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तथय है कि विदेशी मुसलमञानों एवं मुगल आक्रान्ता शञासकों द्वारञा दलन करके हिनदू धर्म मञानने िञािे धमञा्यवभमञानी एवं स्वाभिमञानी लोगों को दलित बनञा दियञा गयञा ।
हिनदू समञाज में बड़े तीव्र गति से हो रहे परिवर्तन के सञाथ तत्कालीन समय में स्वाभिमञानी , धमञा्यवभमञानी एवं हिनदू धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष करने िञािे योद्धञा और वीरों को दबञाकर , कुचलकर एवं उनकञा बलपूर्वक दलन करके उनहें दलित बनञायञा गयञा जो हिनदू समञाज के लिए चिन्ता के सञाथ एक चिनतन कञा विषय थञा । विदेशी आक्रान्ता मुषसिम शञासकों की दुभञा्यिनञा के कञारण हिनदुओं कञा अषसतति खतरे में थञा । मुषसिम आक्रान्ताओं कञा उतपीड़न एवं अत्याचञार मञानवतञा के समक् एक चुनौती थी । अषसतति की लड़ञाई लड़ रहे हिनदू समञाज को सनत रैदञास के रूप में एक धुंधले प्रकञाश पुनज कञा दर्शन प्रञापत हुआ । गुरु रविदञास द्वारञा हिनदू समञाज को भषकत के आधयञाषतमक रस में डुबञाकर और लगञातञार अपने आपको उनहीं के समञाज कञा प्रतिनिधि होने कञा आभञास करञानञा , उनकी दूरदृष्ट कञा एक महतिपूर्ण उदञाहरण है । वह सर्वदञा अपने आपको रैदञास चमञारञा ’ इत्यादि शबदों से समबोवधत कर विदेशी आक्रान्ता शञासकों द्वारञा बलपूर्वक बनञाए गए िञाखों-िञाख चर्म-कमटी यञा तथञाकथित चर्मकञार जञावत के लोगों को आधयञाषतमक एवं मञानसिक बल देने कञा कञाय्य कियञा I वह उनहें धर्म के प्रति दृढ़ रहने एवं खोए हुए सम्मान तथञा स्वाभिमञान को प्रञापत करने के लिए उपदेशित करते रहे I
सनत शिरोमणि गुरु रविदञास सञामञावजक समरसतञा के क्ेत् में सियं एक उदञाहरण थे । भकत वसद्धञा मीरञाबञाई ने अपने आरञाधय भगिञान् श्रीकृष्ण के ई्िरीय तति कञा गुरु रविदञास के चरणों
में रहकर आभञास कियञा । मीरञाबञाई के भषकत मञाग्य कञा अनुसरण करते हुए छत्रापति रञाजञा महञारञाणञा संग्राम सिंह की रञानी झञािी एवं उनके बञाद सियं महञारञाणञा संग्राम सिंह भी गुरु रविदञास की शरण में आए I समञावजक भेदभञाि एवं असपृ्यतञा की मञानसिकतञा में बंटे तत्कालीन हिनदू समञाज ने भी कभी इसकी चिन्ता नहीं की कि गुरु रविदञास एक दलित पररिञार एवं जञावत के सदसय थे । कञाशी में हरूजनमें सनत शिरोमणि गुरु रैदञास को महञारञानी झञािी , िञारञाणसी से चित्ौड़ दुर्ग ले आईं । नितय उनके पैर पखञारने एवं चरण रज लेने िञािे रञाजञाओं के रञाजञा महञारञाणञा संग्राम सिंह उनके अननय वश्य थे । कञाशी नरेश एवं हजञारों ब्राह्मण , क्वत्य , वै्यों के सञाथ तत्कालीन तथञाकथित दलित समञाज के लोगों द्वारञा सनत रविदञास की गुरु भषकत उनके समरसतञा के संदेश एवं प्रखर आधयञाषतमक भञाि में डूबी हुयी गुरुबञानी उनको सञाथ्यक एवं समञाजोपयोगी सिद्ध करती है ।
