Feb 2025_DA | Page 17

भारत में अ्पृशयता का उदय द्वदरेशी मुस्लम आरिांताओं के शासनकाल में हुआ । इसका एकमात्र कारण था द्हनदुओं का सब कुछ लू्टकर , उन पर भारी अतयाचार , व्यभिचार के उपरांत उनको तलवार की नदोंक पर मृतयुदंड सरे डराकर , इ्लाम ्वीकार कराना था । द्हनदू धर्म ग्रंथों में प्रक्षिपतता एवं द्हनदू समाज के प्रद्त भयानक दुर्भावना के सनदभ्थ में तथयातमक अधययन के द्लए इद्तहास के उन पृष्ठदों को पल्टा जाए जो यह प्रमाद्णत करतरे हैं द्क एक समय ऐसा भी था जब दरेश के पसशचमी त्ट पर एक शरणारमी के रूप में रोजी-रो्टी प्रापत करनरे के द्लए अरब एवं मधय एद्शया के दरेशदों की मुस्लम जनसंखया द्हनदु्रान के सनमुख नतम्तक थी । ईमान पर कुर्बान होनरे का ढदोंग करनरे वालरे लोग इ्लामी जरेहाद में इतनरे अंधरे हो गए द्क आ्तीन के सांप की तरह इस दरेश को डसनरे लगरे । उनके चरणबद्ध आरिमणदों का प्रहार झरेलतरे हुए द्हनदु्रान नरे कड़ा प्रद्तउत्ि द्दया , लरेद्कन द्वदरेशी मुस्लम आरिांताओं के द्ािा प्रारूद्पत आंतरिक कलह एवं वैमन्यता के कारण द्हनदू समाज की कमजोर पड़ गयी दीवार अभरेद्य नहीं रही ।
द्वदरेशी मुस्लम आरिांता आरिमणकारियदों का स्वाभिमानी , धमा्थद्भमानी एवं राष्ट्राद्भमानी द्हनदू धर्म िक्कदों सरे लगातार हुए संघर्ष के बाद
मुस्लम शासकदों नरे यह रणनीद्त बनाई द्क द्हनदुओं को गुलाम एवं द्हनदु्रान पर अगर शासन करना है तो द्हनदू धर्म एवं संस्कृद्त िक्क ब्ाह्मणदों एवं भौगोद्लक सीमा के िक्क क्षत्रियदों के साथ द्हनदू धर्म को नष््ट करना ही होगा । इसके बाद द्हनदु्रान पर मुस्लम शासकदों का जो अतयाचार शुरू हुआ , उसके तहत मंद्दि और दरेवालयदों के साथ ही द्हनदू धर्म ग्रंथों को खोज- खोज कर नष््ट द्कया गया । नालंदा के ग्ंरालय तो कई माह तक जलाया जाता रहा । द्हनदू समाज को तहस-नहस करनरे वालरे द्वदरेशी मुस्लम आरिांताओं नरे द्हनदुओं को इ्लाम में परिवद्त्थत करनरे के द्लए स्वाभिमानी एवं धर्म िक्क , दरेश िक्क योद्धा प्रजाद्त के युद्धबंदी क्षत्रियदों और ब्ाह्मणदों को अपमाद्नत और अस्तत्वविहीन करनरे के द्लए अ्वचछ कायथों में बलपूर्वक लगाया , उनको अपमानजनक स्बोधनदों तथा जाद्तसूचक नामदों सरे बद्हष्ककृत बनाया । इ्लाम को पूर्णतः अ्वीकार करनरे वालरे स्वाभिमानी द्हनदू समाज नरे इस्लामिक आरिांताओं के कठोर और द्वककृत अतयाचार को सैकड़दों वषथों तक ्वीकार द्कया ।
द्वदरेशी मुस्लम आरिांता के सुद्नयोद्जत षड्ंत्र के कारण मधयकाल के उपरांत भारत में पांच नए वगथों का उदय हुआ , द्जनमें मुस्लम ,
अ्पृशय , जनजाद्त , द्सख और ईसाई वर्ग को रखा जाता है । 1931 की जनगणना में अंग्रेजदों नरे द्डप्ररे्ड कलास नामक एक नया वर्ग बनाया और जाद्त के आधार पर भारत की जनगणना कराई गयी । अंग्रेजदों नरे उच्-द्नम्न की भावना को आगरे बढ़ाया । दद्लत जाद्तयदों के द्लयरे अलग द्नवा्थचन क्षेत्र की मांग को भी प्रायोद्जत द्कया गया । अंग्रेजदों नरे भारत में द्हनदू-मुसलमान , द्हनदू-द्सख , सवर्ण-अछूत आद्द के भरेदभाव को द्वद्भन्न तरीकदों सरे बढ़ाया और भारतीयदों की एकता को द्छन्न-द्भन्न द्कया । द्वदरेशी मुस्लम षड्ंत्र के तहत भारतीय समाज में पैदा हुआ अ्पृशय वर्ग मुस्लम शासनकाल के बाद अंग्रेजी शासकदों की सत्ा के द्लए नया मोहरा बना और भारत में अपनरे शासन को चिरस्थायी बनानरे के द्लए अंग्रेजदों नरे फु्ट डालो- राज करो की नीद्त अपनायी । अंग्रेजदों नरे उनको द्हनदू समाज सरे अलग करके " दद्लत " श्रेणी प्रदान की । इस प्रकार द्हनदू समाज को अपमाद्नत और द्वखंद्डत करनरे के अद्भप्राय सरे द्वदरेशी मुस्लम आरिांताओं और द्वदरेशी शासक अंग्रेजदों नरे रिमशः अ्पृ्य और दद्लत नामक जाद्त संवगथों की रचना की और दद्लतदों को अपनरे द्हतदों के द्लए केवल एक उपकरण बना कर रख द्दया । �
iQjojh 2025 17