का जनम संवत 1433 विक्रमी के माघ मास की पूद्ण्थमा का िद्ववार द्दन मानय द्कया गया है । उनकी महासमाद्ध संवत 1584 विक्रमी की चैत्र ककृष्ण चतुर्दशी द्तद्र ्वीककृत है । इन समयदों का उल्लेख अधोद्लद्खत प्रकार सरे भी द्कया जाता है- चौदह सौ तैंतीस की माघ सुदी पंदरास । दुद्खयदों के कलयाण द्हत प्रग्टे श्ी रैदास ।। पनरिह सौ चऊरासी के द्दन चीतौिरे भई भीर । इस प्रकार डा . सोनकर शा्त्री नरे संत रैदास के जनम को लरेकर फैली भ्रांद्तयदों को दूर करनरे का प्रयास द्कया है I
पु्तक के प्रथम अधयाय में बताया गया है द्क संत रैदास का जनम काशी ( वाराणसी ) के मंडेसर अथवा माणडुि , बाद में डीह मांडूर तथा
माणडव डीह और ( वर्तमान में ) मणडुआडीह का द्भ्टवा नामक द्हनदू चर्मकार जाद्त के ब्ती में स्रत एक इमली के परेड़ के नीचरे हुआ थाI कालानति में उसी वृक् के नीचरे बैठ कर गुरु रैदास नरे अपनी साधना की थी । मंडेसर या मांडूर या मणडुआडीह का द्भ्टवा नामक इमली के वृक्षों सरे आच्छादित यह ्रान वास्तविक रूप सरे काशी के पंचकोशी या चैरासी कोसी परिरिमा के अनतग्थत आता है । अतरगृही मार्ग , पंचकोशी मार्ग एवं चैरासी कोसी मार्ग काशी के भौगोद्लक एवं आधयासतमक महात्य सरे आबद्ध है । संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास एवं द्हनदू धर्म में वद्ण्थत चंवर वंश यानी क्षत्रिय वर्ण के और द्पपपल गोत्र के ररे । वर्तमान समय में जो गोत्र क्षत्रिय जाद्तयदों में पाए जातरे हैं , वह सभी पंजाब के चमार जाद्त में पाए जातरे हैं , यथा- लोमोड़ , क्टारिया , दद्हया , सहराव , मद्डया , उडा या हाडा , संभरिया , तंवर ,
गोठवाल , चौहान , अहीर , नूनीवाल , गहलौत , ढौकवाल , बढ़गूजर आद्द ।
पु्तक में डा . सोनकर शा्त्री नरे स्पष्ट द्कया है द्क गुरु रैदास द्जस क्षत्रिय जाद्त के ररे , इ्लाम न ्वीकार करनरे के कारण उनहें , उनके वंश एवं गोत्र के लोगदों का उतपीड़न करके उनहें चर्म-कर्म करनरे के द्लए बाधय द्कया गया । उनका परेशा भी धर्म-कर्म के ्रान पर ” चर्म- कर्म ” कर द्दया गया था । इस प्रकार गुरु रैदास क्षत्रिय सरे तथाकद्रत चमार जाद्त के हो गए और उनके साथ उनके वर्ग के सभी लोग ” चमार ” जाद्त के कहरे जानरे लगरे । इस प्रकार गुरु रैदास की जाद्त , द्जसरे चमार जाद्त के नाम सरे सम्बोधित द्कया जाता है वह , एक द्ववशता एवं बलपूर्वक द्नद्म्थत समाद्जक वयव्रा है , द्जसरे कालानति में समाज नरे भी मानयता दरे दी I
पु्तक के दूसिरे अधयाय में द्हनदु्रान के
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