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पर्व

देश , राज्य और राष्ट्र का आधार है समरसता सामाजिक समरसता का स्पष् संदेश दे रहा है महाकुं भ

संजय दीक्षित ns

श का अर्थ भौगोद्लक सीमा तथा राजय का अर्थ है प्रशासद्नक सीमा , द्कंतु राष्ट्र तो एक अवधारणा है और अवधारणाओं की कोई सीमा नहीं होती । राष्ट्रीय एकता और अखंडता के भावार्थ को स्पष्ट करतरे हुए महाकुंभ नरे द्वशव को एक गहरा संदरेश दरे द्दया है और यह सन्देश है-जाद्त-पांद्त , पंथ , संप्रदाय और पांद्रक उनमाद सरे उपर है राष्ट्रीयता । जैसरे द्हनदू राष्ट्र की कोई सीमा नहीं है , वैसरे ही द्हनदू संस्कृद्त भी सीमा िद्हत है । इसका वृहद रूप महाकु्भ नरे पूिरे द्वशव को बता द्दया । भारतीय संस्कृद्त में वयापत सामाद्जक समरसता के भाव को उत्ि प्रदरेश स्रत प्रयागराज में द्वशव का सबसरे बड़ा मरेलरे महाकुंभ में जाकर स्पष्ट रूप सरे दरेखा जा सकता है । द्त्रलोक के द्दवयतम अनुसनधान महाकुंभ में भारतीय समाज जीवन के उस मूलततव के दर्शन
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