Feb 2024_DA-1 | Page 28

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समय की गति के सञाथ यह प्रवृति समञाज में इस तरह व्यापत हो जञाती है कि हिंसञा के अंतर्निहित कञारणों को भुिञा दियञा जञातञा है । ऐसञा प्रतीत होने लगतञा है कि सिदेशी संस्कृति सियं हिंसञा को सिीककृवत देती है । भञारतवर्ष में इसके अनेकों उदञाहरण हैं जैसे बेटे को प्रञाथमिकतञा देनञा , बेटी की अपेक्षा बेटे के जनम पर अधिक जश्न मनञानञा , प्रौद्ोवगकी के आगमन के सञाथ कन्या भ्रूण हत्या , बञाि वििञाह , मवहिञाओं कञा पदञा्य करनञा , मवहिञाओं और िड़वकयों की गतिशीलतञा और शिक्षा पर प्रतिबंध इत्यादि ।
विदेशी आक्रांतञाओं के आरिमण और उपनिवेशीकरण के समय मंदिर और मवहिञाएं दोनों ही सञाि्यजनिक रूप से असुरवक्त रहे I गरीब , दलित सहित हर वर्ग इनके लूट , डकैती और बिञात्कार जैसे घृणित अपरञाधों के प्रति संवेदनशील रहे । परिणञामसिरूप आरिमण , जबरदसती और विनञाश के बहुत सञारे हिंसक चरणों के समय , सनञातन संस्कृति की प्रथञाओं और धर्म को बचञाने के लिए , हमञारे पूजनीय देवतञाओं के सञाथ हमञारे संबंधों को सुरवक्त रखने के लिए , हमञारे मंदिरों और मवहिञाओं को घर के अंदर िञायञा गयञा । उपनिवेशीकरण कञा उद्े्य सिदेशी संस्कृति , सिदेशी मवहिञाओं और सिदेशी ज्ञान की रक्षा करनञा बिलकुल भी नहीं रहञा है । यदि हम इतिहञास को देखें तो पतञा चलतञा है कि ऐसञा अफ़्ीकञा , अमेरिकञा , कनञाडञा और ऑसट्रेवियञा में भी हुआ । उपनिवेशिञादी रञाजय कभी भी एक रक्क के रूप में कञाय्य नहीं करतञा है , इसलिए उपनिवेशिञावदयों की प्रणञावियञां और संरचनञाएं उपनिवेशित आबञादी की सुरक्षा और भिञाई के लिए नहीं बनी हैं ।
यदि हम ऑसट्रेवियञा कञा उदञाहरण लें तो पतञा चलतञा है कि उपनिवेशीकरण के दो सौ िषषों के अंदर , ऑसट्रेवियञाई आवदिञासी / मूल वनिञासी हजञारों िषषों की अपनी संस्कृति से पूरी तरह से बेदख़ल कर दिए गए । वर्तमञान समय में ऑसट्रेवियञा की आवदिञासी मवहिञाएं तुलनञातमक रूप में वहञां की गैर-सिदेशी आबञादी से अधिक हिंसञा कञा अनुभव करती हैं । सुलह , सञामंजसय और उपचञार की प्रवरियञा में , ऑसट्रेवियञा इस बञात
को सिीकञार करतञा है कि आवदिञासी / मूल वनिञासी समुदञायों की मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा उपनिवेशीकरण और उनकी संस्कृति से टूटे हुए संबंधों कञा ही परिणञाम है । सभी उपलबध अभिलेख और सञाक्य बतञाते हैं कि उपनिवेशीकरण से पूर्व ऑसट्रलियञाई आवदिञासी / मूिवनिञासी समुदञायों में हिंसञा उनकी संस्कृति कञा हिस्सा कभी नहीं थी ।
पूर्वजों की संस्कृति से जुड़नञा और इस बञात को प्रकञाश में िञानञा कि मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा को संस्कृति द्वारञा अनुमोदित नहीं कियञा गयञा थञा – यह बञात मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा के समञाधञान खोजने के हिससे के रूप में अतयंत महतिपूर्ण है । सभयतञा और संस्कृति के सञाथ िञापस जुड़नञा वर्तमञान में भञारतवर्ष में हो रहञा है , वयुपनिवेशीकरण प्रवरियञा जिसके परिणञामसिरूप भञारतवर्ष में पुनः सनञातन धर्म कञा पुनरुत्थान हो रहञा है । प्रधञानमंत्ी नरेनद्र मोदी ने सितंत्तञा के
सौ सञाि पूरे होने तक पच्चीस सञाि के लिए पञांच संकलप किए हैं । संकलप में औपनिवेशिक मञानसिकतञा के किसी भी निशञान को जड़ से मिटञानञा है और अपनी मूल जड़ों पर गर्व करने की बञात कही गई है । इस तरह , पहली बञार , भञारतवर्ष में सरकञार द्वारञा उपनिवेशिञाद से मुषकत पञाने की प्रवरियञा की रूपरेखञा को प्रस्तावित कियञा गयञा है । हमञारे मंदिरों , पूजञाघरों कञा पुनर्स्थापन वयुपनिवेशीकरण की प्रवरियञा में एक बहुत ही महतिपूर्ण कदम है । उपनिवेशिञाद से मुषकत के सञाथ मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा के सञाथ-सञाथ ऐसे अनेकों समञाधञान भी आएंगे , जो केवल भञारतवर्ष ही पूरी दुनियञा को दे सकतञा है ।
गरीब , दलित एवं वंचित वर्ग की मवहिञाओं के विरुद्ध होने िञािी हिंसञा को रोकने के लिए जन-जन तक पहुंचने और उनसे जुड़ने की आि्यकतञा है । लोगों से जुड़ाव को अतयंत मजबूत बनञाने की आि्यकतञा है , लोगों से
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