पुसतक समीक्षा
हि ंददू धर्म रक्षक संत शिरोमणि गुरू रैदास
लेखक- डा . विजय सोनकर शासत्ी
संजय दीक्षित fg
नदू संस्कृद्त के संक्टकालीन बरेला में जब इ्लाम अथवा मृतयु में सरे द्कसी एक को अंगीकार करना अद्नवार्य कर द्दया गया था , ऐसरे समय में अनरेकदों द्हनदू धम्थिक्कदों का आद्वभा्थव हुआ । गुरु रैदास या संत िद्वदास उनमें सरे एक ररे । संत रैदास के प्रद्त श्द्धा एवं आ्रा का भाव भारतीय समाज , द्वशरेषकर दद्लत समाज में द्वशरेष रूप सरे दरेखा जा सकता है । आगामी 12 फरवरी को संत रैदास का जन्मदिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया
जाएगा । संत रैदास के जीवन एवं ककृद्तयदों के प्रद्त दद्लत समाज की आ्रा , श्द्धा एवं द्वशवास को दरेखतरे हुए भाजपा के वरिष्ठ नरेता एवं पूर्व सांसद डा . द्वजय सोनकर शा्त्री नरे उनके आद्वभा्थव सरे लरेकर महाप्रयाण तक गंभीर अधययन करके एक विस्तृत पु्तक की रचना की है Iपु्तक दो खंडदों में है , द्जसमें दूसरा खंड संत रैदास की वाद्णयदों पर केंद्रित है I
पु्तक के पहलरे खंड में संत रैदास के जनम को लरेकर फैली भ्रांद्तयदों को दूर करनरे की चरेष््टा तो की गई है , साथ ही उनके जीवन सरे जुड़े कई
महतवपूर्ण पक्षों को सामनरे लानरे का सफल प्रयास द्कया गया है Iसंत रैदास की जनम की वास्तविक जनम-द्तद्र एवं पुणय द्तद्र की जानकारी अनतः- वाह्य साक्यदों के आधार पर की जाती है । अतः साक्य उनके द्ािा द्विद्चत वाद्णयां हैं , जबद्क वाह्य साक्य अनरेकदों द्वद्ानदों द्ािा उन पर द्लद्खत पु्तकें हैं । गुरु रैदास के द्पतामह एवं द्पता तथा परिवार के अनय सदस्यों के बािरे में कुछ लोगदों नरे वंशावली भी प्र्तुत की है , साथ ही उनको चंवर वंशीय क्षत्रिय एवं द्पपपल गोत्र का होनरे का उल्लेख द्कया है I
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