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महिलाओं की गरिमा के लिए सदैव खडे रहे भगवान श्ीराम
तूलिका सक्सेना
अयोध्या में प्रञाण-प्रतिष्ठा कञाय्यरिम को लेकर पूरे देश कञा उत्साह अभूतपूर्व रहञा । इस आयोजन के लिए जिस तरह से भञारतवर्ष के सभी भञागों के लोग एक सञाथ आए , वह उन लोगों के लिए एक मजबूत खंडन के रूप में कञाम कर रहञा है , जो संशयिञादी थे और मंदिरों के स्थान पर असपतञािों यञा वि्िविद्यालयों के वनमञा्यण को प्रञाथमिकतञा देते थे यञा दे रहे हैं ।
अयोध्या शहर में तेजी से होती हुई प्रगति और विकञास श्री रञाम ििञा मंदिर के परिवर्तनकञारी प्रभञाि को प्रकट करतञा है । यह सञांस्कृतिक पुनुरुत्थान , अयोध्या से भी आगे चञारों ओर विसतृत रूप में फैिञा हुआ है , जो समपूण्य भञारतवर्ष में सनञातन धर्म के पुनजञा्यगरण में अतुलनीय योगदञान दे रहञा है । यह उद्घाटन और इसकञा प्रभञाि पहले से ही ध्यान देने योगय है , जो एक बड़े आंदोलन कञा संकेत है , जो श्री रञाम मंदिर के पुनःस्थापन के सञाथ तेजी से गति पकड़ रहञा है ।
इस सञांस्कृतिक और धञावम्यक पुनजञा्यगरण से प्रञापत होने िञािे विभिन्न परिणञामों कञा वि्िेषण और उनकञा अनुमञान लगञानञा अभी बहुत जलदबञाजी होगी । यद्वप , इस बञात कञा अनुमञान लगञायञा जञा रहञा है कि इससे सनञातन सभयतञा कञा आर्थिक और सञांस्कृतिक पुनरुत्थान होगञा , लेकिन इस बञात पर चचञा्य नहीं हो रही है कि भञारतवर्ष में मवहिञाओं , विशेषकर गत कुछ शताब्दियों के दौरञान , के विरुद्ध हिंसञा के लिए इसकञा क्या अर्थ हो सकतञा है । यह एक ऐसञा
विषय रहञा है , जिसके लिए भञारतवर्ष को अतीत में अतयंत बुरी प्रतिष्ठा कञा तथञाकथित ठप्पा लगञायञा गयञा है ।
यहञां तक की नञारीिञादी , िञामपंथी समूह और सिघोषित उदञारिञादी भी इसे मवहिञाओं से नहीं जोड़ रहे हैं । वह इस विकञास कञा वि्िेषण एक सप्ट चिंतञा , हतञाशञा , रिोध और निरञाशञा की भञािनञा के सञाथ कर रहे हैं । यह सञारे नञारीिञादी , िञामपंथी समूह और सिघोषित उदञारिञादी इसे बहुसंखयकिञाद के उदय , फञासीिञादी रञाजय के पुनरुत्थान , लोकतंत् में गिरञािट , धर्मनिरपेक्तञा की हञावन , मवहिञाओं की षसथवत में गिरञािट और अलपसंखयक अधिकञारों के दमन के रूप में देखते हैं । वह शञायद ही अयोध्या में मंदिर को मवहिञाओं के वखिञाफ हिंसञा जैसे मुद्ों के संभञावित समञाधञान के रूप में जोड़ेंगे । पिछले बीस िषषों से मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा के क्ेत् में कञाम करते हुए मैं भञारतवर्ष में इस कञाय्यरिम की क्मतञा को देख कर कह सकती हूं कि यह घटनञा , मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा की रोकथञाम के लिए ; समञाधञान खोजने कञा मञाग्य प्रशसत करेगी ।
वैश्िक सतर पर नञारीिञादी , मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा ( जिसमें घरेलू हिंसञा के सञाथ-सञाथ यौन हिंसञा भी सषममवित है ), से निपटने के लिए समञाधञान की तिञाश में वयसत हैं । दुभञा्यगय से , प्रतयेक गुजरते हुए वर्ष में , मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा कञा भयञािह खतरञा बनञा रहतञा है कयोंकि विभिन्न सरकञारी यञा गैर-सरकञारी संस्थानों के अभिलेखों में मवहिञाओं के विरुद्ध हिंसञा से समबंवधत आंकड़े यञा तो षसथर रहते हैं यञा फिर बढ़ते रहते हैं । अयोध्या कञा रञाम मंदिर मवहिञाओं
के विरुद्ध हिंसञा से निपटने में कैसे सहञायतञा कर सकतञा है , यह समझने के लिए हमें यह जञाननञा होगञा कि उपनिवेशीकरण , मंदिर और मवहिञाएं पस में एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं ।
वि्ि के अधिकञांश भञागों में उपनिवेशीकरण यञा आरिमण कञा एक पैटर्न , एक तरीकञा रहञा है । जहञां भी ऐसञा हुआ , इसने मूल आबञादी की अपनी संस्कृति और धञावम्यक प्रथञाओं से जुड़ाव को न्ट-भ्र्ट कर दियञा । इसे उपनिवेशिञादी के मूलयों , विश्वासों और धर्म से बदल दियञा गयञा यञा यह कह लीजिए कि उपनिवेशिञावदयों यञा आरिमणकञारियों ने अपने मूलयों , विश्वासों और धर्म को जबरन स्थापित कियञा । उदञाहरण के लिए ईरञान से पञारसी धर्म और अफगञावनस्तान से बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म कञा सफञायञा कियञा गयञा ।
यद्वप इस सनदभ्य में , भञारतवर्ष एक अपिञाद रहञा है कयोंकि एक हजञार सञाि से भी अधिक
26 iQjojh 2024