Feb 2025_DA | Page 33

रियासतदों सरे हदोंगरे । कैद्बनरे्ट द्मशन की इस योजना पर आम सहमद्त बन गई । इसी द्मशन की द्सफारिशदों के तहत अंतरिम सरकार का गठन हुआ , द्जसमें 2 द्सतंबर 1946 को भारत की अंतरिम सरकार बनी और जवाहर लाल नरेहरू दरेश के पहलरे प्रधानमंत्री बनरे ।
इससरे पहलरे कैद्बनरे्ट द्मशन की द्सफारिशदों पर संद्वधान सभा की 385 सी्टदों के द्लए जुलाई-अग्त 1946 में चुनाव कराए गए । चुनाव में डा . आंबरेडकर भी एक उ्मीदवार ररे , जो बंबई सरे शरेड्ूल कास्ट फेडिरेशन के उ्मीदवार बनरे । दुर्भागय सरे वह चुनाव हार गए । लरेद्कन महातमा गांधी सरे लरेकर मुस्लम लीग के सद्य भी चाहतरे ररे द्क डा . आंबरेडकर को तो संद्वधान सभा का सद्य होना ही चाद्हए , तब बंगाल सरे उनहें उ्मीदवार बनाया गया । डा . आंबरेडकर चुनाव जीत गए और संद्वधान सभा के सद्य बनरे । लरेद्कन द्जस मुस्लम लीग नरे कैद्बनरे्ट द्मशन के चुनावी प्र्ताव को ्वीकार कर द्लया था , उसी मुस्लम लीग नरे संद्वधान सभा में शाद्मल होनरे सरे मना कर द्दया । इस बीच 6 द्दसंबर 1946 को द्ब्द््टश सरकार नरे भी मान द्लया था द्क दो दरेश और दो संद्वधान सभाएं बन सकती हैं । 9 द्दसंबर 1946 को जब संद्वधान सभा की पहली बैठक हुई तो मुस्लम लीग का कोई भी सद्य बैठक में शाद्मल नहीं हुआ । बसलक मुस्लम लीग नरे मुस्लमदों के द्लए अलग संद्वधान सभा और अलग दरेश की मांग कर दी । तमाम प्रयासदों के बाद भी जब मुस्लम लीग नहीं मानी तो संद्वधान सभा नरे अपना काम आि्भ कर द्दया ।
सबसरे वरिष्ठ सद्य डा . सच्चिदानंद द्सनहा को संद्वधान सभा काअ्रायी अधयक् द्नयुकत द्कया गया और द्फि 11 द्दसंबर को सर्वसम्मति सरे डा . राजेंरि प्रसाद संद्वधान सभा के अधयक् द्नयुकत द्कए गए । संद्वधान सभा की बैठक के पांचवरे द्दन जवाहर लाल नरेहरू नरे संद्वधान सभा में लक्य संबंधी प्र्ताव परेश द्कया । वरिष्ठ कांग्रेसी नरेता पुरुषोत्म दास ्टंडन नरे इसका अनुमोदन द्कया । हर सद्य को इस पर अपनी बात रखनी थी । शुरुआत तो इसी सरे हुई द्क जब
तक मुस्लम लीग के सद्य इस सभा में शाद्मल नहीं होतरे , बात होनी ही नहीं चाद्हए , लरेद्कन मुस्लम लीग का अड़ियल रवैया दरेखकर संद्वधान सभा के जयादातर लोग आगरे बढ़नरे पर राजी हो गए ।
17 द्दसंबर 1946 . को डा . आंबरेडकर नरे पहली बार संद्वधान सभा में अपना भाषण द्दया । उस द्दन डा . आंबरेडकर सरे पहलरे 20-22 और भी सद्य ररे , द्जनहें भाषण दरेना था । डा . आंबरेडकर उस द्दन भाषण के तैयार नहीं ररे । उनहें पता था द्क और भी लोग उनसरे पहलरे बोलनरे वालरे हैं , द्लहाजा उनका नाम अगलरे द्दन आ सकता है । तब वह तैयारी करके संद्वधान सभा में भाषण दरे सकेंगरे । लरेद्कन 17 द्दसंबर को ही संद्वधान सभा के अधयक् डा . राजेंरि प्रसाद नरे डा . आंबरेडकर को भाषण के द्लए आमंद्त्रत द्कया और द्फि डा . आंबरेडकर नरे ऐसा भाषण द्दया द्क उनका कहा इद्तहास हो गया । उन्होंनरे
अपनरे भाषण में कहा द्क कांग्रेस और मुस्लम लीग के झगड़े को सुलझानरे की एक और कोद्शश करनी चाद्हए , मामला इतना संगीन है द्क इसका फैसला एक या दूसिरे दल की प्रद्तष्ठा के खयाल सरे ही नहीं द्कया जा सकता । जहां राष्ट्र के भागय का फैसला करनरे का प्रश्न हो , वहां नरेताओं , दलदों , संप्रदायदों की शान का कोई मूलय नहीं रहना चाद्हए , वहां तो राष्ट्र के भागय को ही सववोपरि रखना चाद्हए । अपनरे भाषण का समापन करतरे हुए उन्होंनरे कहा द्क शसकत दरेना तो आसान है , पर बुद्द्ध दरेना कद्ठन है ।
22 जनवरी 1947 को संद्वधान सभा नरे लक्य संबंधी प्र्ताव को ्वीकार कर द्लया जो संद्वधान की प्र्तावना का आधार बना । हालांद्क उस द्दन तक भी मुस्लम लीग का कोई प्रद्तद्नद्ध संद्वधान सभा में नहीं आया । ्टकराव जब और बढ़ गया तो 13 फरवरी 1947 को नरेहरू नरे मांग की द्क अंतरिम सरकार में शाद्मल मुस्लम लीग के मंत्री इ्तीफा दरे दें । सरदार प्टेल नरे भी यही दोहराया । इस बीच 20 फरवरी को द्ब्द््टश प्रधानमंत्री ए्टली नरे घोषणा की द्क जून 1948 सरे पहलरे सत्ा का ह्तांतरण कर द्दया जाएगा । लरेद्कन इसके द्लए ए्टली नरे शर्त रखी और शर्त यरे थी द्क जून 1948 सरे पहलरे संद्वधान बन जाना चाद्हए , ऐसा नहीं हुआ तो द्फि द्ब्द््टश सत्ा को द्वचार करना होगा द्क सत्ा द्कसरे सौंपी जाए ?
इस परिस्थितियदों के बीच 28 अप्रैल 1947 को संद्वधान सभा का तीसरा सत्र शुरू हुआ । अधयक् डा . राजेंरि प्रसाद नरे ए्टली की घोषणा के बािरे में सबको बताया और कहा द्क अब संद्वधान सभा को अपना काम तुरंत पूरा करना होगा । इसके ठीक पहलरे 24 मार्च 1947 को नए गवर्नर-जनरल ललॉड्ट माउं्टबरे्टन भारत आ चुके ररे और चंद द्दनदों में ही उन्होंनरे यह द्नण्थय लरे द्लया था द्क भारत का बं्टवारा होगा । भारत और पाकिस्तान दो दरेश हदोंगरे , अब इसकी वजह सरे संद्वधान सभा में द्फि बदलाव होना था , द्जस सी्ट डा . आंबरेडकर संद्वधान सभा के सद्य चुनरे गए ररे , वह सी्ट पाकिस्तान के द्ह्सरे में चली गई । इस तरह सरे डा . आंबरेडकर एक बार
iQjojh 2025 33