Feb 2025_DA | Page 32

भारतीय गणतंत्

भारतीय संत्वधान एवं डा . आंबेडकर ck

बा साहब डा . भीमराव आंबरेडकर संद्वधान सभा की प्रारूप सद्मद्त के अधयक् ही ररे , इसके बाद भी संद्वधान बनानरे का पूरा श्रेय उनहें ही क्यों द्दया जाता है ? आद्खि जब संद्वधान सभा में कुल 389 सद्य ररे तो मात्र डा . आंबरेडकर को ही भारतीय संद्वधान का जनक क्यों कहा जाता है ? ऐसरे प्रश्न आम लोगदों के द्दमाग में प्रायः आतरे हैं ।
दूसिरे द्वशवयुद्ध की समासपत के साथ ही यह निश्चित हो गया था द्क भारत पर अंग्रेज जयादा समय तक शासन नहीं कर सकेंगरे । प्रश्न यह भी था द्क अगर अंग्रेज भारत छोड़कर जातरे हैं तो इतनरे बड़े दरेश की द्ज्मरेदारी सौंपी द्कसरे जाए ? आद्खि वो कौन होगा , द्जसके हवालरे पूरा दरेश होगा ? कांग्रेस में वह कौन-कौन सरे नरेता हदोंगरे , द्जनहें अंग्रेज दरेश चलानरे की द्ज्मरेदारी देंगरे ? इसी प्रश्न का उत्ि तलाशनरे के द्लए 23 मार्च 1946 को कैद्बनरे्ट द्मशन का दल द्दलली आया । इस दल में तीन लोग शाद्मल ररे- पैद्ट्रक ललॉिेंस , सर स्टेफोर्ड क्रिपस और ए . बी . अलरेकजेंडर । दल नरे सभी पक्षों सरे मुलाकात करके विस्तार में चर्चा की और द्फि 16 मई 1946 को कैद्बनरे्ट द्मशन इस द्नष्कष्थ पर पहुंचा द्क भारत की ्वतंत्रता के बाद अंग्रेज भारत की सत्ा संद्वधान सभा को सौंप देंगरे । संद्वधान सभा में कौन-कौन होगा , इसके द्लए चुनाव होगा । यह भी द्नण्थय द्लया गया द्क संद्वधान सभा में कुल 389 सद्य हदोंगरे , द्जनमें 292 सद्य प्रांतदों सरे और 93 सद्य द्प्रंसली स्टेटस यानी
32 iQjojh 2025