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पीड़ितों के आरोपों की पूरी पड़ताल करने के बाद ही कार्रवाई करने का लनददेश देनेवाली मायावती से जाटव समाज का भी मोहभयंग होता चला गया । इसी का नतीजा है कि आज बसपा को यूपी की राजनीति में अपना अषसततव बचाए रखने के लिए सयंघर्ष करना पड़ रहा है ।
भाजपा ने दिया दलित समाज को सर्वाधिक
सम््ि सपा और बसपा की तुलना में दलितों के
साथ भाजपा के जुड़ाव की विवेचना करें तो यह इकलौती पाटटी है जिसे खुलकर दलित समाज के पषि में खड़़े होने में कोई दिककत नहीं है । अगर आयंकड़ों को देखें , तो भाजपा इस वकत देश की सबसे बड़ी दलित पाटटी है । सीएसडीएस रिपोर्ट के मुताबिक , साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 24 फीसदी दलितों का वोट हासिल हुआ , वहीं कायंग्रेस को 18.5 फीसदी और बसपा को 13.9 फीसदी वोट मिले थे ।
अगर उत्तर प्रदेश के नजरिए से देखें तो आयंकड़़े बताते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में गैर जाटव का 61 फीसदी वोट भाजपा को मिला वहीं , 11 फीसदी जाटवों ने भी भाजपा के पषि में वोट किया था । बीते लोकसभा चुनाव में दलित समाज में भाजपा की सवीकार्यता में और अधिक इजाफा देखा गया और एषकसस माई इयंलिया के आयंकड़़े बताते हैं कि साल 2019 में करीब 60 फीसदी गैर जाटव के साथ 21 फीसदी जाटव ने भी भाजपा को वोट दिया । तभी तो दलितों के हित में जितना काम भाजपा ने किया है उतना इससे पहले किसी ने नहीं किया । पिछले विधानसभा चुनाव में सूबे के दलितों के समाज
यह बात सभी दलों को अच्ी तरह से पता है कि दलितों का समर्थन ही उत्र प्रदेश में सफलता कती कुं जी है । तभी तो दलितों कती अपेषिाओं को पूरा करने में कोई भी दल पीछे नहीं रहना चाहता है । लेकिन सिर्फ भाजपा ही है जिसका समीकरण दलितों के पषि में खुल कर सामने आने से नहीं बिगड़ता है वर्ना सपा चाह कर भी दलितों के पषि में खुलकर नहीं बोल सकती क्ोंकि उसका परंपरागत वोट बैंक ही दलित विरोध के लिए उसके पषि में रहता है ।
ने प्रदेश की 86 रिजर्व सीटों में से 85 सीटें भाजपा को देकर उसे ऐतिहासिक सफलता दिलाई तो बदले में भाजपा ने भी यूपी के दलित समाज से आनेवाले रामनाथ कोलवयंद को रा्ट्पति के पद पर बिठाने को लेकर एक बार भी सोच — विचार नहीं किया । यहायं तक कि लव्व के सबसे सशकत राजनेताओं के तौर पर सथालपत होने के बाद प्रधानमंत्री नरेनद्र मोदी ने खुद अपने हाथों से दलित समाज के सफाईकर्मियों के चरण धोए । भाजपा के पूर्व अध्षि और मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह ने भी दलित समाज के साथ बैठकर उनके ही हाथों से बना और परोसा गया भोजन पूरी श्द्धा से ग्रहण किया । भाजपा ने अपने सभी नेताओं और पदाधिकारियों को सप्ट लनददेश दिया हुआ है कि वे समय — समय पर दलितों के समाज के बीच जाकर रालरि — प्रवास करें , उनके साथ ही भोजन करें और उनकी समस्ाओं के बारे में जानकारी लेकर उसका निराकरण करें । दलितों के प्रति भाजपा का स्ेह और सममान इस बात से भी समझा जा सकता है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एट्ोलसटी एकट को कमजोर करने का प्रयास किया तो केनद्र की मोदी सरकार ने बिना देर किए सयंसद में सयंलवधान सयंशोधन करके दलितों के हितों की रषिा के कानून को नए सिरे से मजबूती दी । यहायं तक कि केनद्र की सत्ता में दलित वर्ग को समुचित प्रतिनिधितव देने के लिए भाजपा ने अनुसूचित जाति से आने वाले 12 सायंसदों को केनद्री् मंत्री का ओहदा दिया हुआ है ।
मतदाताओ ंकी उम्ीदों पर खरी उतरी भाजपा
राज् में क़रीब सौ सीटें हैं , जहायं हर बार नज़दीकी मुक़ाबला होता रहा है । 2017 के विधान सभा चुनाव में भी 104 सीटें ऐसी थीं , जहायं हार-जीत का फासला 15 हज़ार वोटों से कम था । इस चुनाव में क़रीब आधा दर्जन सीटें ऐसी थीं , जहायं हार-जीत का अयंतर 500 वोटों से भी कम था । राज् में कुल 44 सीटें ऐसी थीं , जहायं हार-जीत का फासला 5 हज़ार वोट से कम था । कुल 31 सीटों पर हार-जीत का अयंतर 10
flracj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 9