eMag_Sept2022_DA | Page 44

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बहुत आहत हुए कयोंकि उनहें विशिास था पातक्रान में दलितों के साथ अनयाय नहीं होगा । लगभग दो साल में ही दलित-मुस्लम एकता का मंडल का खबाब टूट गया । जिन्ा की मौत के बाद मंडल 8 अकटूबर , 1950 को लियाकत अली खां के मंत्री मंडल से तयाग पत्र देकर भारत आ गये ।
इस्ीरे में किया धोखे का पर्दाफाश
जोगेंरि नाथ मंडल ने अपने खत में मुस्लम लीग से जुड़ने और अपने इ्रीिे की वजह को ्पषट किया । मंडल ने अपने खत में लिखा , “ बंगाल में मुस्लम और दलितों की एक जैसी हालात थी , दोनों ही पिछड़े और अशिक्षित थे । मुझे आशि्र किया गया था मुस्लम लीग के साथ मेरे सहयोग से ऐसे कदम उठाये जायेंगे जिससे बंगाल की बड़ी आबादी का भला होगा और हम सब मिलकर ऐसी आधारशिला रखेंगे जिससे सामप्रदायिक शांति और सौहादर्य बढ़ेगा । इनही कारणों से मैंने मुस्लम लीग का साथ दिया । 1946 में पातक्रान के निर्माण के लिये मुस्लम लीग ने ‘ डायरेकट एकशन डे ’ मनाया था । जिसके बाद बंगाल में भीषण दंगे हुए । कलकत्ा के नोआखली नरसंहार में हजारों हिंदुओं की हतयाएं हुई , सैकड़ों ने इ्लाम कबूल लिया । हिंदू महिलाओं का बलातकार और अपहरण किया गया । इसके बाद मैंने दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया । मैने हिंदुओं के भयानक दुःख देखे फिर भी मैंने मुस्लम लीग के साथ सहयोग की नीति को जारी रखा ।" 14 अग्र 1947 को पातक्रान बनने के बाद मुझे मंत्रीमंडल में शामिल किया गया । मैंने खिाजा नजीममुद्ीन से बात कर ई्ट बंगाल की कैबिनेट में दो पिछड़ी जाति के लोगो को शामिल करने का अनुरोध किया । उनहोंने मुझसे ऐसा करने का वादा भी किया लेकिन इसे टाल दिया गया जिससे मै बहुत हताश हुआ ।"
दलितों पर हुए अत्ाचार से हताश
मंडल ने अपने तयाग पत्र में पातक्रान में
दलितों पर हुए अतयाचार की कई घटनाओं तजक् किया , उनहोंने लिखा , “ गोपालगंज के पास दीघरकुल में एक मुस्लम की झूठी शिकायत पर ्थानीय नामशूरि परिवारों के साथ क्ूर अतयाचार किया गया । पुलिस के साथ मिलकर ्थानीय मुसलमानों ने नामसूरि समाज के लोगो को पीटा और घरों को लूटा । एक गर्भवती महिला की इतनी बेरहमी से पिटाई की गयी कि उसका मौके पर ही गर्भपात हो गया , तनदगोष हिंदुओं विशेष रूप से पिछड़े समुदाय के लोगो पर सेना और पुलिस ने हिंसा को बढ़ािा दिया । सयलहेट जिले के हबीबगढ़ में तनदगोष हिंदू पुरुषो और महिलाओं को पीटा गया । सेना ने न केवल तनदगोष हिंदुओं को बेरहमी से मारा बसलक उनकी महिलाओं को सैनय शिविरों में भेजने के लिए मजबूर किया ताकि वो सेना की कामुक इचछाओं को पूरा कर सके । मैं इस
मामले को आपके संज्ान में लाया था , मुझे इस मामले में रिपोर्ट के लिये आशि्र किया गया लेकिन रिपोर्ट नहीं आई ।”
पाकिस्ान की कलंक गाथा
मंडल आगे लिखते हैं , “ खुलना जिले के कलशैरा में सश्त्र पुलिस , सेना और ्थानीय लोगो ने निर्दयता से हिंदुओं के पूरे गाँव पर हमला किया । कई महिलाओं का पुलिस , सेना और ्थानीय लोगो द्ारा बलातकार किया गया । मैने 28 फरवरी 1950 को कलशैरा और आसपास के गांवों का दौरा किया । जब मैं कलशैरा में गया तो देखा वह ्थान खंडहर में बदल चुका है । लगभग 350 घरों को धि्र कर दिया गया था , मैंने तथयों के साथ आपको यह सूचना दिया लेकिन आपने कुछ नहीं किया । ढाका में नौ दिनों के प्रवास के दौरान मैंने दंगा
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