सनत शिरोमणि गुरु रविदञास तत्कालीन विदेशी मुगल शञासकों के षड़यंत् एवं धर्म-परिवर्तन के योजनञानुसञार प्रयञास कर रहे दु्ट एवं चञािञाक फकीरों के सञाथ शास्त्रार्थ करके उनके षड़यंत् को लगञातञार विफल करते रहे । सनत शिरोमणि गुरु रविदञास की अनेकों बञार विदेशी आक्रान्ता मुसलमञान शञासकों के सञाथ भिड़नत भी हुई । मुसलमञान शञासकों एवं फकीरों को परञासत करके उनहें हिनदू बनञाने कञा कञाय्य भी गुरु रविदञास द्वारञा समपन्न हुआ । इस प्रकञार उनके ऐसञा करने से दलित हिनदुओं को सञाहस , बुद्धिमत्ता , दृढ़तञा एवं हिनदू धर्म के सञाथ अडिग रहने की प्रेरणञा तथञा सहनशीलतञा प्रञापत हुई । सनत शिरोमणि गुरु रविदञास द्वारञा दलित हिनदुओं को हिनदू धर्म की रक्षा के संघर्ष को गतिशील रखने की महनीय प्रेरणञा मिली । �
दलितों-वंचितों के कल्ाण
वाराणसी में प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने संत रविदास संग्रहालय साथ अन्य विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी
सं गोवर्धनपुर में संत गुरु रविदञास जनमसथिी मंदिर
त गुरु रविदञास की 647वीं जयंती के अवसर पर बनञारस हिंदू वि्िविद्यालय के पञास सीर
में संत रविदञास की नव स्थापित प्रतिमञा कञा उद्घाटन प्रधञानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने कियञा । इस अवसर पर प्रधञानमंत्ी मोदी ने संत रविदञास जनमसथिी पर लगभग 32 करोड़ रुपए के विभिन्न विकञास कार्यों कञा उद्घाटन और लगभग 62 करोड़ रुपए की िञागत से बनने िञािे संत रविदञास संग्हञािय और पञाक्क के सौंदयटीकरण की आधञारवशिञा रखी । इस अवसर पर उत्र प्रदेश के मुखयमंत्ी योगी आदितयनञाथ और संत गुरु रविदञास जनम स्थान मंदिर न्यास के अधयक् संत निरंजन दञास सहित अनेक गणमञानय लोग उपषसथत थे ।
िञारञाणसी षसथत संत गुरु रविदञास की जनमसथिी पर बने मंदिर में गत 23 फरवरी को आयोजित समञारोह में प्रधञानमंत्ी नरेनद्र मोदी ने देश भर से आने िञािे श्रद्धञािुओं की भञागीदञारी को ध्यान में रखते हुए , विशेष रूप से पंजञाब से कञाशी आने िञािे लोगों की भञािनञा की सरञाहनञा करते हुए कहञा कि कञाशी एक मिनी पंजञाब जैसञा दिखने लगञा है । प्रधञानमंत्ी ने संत रविदञास की जनमसथिी कञा दोबञारञा दौरञा करने और उनके आदशषों और संकलप को आगे बढ़ाने के लिए आभञार वयकत कियञा ।
प्रधञानमंत्ी मोदी ने इस बञात पर प्रसन्नतञा वयकत की कि कञाशी के प्रतिनिधि के रूप में उनहें संत रविदञास के अनुयञावययों की सेिञा करने कञा अवसर वमिञा । उनहोंने संत रविदञास जी की जनमसथिी के उन्नयन के लिए योजनञाओं कञा उलिेख कियञा , जिसमें मंदिर क्ेत् कञा विकञास , पहुंच मार्गों कञा वनमञा्यण , पूजञा , प्रसञाद आदि की
8 iQjojh 2024