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हिंदुओं को उनकी भूमि और संपलत्यों से वंचित करने का सबसे सपषट और आधिकारिक रूप से सहन किया जाने वाला साधन निहित संपलत् अधिनियम का उपयोग है । निहित संपलत् अधिनियम की जड़ें 1965 के उस शत्ु संपलत् अधयादेश में खोजी जा सकती हैं , जो भारत और पाकिसतान के बीच सत्ि दिवसीय युद्ध के परिणामस्रूप घोषित किया गया र्ा ।
है द्क भूद्म हड़पनरे और अपनरे घिदों सरे विस्थापन की स्थिति में लाखदों द्हंदुओं को भारत में आकर रहना पड़ रहा है । द्हंदू जनसंखया में आई द्गिाव्ट , जो 1940 के दशक में 22 प्रद्तशत सरे अद्धक थी और आज 9 प्रद्तशत सरे भी कम हो गई है , इस पलायन का परिणाम है । उदाहरण के द्लए , 1964 और 2001 के बीच , अनुमाद्नत 8.1 द्मद्लयन ' लापता द्हंदू ' बचरे हैं , द्जनकी संखया सालाना लगभग 2,19,000 है । द्निंतर भरेदभाव , भूद्म कबज़ा और द्हंसा के बढ़तरे खतिरे का अर्थ यह भी है द्क बांगलादरेशी द्हंदुओं नरे कई
मामलदों में , अद्नयद्मत रूप सरे , भारत में प्रवास करना जारी रखा है ।
हाल के वषथों में द्हंदुओं को न केवल अंतर- सांप्रदाद्यक हमलदों में , बसलक चरमपंथी आतंकी तत्वों नरे द्नशाना बनाया । 5 द्दसंबर 2015 को , द्दनजापुर में एक द्हंदू समारोह को द्नशाना बनाकर द्कए गए द्सलद्सलरेवार द्व्फो्टदों में छह श्द्धालु घायल हो गए । कुछ द्दनदों बाद , द्दनाजपुर में एक और मंद्दि पर आतंकी तत्वों नरे बंदूकदों और बमदों सरे हमला द्कया , द्जसमें नौ लोग घायल हुए । हालांद्क आतंकी हमलदों की हाद्लया
घ्टनाएं द्हंसा और भरेदभाव के केवल एक द्ह्सरे को दर्शाती हैं जो बांगलादरेश में धाद्म्थक अलपसंखयक लगभग दैद्नक आधार पर अनुभव करतरे हैं । सा्प्रदाद्यक द्हंसा बांगलादरेश में आम बात हो गई है ।
एन ओ सलीश केंरि ( एएसके ) बांगलादरेश का एक प्रमुख मानवाद्धकार संगठन है । यह संगठन वंद्चत लोगदों को कानूनी और सामाद्जक सहायता दरेता है । संगठन की एक रिपो ्ट बताती है द्क जनवरी 2016 सरे लरेकर जून 2016 के मधय बांगलादरेश में द्हंदुओं को द्नशाना बनाकर की गई द्हंसा में 66 घर जला द्दए गए , 24 लोग घायल हो गए और कम सरे कम 49 मंद्दि , मठ या मूद्त्थयदों को नष््ट कर द्दया गया । इस द्हंसा में आतंकी तत्वों के ्रान पर अद्धकांश ्रानीय लोगदों की भीड़ या समूहदों में लोग शाद्मल ररे । यह हमलरे वयसकतगत द्ववाददों , भूद्म कबज़ा के उद्देशय सरे द्कए गए । बांगलादरेश में द्हंदू दद्लत वर्ग को वयापक गरीबी , बद्हष्काि और खाद्य असुरक्ा का सामना करना पड़ता है । रोज़गार के कई क्रेत्रदों सरे बद्हष्काि के अलावा वह भूद्म कबज़ा , द्हंसा और जबरन धर्म परिवर्तन का द्शकार भी बन रहरे हैं । बांगलादरेश में अत्यधिक हाद्शए पर रहनरे वालरे द्हंदुओं के समूह का द्वशरेष धयान रखनरे की आवशयकता है ।
भारत में मानवाद्धकार कार्यकर्ता और फैंसी द्शक्षाविद द्फद्ल्तीन और यूरिेन के बािरे में अद्धक जुनूनी और द्चंद्तत हैं । लरेद्कन जब भी बांगलादरेशी द्हंदुओं की हतयाओं का सवाल सामनरे आता है , तो कोई न कोई इसरे बांगलादरेश के इद्तहास , भूगोल , पार्टी के नाम और रणनीद्तक महतव के बािरे में अपनरे द्घसरे-द्प्टे ज्ान को द्दखानरे के अवसर के रूप में लरेता है । बांगलादरेश की भूद्म पर द्हंदू कब तक भागरेगा और कहां तक भागरेगा ? यह एक बड़ा प्रश्न है , जो द्हंदुओं के अस्ततव , अस्मता और अस्ततव पर मुंह फेर रहा है । यह जीवन की वास्तविकता है द्क कोई भी बचाव के द्लए नहीं आएगा , जब तक द्क वयसकत या स्पूण्थ समाज सामनरे आकर ठोस कार्रवाई करनरे का द्नण्थय नहीं लरेता है । �
iQjojh 2025 31