जन्म दिवस पर विशेष
नागर जनां जनां मरेिी जाद्त द्बद्खयात चमार । कह रैदास खालास चमारा । गुरु रैदास द्जस क्षत्रिय जाद्त के ररे , इ्लाम न ्वीकार करनरे के कारण उनहें , उनके वंश एवं गोत्र के लोगदों का उतपीड़न करके उनहें चर्म-कर्म करनरे के द्लए बाधय द्कया गया । उनका परेशा भी धर्म-कर्म के ्रान पर ” चर्म- कर्म ” कर द्दया गया था । इस प्रकार गुरु रैदास क्षत्रिय सरे तथाकद्रत चमार जाद्त के हो गए और उनके साथ उनके वर्ग के सभी लोग ” चमार ” जाद्त के कहरे जानरे लगरे । हीन कर्म में लगरे होनरे सरे कालानति में अज्ानतावश ्वयं द्हनदू भी पद्वत्रता को दृसष््टगत करतरे हुए चर्मकर्म में द्लपत लोगदों के साथ भरेदभाव और ्रायी रूप सरे छुआछूत तक के बर्ताव करनरे लगरे । इस तरह द्वदरेशी मुस्लम आरिानता शासकदों की द्हनदू समाज को द्वखसणडत करनरे की कू्टनीद्त के द्शकार हुए । यही कारण है द्क गुरु रैदास की मूल जाद्त को भुला द्दया गया और बलात थोपी गयी जाद्त का नाम आज तक अद्भशपत है । संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास जो लगातार मुस्लम आरिानता शासकदों का जवाब दरे रहरे ररे , उनहें भी इस जयादती का द्शकार होना पड़ा था । संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास द्हनदू समाज के एक आराधय संत हैं जो जांद्त-पांद्त की सीमा सरे बाहर एक सच्चे धम्थिक्क द्हनदू महातमा है द्जनका मार्ग दर्शन आज स्पूण्थ द्हनदू समाज को प्रापत है । उन्होंनरे जाद्त प्रथा , अ्पृशयता , ऊंच-नीच का द्विोध करके वयसकत की समानता पर बल द्दया । उनका मानना था द्क मानव सरेवा ही ईशवि की भसकत का सववोत्कृष््ट माधयम है ।
गुरु रैदास का ्वजातीय कर्म पहलरे तो धर्म-कर्म और धर्म-युद्धदों सरे ही स्बसनधत था , जैसा द्क उनके द्पतामह हरिननदन और रघु आद्द नरे तप्या करके पुत्र-ित्नदों को प्रापत करनरे का यत्न द्कया था । ब्ाह्मणदों , द्भक्ुओं और सन्तों को भोजन-वस्त्रादि का दान-दक्षिणा दरेनरे के कार्य अपनरे क्षत्रिय जाद्त के अनुरूप ही स्पन्न द्कया था । शासन और सत्ा सरे ्टकरानरे के बदलरे में यद्द उन्होंनरे चर्म-कर्म को द्ववश होकर ्वीकार कर द्लया तो यह उनकी कमजोरी नहीं
समझी जानी चाद्हए । द्वदरेश मुस्लम आरिानताओं के प्रचणड अतयाचार एवं नरसंहार के साथ ही उनके स्वाभिमान एवं धम्थिक्ण युद्ध के द्वरुद्ध उनहें सजा के रूप में द्नम्न कायथों में लगाया गया । यही कारण है द्क संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास नरे आशचय्थ वयकत करतरे हुए अपनरे एवं अपनरे परिवार के संदर्भ में इस प्रकार कहा-
हम अपराधी नीच घर जन्मे कु्टु्ब लोग किरे
हंसी िरे । दारिद दरेख सभको हंसरे ऐसी दसा हमारी । जाके कु्टु्ब सब ढोर ढोवत , आज बनारसी
आसपासा । काशी डींह मांडूर ्राना , शुरि वरन करत
गुजराना । नागर जनां जनां मरेिी जाद्त द्बद्खयात चमार । कह रैदास खालास चमारा । संत रैदास द्ािा चमड़े के कार्य में लगरे रहकर लगातार समाज का मार्ग दर्शन करतरे रहना द्नशचयमरेव आशचय्थजनक एवं अविस्मरणीय है । द्हनदु्रान में द्हनदू समाज की दयनीय स्थिति तथा उसके द्लए उत्िदायी द्वदरेशी मुस्लम आरिानताओं के भयानक उतपीड़न एवं शोषण के स्मुख अद्वचल एवं दृढ़ होकर सामना करनरे का आह्ान करके संत द्शिोमद्ण गुरु रैदास नरे मुस्लम शासकदों को यह सोचनरे पर बाधय द्कया द्क वा्तव में द्हनदू धर्म का आधयासतमक पक् इतना सशकत है द्क द्हनदू धर्म और द्हनदुओं को समापत करना न केवल कद्ठन , बसलक असंभव है । गुरु रैदास नरेका कहना है द्क परेशदों ( वयवसायदों ) के प्रद्त अपनी मनोभावना को दूद्षत करना यद्द लोग छोड़ दें तो छुआछूत की सम्या नहीं रहरेगी । यूरोप एवं अमरेरिका में कोई भी वयसकत द्कसी भी परेशरे को आराम सरे करता है और लोग उसके साथ द्कसी भी तरह का भरेदभाव नहीं करतरे हैं । द्हनदु्रान में भी वह प्राचीन स्थिति वापस आनरे लगी है ।
मधयकाल में जब द्दलली की गद्ी पर द्वदरेशी मुसलमानदों का आद्धपतय था और इ्लाम अथवा मृतयु , दो में सरे द्कसी एक को स्वाभिमानी एवं धर्म के द्लए मुस्लम शासकदों सरे ्टकरानरे वालरे धमा्थद्भमानी द्हनदुओं को चुननरे का आदरेश
( फरमान ) जारी हो चुका था , उस समय भी गुरु रैदास नरे अतयनत निर्भीक होकर इ्लाम ्वीकार करनरे सरे इंकार कर द्दया था और द्हनदू धर्म की अचछाइयदों का इतना गंभीर एवं तीव्र प्रचार-प्रसार आि्भ कर द्दया था द्क सदना कसाई के रूप में अनरेक मुस्लम फकीर भी द्हनदू बननरे लगरे ररे । द्कसी भी द्हनदू संत की ओर सरे द्कया गया यह प्रथम प्रयास था । संत रैदास के इस सफल प्रयास को दरेखकर मुस्लम शासक पिरेशान हो उठा ।
गुरु रैदास का प्रचणड उतपीड़न करनरे का मात्र एक ही कारण था द्क वह सनातन द्हनदू धर्म का प्रचार-प्रसार करतरे ररे द्जससरे सदना कसाई जैसरे मुसलमान फकीर भी द्हनदू धर्म अपनानरे लगरे और द्हनदू सरे मुसलमान बनाए गए लोग भी पुनः द्हनदू बननरे लगरे । संत रैदास को इस कार्य सरे द्वित रखनरे के द्लए उनकी जाद्त बदली गई । क्षत्रिय सरे बलपूर्वक चर्म-कर्म में लगाकर उनहें चर्मकार बनाया गया , तप-साधना
10 iQjojh 2025