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लखीमपुर खीरी में दलित बेटियों की बर्बरतापूर्ण हतया करने वाले आरोपी
वर्तमयान दौर में '' जय भीम और जय मीम '' कया नयारया देकर सत्ता को हथिययाने की चेष्टा करने वयालों को रयाजनीति दलित वर्ग में भ्रम कया मयाहौल बनया रही है । कयारण यह है कि मुस्लिम संस्कृति में मुसलमयान को छोड़कर उनकया किसी अन्य संस्कृति से वयास्तविक भयाईचयारया नहीं हो सकिया है ।
उनके द्ारा किए गए संघषषों को हिदुति विरोध का रूप देकर तथाकथित दलित नेताओं द्ारा अपने अपने दलों के लिए दलितों को लुभाने का काम किया जा रहा है । दलितों की वर्तमान स्थति पर धयान देने की जगह , वितभन् राजनीतिक दल अपने ्िाथ्त सिद्ध करने के लिए दलितों का उपयोग कर रहे हैं । दलित समाज का नेतृति करने वाले कथित नेता ही दलित हितों का सौदा कर रहे हैं । दलित कलयार का दावा करने वाले राजनीतिक दल और दलित नेताओं के पास इस बात को कोई जवाब शायद नहीं होगा कि ्िरंत्रता के बाद से लगातार देश
में दलित कलयार और गरीबी हटाओ के नारे लगाकर , कलयारकारी कदम उठाने के दावे तो खूब किए गए , पर कई दशक बीत जाने के बाद भी दलित अभी भी कयों अपने जीवन स्थति को सुधारने के लिए भटक रहे हैं ? कई तह्सों में बंटे दलित नेता सिर्फ अपने वयसकरगत ्िाथ्त में ऐसे डूब गए कि उनका लक्य सिर्फ अपनी और अपने परिवार की आर्थिक स्थति को बेहतर और बेहतर बनाने पर ही केंतरित रहा । दलित समाज को भ्रम में रखकर अपने ्िाथ्त सिद्ध करने में जुटे दलित नेताओं को यह बात समझ में ही नहीं आयी कि मुस्लम और तब्तटश चिंतको
ने प्रभावित आर्थिक और सामाजिक मानसिकता का पहला और अंतिम लक्य भारतीय हिनदू समाज के अंदर सुनियोजित और षड़यंत्र के तहत दलित बना दिए गए एक बड़े वर्ग को सनातन संस्कृति से दूर करना था , जिससे वृहत्र सनातन संस्कृति को खंडित किया जा सके । उनका ऐसा मानना था कि दलितों का हितपोषण केवल गैर हिनदू मानसिकता के लोग कर सकते हैं । वर्तमान में स्थति यह है कि हिनदू धर्म को ही दलितों के पिछड़ेपन के कारण के रूप में प्रचारित किया जा रहा है । ऐसे ततिों को विगत ढाई हजार िषषों के ऐतिहासिक कुचक् से कोई लेना देना नहीं है । इसका मूल कारण उनका सिर्फ अपने हितों के लिए काम करना भी कहा जा सकता है ।
दलित वर्ग को भ्रमित कर मतांतरण कराने की षड्ंत्र
वर्तमान दौर में '' जय भीम और जय मीम '' का नारा देकर सत्ा को हथियाने की चेषटा करने
flracj 2022 9