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राजनीतिक सशक्ीकरण से होगा दलित वर्ग का सामाजिक सशक्ीकरण

अभी तक दलों कती सोच थी कि दलितों का सामाजिक सशक्तीकरण होगा तो उनका राजनीतिक सशक्तीकरण स्वत हो जाएगा । भाजपा ने इस सोच को उलट दिया है । वह दलितों के राजनीतिक सशक्तीकरण से ही उनका सामाजिक सशक्तीकरण करना चाहती है ।

डॉ . एके वर्मा ch

ते दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में घटित घटनाएयं दलित राजनीतिक विमर्श में नए रुझान का सयंकेत करती हैं । इसमें एक प्रश्न यही उभरा है कि क्ा अब दलितों को अषसमता से अधिक आकांक्षाएयं आकर्षित कर रही हैं ? बिहार में दलित राजनीति की अगुआ मानी जाने वाली लोक जनशषकत पाटटी में आयंतरिक उठापटक चल रही है । वहीं उत्तर प्रदेश में रामअचल राजभर और लालजी वर्मा जैसे कई कई दलित नेताओं को मायावती ने पाटटी से निकाल दिया । यह महज एक इत्तेफाक है या इसके पीछ़े कोई ‘ अयंिर करेंट ’ है ? विगत 74 वरगों में बाबू जगजीवनराम को छोड़ कोई दलित नेता रा्ट्ी् सतर पर पनप नहीं पाया । उत्तर प्रदेश में मायावती और बिहार में रामविलास पासवान को आयंलशक सफलता ही मिली । वैसे मायावती ने 2007 में प्रभावी flracj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 11