fo ' ks " k
दलित वर्ग को शिक्षित करने की चुनौती
घनशयाम कुशवाहा iz
त्ेक देश या समाज की अभिव्षकत या पहचान उस देश और समाज में रहने वाली जनसयंख्ा की लशषिा व्वसथा पर निर्भर करता है । लशषिा से हमारा तातप््ण जिसके द्ारा हमें अपने बारे में , अपने समाज तथा अपने आस- पास की समसत चीजों के बारे में जानकारी प्रापत होती है ; तथा जिसके द्ारा हमें अपनी वैज्ालनक
दृष्टकोण बढ़ाने और वसतुलन्ठता का बोध होता है । लशषिा को परिभाषित करते हुए प्रख्ात समाजशासरिी इमाइल दुखटीम लिखते हैं , “ लशषिा अधिक आयु के लोगों द्ारा ऐसे लोगों के प्रति की जाने वाली लक्ा है जो अभी सामाजिक जीवन में प्रवेश करने के योग् नहीं है । इसका उद्े्् शिशु में उन भौतिक , बौद्धिक और नैतिक विशेषताओं का विकास करना है जो उसके लिए समपूर्ण समाज और पर्यावरण से अनुकूलन करने
के लिए आव््क है ।“ इस प्रकार दुखटीम लशषिा को मानव के भौतिक , बौषधदक एवयं नैतिक विकास तथा पर्यावरण से अनुकूलन का एक साधन मानते हैं ।
हम जानते हैं भारतीय समाज विविधताओं से भरा समाज है जिसमें लगभग प्रत्ेक धर्म व सयंप्रदाय के लोगों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के वर्ग व जातियायं पायी जाती हैं । लशषिा का प्रथम उद्े्् सभी को समान रूप से बिना भेदभाव किये
36 दलित आं दोलन पत्रिका flracj 2021