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का प्ार मिला , हमने देखा कि कैसे ‘ लपयंक ’ या ‘ थपपड़ ’ ने मिसॉजिनी ( स्ी जाति से द्ेर ) को दर्शाया । इस तरह की फिलमों ने मुद्ों को सयंबोधित किया , जिससे हम सभी को अपने पाखयंि और दायरे से आगे बढ़कर वासतलवकताओं और सच्ाइयों का सामना करना पड़ा । अमोल के मुताबिक एक लनददेशक के रूप में उनहोंने अकसर मजबूत महिला पारिों वाली फिलमें बनाई हैं , जिनहोंने पितृसत्ता के पारयंपरिक मान्ताओं को चुनौती दी है , लेकिन उनहोंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के ' विध्वंसक ' मुद्ों पर और फिलमें बनाने की जरूरत है ।
सत्य घटना पर आधारित “ 200 : हल्् हो ”
अगर अमोल पालेकर अभिनीत फिलम “ 200 : हलिा हो ” की बात करें तो इसमें सैराट फेम अभिनेरिी ररयंकू राजगुरु , असुर वेब सीररज़ में काम करने वाले अभिनेता बरुण सोबती , जोगवा फेम अभिनेता उपेंद्र लिमये , अभय फिलम के
अभिनेता इयंद्रनील सेनगुपता और फिलम सोनी में नजर आईं सलोनी बरिा मुख् भूमिकाओं में हैं । फिलम में लोकप्रिय यूट्ूबर साहिल खट्र बलातकार के आरोपी की भूमिका निभा रहे हैं । यह फिलम 2004 में 200 दलित महिलाओं द्ारा गैंगसटर और बलातकारी भरत कालीचरण उर्फ अककू यादव की हत्ा के बाद की घटना पर आधारित है । 2004 में नागपुर में दलित महिलाओं के एक समूह ने बलातकार और यौन शोषण के एक अभियुकत अककू यादव की भरी अदालत में हत्ा कर दी थी । फ़िलम ‘ 200- हलिा हो ’ उस सच्ी घटना से प्रेरित है । लनददेशक सार्थक दासगुपता ने 17 साल पहले हुई उस दिल दहला देने वाली घटना को वर्तमान सयंदभगों में प्रासयंलगक बनाते हुए अपनी फ़िलम के ज़रिये यह बताने की कोशिश की है कि दलित-वयंलचत समूह की महिलाएयं हमारे सामाजिक ढायंचे में किस तरह सबसे निचली पायदान पर हैं । इन महिलाओं को हर मोचदे पर शोषण का शिकार होना पड़ता है और सारी सयंवैधानिक व्वसथाओं
के बावजूद हमारी समूची न्ा् प्रणाली किस तरह दलितों-वयंलचतों के साथ पूरा न्ा् नहीं कर पा रही हैं । ऐसे में दलित-वयंलचत वर्ग का गुससा लहयंसा के रूप में फूट पड़ता है । यह क़ानूनी तौर पर ग़लत है लेकिन क्ा हमारी मौजूदा व्वसथा कोई और रासता छोड़ रही है ? फ़िलम यह सवाल बड़़े झन्नाट़ेदार तरीक़े से उठाती है । फिलम सट्रीमिंग पिेटफॉर्म ‘ जी5 ’ पर रिलीज हुई है । फिलम “ 200 : हलिा हो ” से अमोल एक दशक बाद एक्टंग में वापसी कर रहे हैं । अमोल ने कहा कि बड़़े पददे से उनकी अनुपषसथलत का मुख् कारण चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं की कमी है । ‘ एक अभिनेता के रूप में मैं एक धूमकेतु की तरह हूयं , जो एक दशक में एक बार सतह पर आता है । मैंने हमेशा भूमिकाएयं तभी सवीकार कीं , जब उनहोंने मुझे एक अभिनेता के रूप में चुनौती दी हो या ये फिलम में महतवपूर्व योगदान देती हैं ।’ उलिेखनीय है कि अमोल पालेकर की पिछली रिलीज 2009 की मराठी फिलम सामायंतर थी , जिसका उनहोंने लनददेशन भी किया था । �
46 दलित आं दोलन पत्रिका flracj 2021