मजबूर एवं िञाचञार लोगों को िञािच में फंसञाकर एवं छल-कपटकर धर्म परिवर्तन करिञाने िञािे पञाखंडी फकीरों ने हिनदुओं को अपनी मुट्ी में जकड़ रखञा थञा । हिनदू धर्म के स्वाभिमञानी योद्धञाओं को बलपूर्वक बनदी बनञायञा जञा रहञा थञा I ऐसे में संत रविदञास जैसे गुरुओं ने हिनदू धर्म रक्क के रूप में अवतरित होकर िञाखों-िञाख हिनदुओं की हिनदुति के प्रति आस्था को अडिग एवं चिरस्थायी बनञायञा । मुगल शञासकों द्वारञा धिसत किये जञा रहे मषनदरों एवं उन मषनदरों की रक्षा में कञाम आ रहे हजञारों हिनदुओं की जञान की रक्षा गुरु रविदञास ने निरंकञार भषकत कञा प्रचञार-प्रसञार करके कियञा । उनहोंने कण-कण में उस परमसत्ता के अषसतति कञा दर्शन करिञाकर हिनदुओं को मंदिर के रक्षा के नञाम मर मिटने से बचञा लियञा । आज भी सनत शिरोमणि गुरु रविदञास िञाखों- िञाख हिनदुओं के श्रद्धञा एवं आधयञाषतमकञास के केनद्र हैं । गुरु रविदञास को मञानने िञािों में जञावत-पञावत के भेदभञाि , उच्च-निम्न के भञाि-बोध एवं तथञाकथित दलित और उच्च वर्ण के कुभञािनञाओं के जञाि में जकड़े हुए हिनदू समञाज के प्रतयेक जञावतयों एवं िगषों के लोग हैं । गुरु रैदञास के भकतों में सञामञावजक समरसतञा एवं हिनदू समञाज की एकतञा के उदञाहरण इसलिए प्रञापत होते हैं , कयोंकि उनहोंने सर्वदञा आध्यातम एवं भषकत की वैसी ही बञातें कीं , जो एक आम हिनदू के मन में स्थान बनञा ले ।
हिनदू समञाज में भेद-भञाि , उच्च-निम्न के भञािबोध एवं तथञाकथित दलित जञावतयों के सञाथ तिरस्कार की भञािनञाओं के लिए विदेशी मुगलशञासकों एवं अरब के मुषसिम आक्रान्ताओं को उत्रदञायी ठहरञानञा अनुचित नहीं है । जिस प्रकञार युद्धबनदी हिनदुओं को मजबूर करके उनहें बलपूर्वक इस्लाम ग्हण करञायञा गयञा थञा , यह शञासक यञा शञासन के लिए किसी भी प्रकञार से उचित नहीं कहञा जञा सकतञा है । बड़ी क्रूरतञा एवं निर्लज्जतञा के सञाथ हिनदुओं को आर्थिक , सञामञावजक एवं सञांस्कृतिक रूप में दयनीय बनञाने की प्रवरियञा लगभग सभी विदेशी मुषसिम शञासकों के शञासनकञाि में हुई । हिनदू होने एवं शिखञा रखने पर ” जजियञा “ कर देने की मुगलकञािीन शञासकीय वयिस्था को आज भी हिनदू समञाज भूल नहीं पञायञा है । हिनदुओं की जमीन एवं वयिसञाय को छीनकर उसे दरबदर कर दियञा जञातञा थञा । इतनञा ही नहीं , उनहें धञावम्यक एवं सञांस्कृतिक कञाय्यरिमों को करने से रोकने के सञाथ ही सञाथ अनावश्यक शुलक एवं कर देने पड़ने थे । लोगों को दरबदर होकर अपनी भूमि एवं घरों को खोनञा पड़ञा । विदेशी मुषसिम आक्रान्ता शञासकों द्वारञा बञाधय होकर मैिञा ढ़ोने , मरे पशुओं को ढोने एवं चर्मकर्म करने के कञारण उनहें अपनी ही जञावत तथञा वर्ग में सञामञावजक प्रतिष्ठा से हञाथ धोनञा पड़ञा । गो-चर्म के कञाम में लगने के कञारण हिनदू समञाज में भी उनहें अपवित्रा एवं अछूत की संज्ञा प्रञापत हुई । इस प्रकञार वे आर्थिक हञावन उठञाकर भूमि एवं आिञास खोकर , और विवश होकर असिछ कार्यों में लगकर अपनी जञावत तथञा हिनदू समञाज में आतम प्रतिष्ठा खोकर दलित पहचञान के रूप में समञाज में स्थापित होते चले गये । यह निर्विकञार एवं वन्पक्तञापूर्ण
आध्ात्मिक ज्ान के प्रतीक थे संत रविदास : राष्ट्रपति श्ीरती द्रौपदी मुरदू ्म
गुरु रविदञास की जयंती पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने सभी देशिञावसयों को शुभकञामनञाएं दी । अपने सनदेश में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहञा कि वह गुरु रविदञास की जयंती के शुभ अवसर पर सभी देशिञावसयों को हञावद्यक बधञाई और शुभकञामनञाएं देती हैं I संत रविदञास आधयञाषतमक ज्ञान के प्रतीक थे । उनहोंने अपनञा जीवन आस्था और भषकत के सञाथ मञानवतञा की सेिञा के लिए समर्पित कर दियञा थञा । उनहोंने जञावत-आधञारित और सञामञावजक भेदभञाि के उनमूिन के लिए संघर्ष कियञा । गुरु रविदञास ने भषकत-सञाधनञा कञा पञािन करके समञाज में सद्भाव िञाने कञा प्रयञास कियञा । उनहोंने समञाज में शञांति , सवह्णुतञा और भञाईचञारे कञा संदेश फैिञायञा । उनहोंने लोगों को आतमज्ञान कञा मञाग्य दिखञायञा । हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनञाएं और अपने राष्ट्र के विकञास में सवरिय योगदञान दें ।
iQjojh 2024 7