भारतीय गणतंत्
द्फि सरे संद्वधान सभा सरे बाहर हो गए , लरेद्कन तब तक संद्वधान सभा के लोगदों नरे यह द्नण्थय कर द्लया था द्क डा . आंबरेडकर का संद्वधान सभा में रहना आवशयक है । ततकालीन समय में बंबई प्ररेद्सडेंसी के प्रधानमंत्री बी . जी . खरेि ररे । उन्होंनरे संद्वधान सभा के एक और सद्य और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नरेता एम . आर . जयकर को इ्तीफा दरेनरे के द्लए राजी द्कया और द्फि जयकर के इ्तीफे के बाद उनकी जगह पर डा . आंबरेडकर पुनः संद्वधान सभा में शाद्मल हो गए ।
14 अग्त 1947 की रात 12 बजतरे ही संद्वधान सभा के अधयक् डा . राजेंरि प्रसाद नरे कहा द्क शासनाद्धकार ग्हण कर द्लया है । सत्ा का ह्तांतरण संद्वधान सभा के पास होनरे के साथ ही संद्वधान सभा अपनरे मूल लक्य की ओर आगरे बढ़ीI इसी कड़ी में 29 अग्त 1947 को संद्वधान सभा नरे प्रारूप सद्मद्त के अधयक् के तौर पर डा . आंबरेडकर का नाम सर्वसम्मति सरे पारित कर द्दया । प्रारूप सद्मद्त में और भी छह सद्य ररे । 30 अग्त 1947 सरे संद्वधान सभा स्थगित कर दी गई ताद्क संद्वधान का प्रारूप बनाया जा सके । 27 अक्टूबर सरे प्रारूप सद्मद्त नरे अपना काम प्राि्भ द्कया । बात-द्वचार और बहस के बाद 21 फरवरी 1948 को प्रारूप सद्मद्त के अधयक् डा . आंबरेडकर नरे संद्वधान सभा के अधयक् राजेंरि प्रसाद के सामनरे संद्वधान का प्रारूप रखा । उन्होंनरे इस प्रारूप को सरकार के मंत्रालयदों , प्रदरेश सरकािदों , द्वधानसभाओं और सुप्रीम को ्ट और हाई को ्ट को भरेजा ताद्क सबके सुझावदों को शाद्मल द्कया जा सके । जो सुझाव आए , उन पर प्रारूप सद्मद्त नरे 22 मार्च सरे 24 मार्च 1948 के बीच द्वचार-द्वमर्श द्कया ।
3 नवंबर , 1948 सरे द्फि सरे संद्वधान सभा की बैठक आि्भ हुई । 4 नवंबर 1948 को डा . राजेंरि प्रसाद नरे द्फि सरे प्रारूप पर बात की और संद्वधान सभा सरे कहा द्क यह प्रारूप उस सद्मद्त नरे बनाया है , द्जसरे इसी संद्वधान सभा नरे बनाया था और द्जसके अधयक् डा . आंबरेडकर ररे । 4 नवंबर को उसी द्दन डा . आंबरेडकर नरे प्रारूप को संद्वधान सभा के प्टल पर रखा । आगामी
द्दनदों में कुछ संशोधन भी सुझाए गए , द्जनमरे सरे कुछ ्वीकार द्कए गए और कुछ को अ्वीकार कर द्दया गया । 17 नवंबर , 1949 को संद्वधान सभा के अधयक् राजेंरि प्रसाद नरे घोषणा की द्क अब हम संद्वधान के तृतीय पठन को आरंभ करेंगरे ।
इसका अर्थ था द्क अब संद्वधान बनकर तैयार हो गया है । इसके बाद डा . राजेंरि प्रसाद नरे प्रारूप सद्मद्त के अधयक् डा . आंबरेडकर सरे कहा द्क मैं यह प्र्ताव परेश करता हूं द्क संद्वधान को सभा नरे द्जस रूप में निश्चित द्कया है , उसरे पारित द्कया जाए । इस प्र्ताव पर 17 नवंबर 1949 सरे 25 नवंबर 1949 तक बहस हुई और द्फि 26 नवंबर को संद्वधान सभा के अधयक् के तौर पर डा . राजेंरि प्रसाद नरे अपना आद्खिी अधयक्ीय भाषण द्दया । भाषण खतम होनरे के बाद डा . राजेंरि प्रसाद नरे पूछा द्क प्रश्न यह है द्क इस सभा द्ािा निश्चित द्कए गए रूप में यह संद्वधान पारित द्कया जाए । डा . राजेंरि प्रसाद के इस सवाल पर ध्वनिमत सरे संद्वधान ्वीककृत द्कया गया । और द्फि 26 जनवरी 1950 को दरेश को अपना वह संद्वधान द्मला , द्जसके द्लए गर्व सरे हर भारतीय यह कहता है द्क हमारा संद्वधान दुद्नया का सबसरे बड़ा द्लद्खत संद्वधान है , द्जसको बनानरे में डा . आंबरेडकर का वह योगदान है , द्जसकी वजह सरे उनहें भारत के संद्वधान द्नमा्थता की उपाद्ध द्मली हुई है ।
भारतीय संद्वधान के मुखय द्शलपकार के रूप में , डा . आंबरेडकर नरे सुनिश्चित द्कया द्क द्तावरेज में नयाय , ्वतंत्रता , समानता और बंधुतव के द्सद्धांत द्नद्हत हदों । अ्पृशयता के उनमूलन और कुछ द्पछड़े वगथों के द्लए आिक्ण जैसरे प्रावधानदों को शाद्मल करना जाद्तगत भरेदभाव और असमानता के खतिदों सरे मुकत ्वतंत्र भारत के उनके दृसष््टकोण को दर्शाता है । प्रारुप सद्मद्त के अधयक् के रूप में , उन्होंनरे भारतीय संद्वधान को इस तरह सरे आकार द्दया द्क भारत के सभी नागरिकदों के द्लए नयाय , ्वतंत्रता , समानता और बंधुतव सुनिश्चित हो सके । 26 नवंबर के द्दन को संद्वधान द्दवस मनानरे का आि्भ प्रधानमंत्री मोदी के नरेतृतव
वाली सरकार के कार्यकाल में 2015 सरे आि्भ हुआ । इसका आि्भ उसी वर्ष सरे हुआ , जब डा . आंबरेडकर की 125वीं जनम जयंती मनाई जा रही थी । यह राष्ट्र की तरफ सरे डा . आंबरेडकर को दी गई श्द्धांजद्ल है ।
संद्वधान सभा के समक् संद्वधान प्र्तुत करतरे हुए अपनरे अंद्तम भाषण में डा . आंबरेडकर नरे गरिमा और द्वनम्रता के साथ इतनरे कम समय में इतना स्टीक और विस्तृत संद्वधान तैयार करनरे का श्रेय अपनरे सहयोद्गयदों को द्दया । लरेद्कन पूरी संद्वधान सभा इस तथय सरे परिद्चत
34 iQjojh 2025