eMag_Sept2022_DA | Page 43

जाति वयि्था और छुआछूत के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया , मंडल ने 1937 के प्रांतीय विधानसभा चुनाव में एक ्िरंत्र उममीदवार के रूप में अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया । उनहोंने बखरागंज उत्र पूर्व क्षेत्र ( पूिनी बंगाल विधान , वर्तमान बांगलादेश ) से चुनाव लड़ा और भारतीय राषट्रीय कांग्ेस की जिला समिति के अधयक्ष सरकल कुमार दत्ा को पराजित किया जो कांग्ेस नेता असशिनी कुमार दत्ा के भतीजे थे , सुभाष चंरि बोस और शरतचंरि बोस ने मंडल को बहुत प्रभावित किया था । जब बोस
को कांग्ेस से निषकातसर कर दिया गया था तब मंडल मुस्लम लीग के साथ जुड़ गए और मुस्लम लीग के मुखयमंत्री
हुसैन शहीद सुहरािदनी के मंत्रिमंडल में मंत्री बने ।
डॉ . आम्ेडकर के बाद जिन्ना का थामा हाथ
जोगेंरि नाथ मंडल ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के साथ मिलकर अनुसूचित जाति संघ को पूिनी बंगाल में ्थातपर किया । उस समय पूिनी बंगाल की राजनीति में दलित और मुस्लम समुदाय का िच्त्ि था । मंडल ने सांप्रदायिक मामलों पर कांग्ेस और मुस्लम लीग के बीच अतयतिक राजनैतिक अंतर पाया ।
जब 1946 में सांप्रदायिक दंगे फैल गए तब जिन्ा के कहने पर उनहोंने पूिनी बंगाल के सभी क्षेत्रों में यात्रा किया और दलितों को मुसलमानों
के खिलाफ हिंसा में भाग न लेने के लिए तैयार किया । उनहोंने दलितों को समझाया कि मुस्लम लीग के साथ विवाद में कांग्ेस के लोग दलितों को इ्रेमाल कर रहे हैं ।
असम के सयलहेट को जोड़ा पाकिस्ान में
जब पातक्रान बना तो मंडल के कहने पर लाखों दलित पातक्रान चले गये कयोंकि मंडल को विशिास था कि मुसलमान उनका साथ देंगे और उनहें अपनाएंगे लेकिन उनके साथ कया हुआ , इसे जानना और समझना बहुत जरूरी है , 1946 में अंतरिम सरकार बनी तो कांग्ेस और मुस्लम लीग ने अपने प्रतिनिधियों को मंत्री पद के लिए चुना और मुस्लम लीग ने जोगेंरि नाथ मंडल का नाम भेजा । पातक्रान बनने के बाद मंडल को कानून और श्म मंत्री बनाया गया कयोंकि वह मुहममद अली जिन्ा के बहुत करीबी थे और असम के सयलहेट को पातक्रान में मिलाने में महतिपूर्ण भूमिका निभाया था । 3 जून 1947 की घोषणा के बाद असम के सयलहेट को जनमत संग्ह से यह तय करना था कि वो पातक्रान का तह्सा बनेगा या भारत का । उस इलाके में हिंदू मुस्लम की संखया बराबर थी । जिन्ा ने उस इलाके में मंडल को भेजा और मंडल ने वहां दलितों का मत पातक्रान के पक्ष में झुका दिया जिसके बाद सयलहेट पातक्रान का तह्सा बना जो आज बांगलादेश में है ।
पाकिस्ान ने तोड़ा मंडल का भ्रम
पातक्रान निर्माण के कुछ वकर बाद ही गैर मुस्लमो को निशाना बनाया जाने लगा । हिनदुओ के साथ लूटमार , बलातकार की घटनाएँ सामने आने लगी । मंडल ने इस विषय पर सरकार को कई खत लिखे लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी । जोगेंरि नाथ मंडल को बाहर करने के लिये उनकी देशभसकर पर संदेह किया जाने लगा । मंडल को इस बात का एहसास हुआ कि जिस पातक्रान को उनहोंने अपना घर समझा था अब वह उनके रहने लायक नहीं है । मंडल
flracj 2022 43