रूप से मजबूत भी हो गयञा है , उनहें भी धञावम्यक स्थान एवं सम्मान की चञाह है । रविदञास मेले में आपको रोटी-प्याज खञाते गरीब के सञाथ-सञाथ कोट-टञाई पहने ऑसट्रेवियञा के एनआरआई भी खञासी तञादञाद में मिल जञाएंगे ।
कबीर पंथ , रविदञास पंथ , शिवनञारञायण पंथ ऐसे ही ‘ धञावम्यक स्थान हैं , जिनहें उपेवक्त समूहों ने अपने ‘ दुख की पुकञार के लिए , बरञाबरी की
चञाह एवं सञामञावजक सम्मान की आकञांक्षा से विकसित कियञा है । दलितों में छिपी इसी चञाह को समझते हुए कञांशीरञाम और मञायञािती ने दलित जनतञा को अपने सञाथ जोड़ने के लिए दलित समूहों के संतों और गुरुओं को सम्मान देने की रणनीति पर लंबे समय तक कञाय्य कियञा । कबीर , रविदञास जैसे संतों की मूर्तियञां बनिञाईं और उनके ‘ समृवत सथि विकसित किए । शञायद इतनञा स्थान भी दलित समञाज के लिए कञाफी नहीं थञा । उनहें और अधिक स्थान चञावहए थञा । उनहें हिंदू धर्म के देवी-देवतञाओं के भी मंदिर चञावहए । जो आर्थिक रूप से थोड़े मजबूत हैं , उनहें धञावम्यक तीथषों और धञावम्यक उतसिों को खुलकर मनञाने की भी छूट चञावहए । उनमें से
अनेक ने बौद्ध धर्म को अपने धञावम्यक स्थान के रूप में अपने लिए आविष्कृत कियञा ही है । सञाथ ही गञांवों में रहने िञािे तमञाम दलितों को ‘ अपने कुलदेवतञा पूजने की भी छूट चञावहए । पहले जहञां खेतों-बञागों में पीपल के पेड़ के नीचे मिट्ी के चबूतरे पर मूर्ति रखकर पूजञा की जञाती थी , वहञां अब छोटे मंदिर विकसित होने लगे हैं । जैसे-जैसे गञांवों में दलित-वंचित समूह आर्थिक रूप से
थोड़ञा बेहतर होतञा जञा रहञा है , वैसे-वैसे उनहें भवय मंदिर भी चञावहए । शञायद इसी भञाि की अभिवयषकत उनमें विकसित हो रही ‘ मंदिर की चञाह में प्रसफुवटत होती है ।
जयञापुरञा बनञारस के पञास प्रधञानमंत्ी नरेंद्र मोदी कञा गोद लियञा गञांव है । वहञां मुसहर जञावत की एक बसती है , जिसकञा नञाम ‘ अटलनगर रखञा गयञा है । उसके प्रवेश पर ही पेड़ के पञास एक छोटञा मंदिर बनञायञा गयञा है जिसमें ‘ शिवजी के सञाथ ‘ शबरी मञातञा की एक छोटी मूर्ति लगञाई गई है । गञांव में मुहसर जञावत के लोग बहुत दिनों से चञाह रहे थे कि , ‘ कञाश उनके लिए शबरी मञातञा कञा मंदिर होतञा , लेकिन उनके पञास ‘ शबरी मञातञा कञा एक छोटञा मंदिर बनञाने की न तो आर्थिक
शषकत है और न ही सञामञावजक तञाकत । आज वे इस मंदिर के बन जञाने से बहुत खुश हैं और गर्व से कहते हैं कि यहञां पचञास कोस तक शबरी मञातञा कञा दूसरञा कोई और मंदिर नहीं है । ऐसे ही सपेरञा जञावत में ‘ गोगञा पीर कञा मंदिर बनञाने की चञाह है जो सञांपों के देवतञा मञाने जञाते हैं , परंतु इस प्रयोजन के लिए उनके पञास भी आर्थिक- सञामञावजक शषकत कञा अभञाि है । वे कहते हैं कि अगले चुनञाि में नेतञाओं के समक् वे अपनी यह मञांग रखेंगे ।
देश के विभिन्न् हिससों में दलितों की अनेक जञावतयञां हैं और सभी जञावतयों के अपने-अपने देवतञा और नञायक हैं । इन देवतञाओं के मंदिर अथिञा परिसर विकसित होने से उनमें आतमसम्मान कञा भञाि तो बढ़तञा ही है , उनहें अपनञा धञावम्यक स्थान भी मिलतञा है , जहञां वे अपने लोगों के बीच अपने तौर-तरीकों के पूजञा- पञाठ कर सकते हैं । बिहञार में दुसञाध जञावत एक प्रभञािी दलित जञावत है । उनकी बषसतयों के पञास आपको अनेक देवी-देवतञाओं के मंदिर तो दिखेंगें ही , वहीं चूहड़मल , सहलेस , रञाहु एवं गोरेयञा देव के मंदिर भी मिलेंगे । मैं सिर्फ यह नहीं कहनञा चञाह रहञा हूं कि प्रतयेक दलित जञावत के जञातीय देवतञाओं के मंदिर हों । मेरञा बस इतनञा कहनञा है कि अनय सञामञावजक समूहों की तरह दलित एवं वंचित सञामञावजक समूहों में भी समञाज में धञावम्यक स्थान की चञाह रही है और मौजूदञा दौर में यह और बढ़ रही है । उनहें भी धञावम्यक बरञाबरी एवं अपने दुख-दर्द कञा बयञान करने के लिए देवस्थान चञावहए । वह भी हिंदू धर्म के अनेक देवी-देवतञाओं में जिसे चञाहें , उसे पूजने की छूट चञाहते हैं । वे अपनी जञावत से जुड़े कुलदेवतञा कञा भी मंदिर चञाहते हैं । कुछ बौद्ध के रूप में रहनञा चञाहते हैं , कुछ रविदञासी , कबीरपंथी एवं शिवनञारञायणी के रूप में अपनी धञावम्यक अषसमतञा चञाहते हैं । कई के जञातीय देवतञा उनकी अषसमतञाओं के महतिपूर्ण प्रतीक चिह्न हैं । उनके लिए सम्मानित जीवन कञा तञातपय्य रोजी-रोटी की बेहतरी के सञाथ सञाथ ‘ धञावम्यक स्थान की प्राप्ति भी है और हमें उनकी यह आकञांक्षा समझनी होगी । �
iQjojh 2024 31