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आदिवासी : आदिकाल से आदि निवासी ew

संगीता कुमारी
ल निवासी ही आदिवासी हैं । वर्तमान समय में शहर गाँवों कसवों में रहने वाले सभी जीव कभी ना कभी आदिवासी ही थे । सभ्ता के विकास की दहलीज जिसने जितनी जलदी जयंगल से निकलकर पार कर ली वो सभी आदिवासी षिेरि से बाहर हो गये ! अर्थात हम सभी धरतीवासी कभी ना कभी आदिवासी ही थे । यह सत् है कि हम सभी कभी जयंगलों के ही वासी थे । क्ोंकि प्रकृति में जयंगलों के साथ हमने जनम लिया । शहर एकाएक नहीं बसे ! वर्तमान में जो भी प्रकृति के समीप जयंगलों , पहाड़ो , बर्फ या रेगिसतान जैसे कठिनाईयों से भरे जगहों में रहते हैं ; उनहें हम आदिवासी कहते हैं । सुख सुविधाओं से दूर रहने वाले जनजाति या आदि जनजाति प्राकृतिक जीवन जीते हुए कठिनाई भरा जीवन जीते हैं । ये लोग बुनियादी जरूरतों की कद्र करते हैं । उनहें पता है कि सूर्य से ही जीवन है इसलिये सभी आदिवासी सूर्य की अराधना करते हैं । उनहें पता है कि पेड़ों से ही जीवन है इसलिये वो लोग पेड़ों की पूजा करते हैं ।
प्राचीनकाल में आदिवासियों ने भारतीय परयंपरा के विकास में महतवपूर्ण योगदान दिया था और उनके रीति रिवाज और लव्वास आज भी लहयंदू समाज में देखे जा सकते हैं । यह निश्चत है कि वे प्रारमभ से ही भारतीय समाज और
सयंसकृलत के विकास की प्रमुख धारा में मिल गए थे । आदिवासी समूह लहयंदू समाज के अधिकायंश महतवपूर्ण पषिों में समान है । हिनदू और आदिवासी दोनों ही महादेव की पूजा मे विशेष लव्वास
रखते हैं । जल , पेड़ पौधे , सूर्य , वायू , अलनि , गाय , सर्प आदि की पूजा आदिवासी लहयंदू बहुत ही समर्पण भाव से करते हैं । आदिवासी हिनदू प्रकृति की पूजा व 33 प्रकार के देवी देवता की
flracj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 33