Feb 2025_DA | Page 30

रिपोर्ट

गई । इसके बाद भी वह बांगलादरेश में सबसरे बड़ा धाद्म्थक अलपसंखयक समूह बनरे हुए हैं । नई सहस्ाबदी के आि्भ सरे , द्हंदू जनसंखया को इ्लामी चरमपंद्रयदों के कारण बहुत नुकसान उठाना पड़ा है । परिणाम्वरूप उनका पलायन भारत में पसशचम बंगाल में हुआ । लगातार उतपीड़न के बावजूद , कुछ क्रेत्रदों में अपनी भौगोद्लक सघनता के कारण द्हंदू कुछ राजनीद्तक प्रभाव हाद्सल करनरे में सफल रहरे हैं । बांगलादरेश में द्हंदुओं का उतपीड़न इसके इद्तहास में एक द्निंतर द्वशरेषता रही है । वर्तमान में द्हंदू जनसंखया पूिरे बांगलादरेश में फैली हुई है , लरेद्कन द्वशरेष रूप सरे उत्ि और दक्षिण-पसशचम बांगलादरेश में केंद्रित है ।
भारत के द्वभाजन सरे पहलरे , द्हंदू बंगाल की जनसंखया का एक महतवपूर्ण हिस्सा ररे और इनमें सरे अद्धकांश अनुसूद्चत जाद्त के ररे । पाकिस्तान बननरे के बाद , कई द्हंदू परिवार पसशचम बंगाल के शहरी इलाकदों कलकत्ा में चलरे गए । इसी तरह का पलायन 1971 में गृह युद्ध के समय हुआ । हालांद्क 1988 में आठवें संवैधाद्नक संशोधन के अनुसार इ्लाम को बांगलादरेश का राजय धर्म बना द्दया गया था ( द्जससरे 1971 के संद्वधान को पल्ट द्दया गया था , द्जसनरे बांगलादरेश को एक धम्थद्निपेक्ष राजय घोद्षत द्कया था )। संद्वधान का अनुचछेद-41 अनय धमथों को मानयता दरेता है और नागरिकदों को अपनी धाद्म्थक मानयताओं का पालन करनरे और उनहें बढ़ावा दरेनरे का अद्धकार दरेता है । अनुचछेद-41 के अद्तरिकत प्रावधान द्कसी वयसकत को द्कसी धर्म का पालन करनरे सरे इंकार करनरे या अपनरे धर्म के अलावा द्कसी अनय धर्म में द्शद्क्त होनरे के अद्धकार की गारं्टी दरेतरे हैं । दंड संद्हता की धारा-295 , 296 , 297 और 298 धाद्म्थक ्रानदों या प्रथाओं के द्वरुद्ध होनरे वालरे अपराधदों सरे संबंद्धत हैं ।
इन प्रावधानदों और गैर-भरेदभाव के संवैधाद्नक द्सद्धांत के बावजूद , द्हंदुओं और अनय पर्यवेक्षकदों नरे आरोप लगाया है द्क द्हंदुओं के द्वरुद्ध गुपत और प्रतयक् भरेदभाव के साथ-साथ उनका प्रतयक्
उतपीड़न भी हो रहा है । आठवें संवैधाद्नक संशोधन को कई पर्यवेक्षकदों नरे पाकिस्तान की तरह ही बांगलादरेश में शरिया ( इस्लामिक कानून ) लागू करनरे की द्दशा में एक कदम के रूप में दरेखा । 1980 और 1990 के दशक के अंत में द्हंदुओं और अनय धाद्म्थक अलपसंखयकदों के द्वरुद्ध कट्टरपंथी आंदोलन बढ़ गया है । सबसरे गंभीर घ्टनाओं में सरे एक नवंबर 1990 में हुई झड़पें थीं , जब अयोधया में बाबरी ढांचरे के द्ववाद के दौरान उन्मादित मुस्लमदों की भीड़ नरे च्टगांव और ढाका में स्रत द्हंदू मंद्दिदों में आग लगा दी थी ।
द्हंदुओं को उनकी भूद्म और संपत्तियदों सरे वंद्चत करनरे का सबसरे स्पष्ट और आद्धकारिक रूप सरे सहन द्कया जानरे वाला साधन द्नद्हत संपत्ति अद्धद्नयम का उपयोग है । द्नद्हत संपत्ति अद्धद्नयम की जड़ें 1965 के उस शत्रु संपत्ति अधयादरेश में खोजी जा सकती हैं , जो भारत और पाकिस्तान के बीच सत्रह द्दवसीय युद्ध के
परिणाम्वरूप घोद्षत द्कया गया था । भारतीय नागरिकदों और भारत में रहनरे वालरे लोगदों की कंपद्नयां , भूद्म और भवन पाकिस्तान सरकार के द्नयंत्रण और प्रबंधन में आ गईं । हालाँद्क युद्ध समापत होनरे के बाद उनहें उनके असली माद्लकदों को लौ्टा द्दया जाना था , लरेद्कन 1971 में बांगलादरेश की ्वतंत्रता के समय तक युद्ध की स्थिति में कभी भी आद्धकारिक तौर पर नहीं लौ्टाई गई ।
शत्रु अद्धद्नयम को निरस्त करनरे के ्रान पर नवगद्ठत बांगलादरेश सरकार नरे द्नद्हत और अद्नवासी संपत्ति ( प्रशासन ) अद्धद्नयम-1974 के प्रावधानदों को सुदृढ़ द्कया । अप्रैल 2001 में , अवामी लीग नरे द्नद्हत संपत्ति रि्टन्थ द्वधरेयक ( 2001 ) पारित द्कया । नए कानून के प्रावधानदों के अनुसार , द्नद्हत संपत्ति अद्धद्नयम के अंतर्गत जबत की गई भूद्म मूल माद्लकदों या उनके उत्िाद्धकारियदों को वापस की जानी थी । द्नद्हत संपत्ति अद्धद्नयम की एक और द्विासत यह भी
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