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हज़ार वोट से कम रहा , जबकि 29 सीट पर जीत का फासला 15 हज़ार से कम था । क़रीब एक दर्जन सीटें ऐसी भी थीं , जहायं हार-जीत का अयंतर 15-17 हज़ार के बीच था । इस लिहाज से देखें तो इस बार के विधानसभा चुनाव में भी ऐसी ही सौ से ज्ादा सीटें निर्णायक साबित होंगी । इसमें भाजपा के पषि में जो सबसे बड़ी जाती है वह है पायंच साल के योगी राज में एयंटी इनकमबेंसी फैकटर का नदारद होना । बषलक इसके उलट इस बार रिवर्स इनकमबेंसी फैकटर भाजपा के लिए काम करता हुआ दिख रहा है क्ोंकि पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा ने हर लिहाज से खुद को अधिक सशकत किया है और जनता के समषि अपने विजन की पूरी तसवीर प्रामाणिकता के साथ सामने रखी है । पिछले चुनाव में भाजपा के प्रदेश में कोई चेहरा नहीं था जबकि इस बार योगी आदित्नाथ के सशकत , लोकप्रिय और प्रामाणिक चेहरे के साथ भाजपा मैदान में उतरेगी । पिछली बार भाजपा के पास गिनाने के लिए केवल केनद्र सरकार का काम था जबकि इस बार राज् सरकार के काम भी बताए जाएयंगे । पिछली बार मतदाताओं को सिर्फ उममीद थी भाजपा से लेकिन इस बार उनहें लव्वास है भाजपा पर । जनता ने योगी सरकार का काम देखा है , विकास की बयार देखी है , भेदभाव , पषिपात और भाई — भतीजावाद के अलावा भ््टाचार पर पूर्ण अयंकुश
सपा और बसपा कती तुलना में दलितों के साथ भाजपा के जुड़ाव कती विवेचना करें तो यह इकलौती पाटटी है जिसे खुलकर दलित समाज के पषि में खड़े होने में कोई दिक्कत नहीं है । अगर आं कड़ों को देखें , तो भाजपा इस वक् देश कती सबसे बड़ी दलित पाटटी है ।
देखा है , अपराध और अपराधियों के खिलाफ कठोर और निर्णायक कार्रवाई देखी है , डबल इयंजन की सरकार से कई गुना बढ़ी विकास और सुधार की ताकत देखी है , जापानी बुखार से मुषकत देखी है , सवास्थ् सुविधाओं का सघन होता जाल देखा है , चौबीसों घयंट़े बिजली की उपलबधता देखी है , हर षिेरि में द्रुत गति से हो रहा सवाांगीण विकास देखा है । जो उत्तर प्रदेश बीमारू राज्ों की सूची में अववि रहता था वह आज तेजी से विकास कर रहे राज्ों की सूची
में सबसे ऊपर दिखाई पड़ रहा है ।
खाली जा रहा विपक्ष का वार , भाजपा जाएगी 325
के पार दूसरी ओर भाजपा के विरोधियों की बात
करें तो भ्ामक , निराधार और नकारातमक बातें करके लोगों को उकसाने और बरगलाने का प्रयास करने के अलावा उनके पास दूसरा कोई चुनावी हथियार नहीं है जिससे वे प्रदेश की योगी सरकार पर मजबूती से वार करने की हिममत दिखा सकें । उलटा अपनी जनविरोधी नीतियों के जाल में विपषिी दल खुद ही बुरी तरह उलझे हुए दिख रहे हैं । सपा की बात करें तो कोरोना काल में जनता की सहायता के लिए सामने आने के बजाय पाटटी के नेता सोशल मीडिया के माध्म से ही उस मुख्मंत्री योगी की आलोचना करते हुए दिखाई पड़़े जिसने कोरोना की चपेट में आने के भय को किनारे करके अपनी जान हथेली पर रखकर हर जनपद और बिॉक की खाक छानने और पीड़ितों के बीच जाकर उनहें राहत पहु यंचाने में रात — दिन अपना खून — पसीना एक कर दिया । एक ओर जनता की पीड़ा दूर करने में मुख्मंत्री योगी इस कदर खुद को झोंके हुए थे कि पिता की मृत्ु होने पर वे उनके अयंलतम सयंसकार में भी शामिल होने नहीं गए जबकि दूसरी ओर कोरोना से बचाव के लिए टीके का इजाद हो जाने के बाद सपा अध्षि अखिलेश यादव और उनके सहयोगियों ने इस बात की पुरजोर कोशिश की ताकि लोग टीका लगवाने के लिए आगे ना आएयं । यानी एक ओर अपनी राजनीति चमकाने के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले विरोधी हैं तो दूसरी ओर सूबे के हित में अपना सर्वसव दायंव पर लगा देनेवाले योगी हैं । यह फर्क जनता को नहीं समझ आ रहा होगा ऐसा तो सोचना भी बचकाना ही है । लिहाजा भाजपा ने ' अबकी बार 325 के पार ' का जो जनादेश मायंगा है उससे कहीं अधिक सीटें भी भाजपा के खाते में आ जाएयं तो कोई आ्च््ण की बात नहीं होगी । �
10 दलित आं दोलन पत्रिका flracj 2021