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अनुसूची बनाई गई , क्ोंकि आदिवासी षिेरि आजादी के पहले भी सवा्त्त थे । वहायं अयंग्रेजों का शासन-प्रशासन नाम मारि का था । आदिवासियों की अपनी सवचछनद जीवनचर्या एवयं उनके अपने लवलश्ट रीति रिवाजों के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने इन षिेरिों को बलह्कृत और आयंलशक बलह्कृत की श्ेरी में रखा था । गरीबी बभुखमरी मिटाने के नाम पर अपना धर्म बढ़ाया था ।
जन की जात उसकी उस जगह की पात से होती है जहाँ उसने अपनी जड़ें जमाकर आदिकाल से अपनी उपासना भावना उस भूमि के प्रति समर्पित की हो । सभ्ता का विकास अचानक नहीं हुआ । धीरे धीरे आदि मानव की सोच विकसित होती गयी और वो सभ् का दामन ओढ़ता गया । भारत भूमि सदैव से अपनी
उपजाऊ षिमता के कारण आकर्षण का केंद्र रही है । हमारी आदि सभ्ता का उलिेख शासरिों में विधिवत सतयुग , रिेतायुग , द्ापरयुग से होते हुए कलयुग का है मगर मानव जीवन के प्रारमभ की कहानी और भी पुरानी है । भारत भूमि में लव्व जीव को आतमसात करने की षिमता ने ही इसे विविधता का रूप प्रदान किया है । लव्व का कोई भी देश ऐसा नहीं जहाँ इतनी अधिक बोली , भाषाएयं बोली जाती है । मजबूत पेड़ की जड़ से लेकर शाखाओं में जितनी मजबूती व विविधता होती है उतनी ही लगभग हमारे देश में है । सभी जाति के लोग आजादी के बाद अपने हक के साथ आगे बढ़ते गये । जनजाति में अनेक लोग पढ़ लिखकर उच् पदों पर सरकारी नौकरी कर रहे हैं । अनेक एसटी नेता जनताका नेतृतव कर रहे हैं । मोबाईल सेवा ने
नेट के साथ देश के कोने कोने में सभी सुविधाओं को जोड़ा है । लशषिा के प्रसार ने आदि जनजाति को आधुनिकता से प्रेरित किया है । देश की राजधानी में देश विदेश से अनेक छारि छारिाएयं पढ़ने आते हैं । दिलिी लव्वलवधालय में ही अनेक जनजाति के बच्े पढ़ते हैं जिनहें देखकर अनुमान करना मुश्कि हो जाता है है कि वो ट्ाईब हैं ! क्ोंकि वो लशषिा प्रापत करके आधुनिक शहरी बन गये हैं ।
हमारे सयंलवधान ने हमारी राज् एवयं केनद्र की सरकारों को समाज के इन सबसे कमजोर और सयंवेदनशील लोगों के सयंरषिर , सुरषिा की जिममेदार सौंपी थी , जिसका निर्वहन हमारी सरकारें करती आयी हैं और वर्तमान केंद्र व राज् सरकारें और भी मजबूती से कर रही हैं । �
flracj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 35