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तालिबान के हिमायतियों पर बरसे कवि — शायर कु मार विश््स ने कहा ' कु त्् ', मनोज मुंतशिर ने भेजी लानत
भारत में रहकर तालिबान की तरफदारी करने और उसके प्रति हमददटी जताने वाले मुनववर राना अकेले नहीं हैं । ऐसा करने वाले ना तो ये पहले हैं और ना ही आखिरी । बषलक इस कड़ी में कई बड़़े नाम भी शामिल हैं और कई गुमनाम भी । तालिबानियों की हिमायत करनेवाले ऐसे तमाम लोगों पर देश के मशहूर कवियों और शायरों का एक बड़ा तबका बुड़ी तरह भड़क उठा है । भारत की धरती से तालिबानियों की हिमायत में उठनेवाली आवाजों से कई कवि और शायर कितनी बुरी तरह चिढ़े हुए हैं इसका सहज अयंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिनदी मयंच के सबसे बड़़े मौजूदा कवियों में गिने जानेवाले कुमार लव्वास ने तालिबानियों के हिमायतियों
को परोषि तौर पर ' कुत्ता ' तक कह दिया है । इसी प्रकार मौजूदा समय में रा्ट्वादी लेखन करने वाले बड़़े नामों में शुमार होनेवाले मनोज मुयंतशिर ने ऐसे ततवों को अपनी हरकतों से बाज आने की सलाह देते हुए कड़़े कड़़े लहजे में लानतें भेजी हैं । तालिबान की तारीफ करने वालों को मशहूर कवि कुमार लव्वास ने अपने अयंदाज में जवाब देने के कम में बिना किसी का नाम लिए कहा है कि '' ज़़्ादा दिमाग न लगाइए । अगर पड़ोस के घर में मची अफरातफरी के कारण , लजयंदगीभर आपसे इज्जत पाने वाले और आपके घर में रह रहे , बदबूदार सोच से भरे किसी जाहिल शखस का पर्दाफाश हो रहा है तो शोक नहीं , शुक मनाइए कि दो पैसे की प्ािी गई ( वो भी पड़ोसियों
की ) पर कुत्ते की जात पहचानी गई ।'' हालायंलक कुमार लव्वास ने तो किसी का भी सीधे तौर पर नाम लेने से परहेज बरत लिया लेकिन ' तेरी मिट्ी में मिल जावायं ' जैसी देशभषकत से ओतप्रोत गीत के रचयिता गीतकार मनोज मुयंतशिर ने बकायदा मुनववर राना का नाम लेकर उनके बयानों के प्रति अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर तालिबानी आतयंकी नहीं बषलक अफगानिसतान को आजादी दिलाने वाले लोग हैं फिर तो आज़ाद क्मीर की मायंग करने और वादी में बेगुनाहों का खून बहाने वाले भी आतयंकवादी नहीं हैं । राना साहब , मजबूर कर रहे हैं आप कि मैं अपनी लाइब्रेरी से आपकी किताबें हटा दूयं । “ बाज़ आ जाइए !”
है । भारत को तालिबान से डरना नहीं चाहिए । उस देश में बहुत कुछ ठीक नहीं हो रहा था , लेकिन एक भी घटना नहीं थी जहायं किसी भी भारतीय को किसी तालिबान या अफगान ने नुकसान पहुयंचाया । उनहोंने कहा कि अफगानिसतान में तालिबानी जैसा कर रहे हैं , उससे अधिक कूरता तो भारत में होती है , हम तो दयंगे करवाने में लव्वगुरु हैं । वे इतने पर ही नहीं रुके बषलक सयंभल के सायंसद डॉ . शफीकुर्रहमान का भी बचाव किया । राना के मुताबिक डॉ . बर्क ने तालिबान के पषि में जो बयान दिया उसमें कुछ भी गलत नहीं है क्ोंकि तालिबानी बुरे लोग नहीं हैं । वह तो हालात की वजह से वह ऐसे हो गए हैं । उन पर भरोसा किया जा सकता है । राना ने भारतीयों पर तयंज कसते हुए यहायं तक कह दिया कि हम दयंगे करवाने में लव्वगुरु हैं , तो हम थोड़़े-से कठमुलिों से क्ों डरें ?
तालिबानियों की हर
हरकत को ठहराया जायज
मुनववर राना की नजर से देखें तो तालिबानियों ने अफगानिसतान में ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिसे गलत ठहराया जा सके । यही वजह है कि राना ने किसी भी मामले में तालिबान को गलत बताना जरूरी नहीं समझा है । बषलक राना ने अफगानियों और तालिबानियों को अमेरिका द्ारा सतायी गई निरीह कौम करार दिया है । राना के मुताबिक केवल अफगान जानते हैं कि उनहोंने पिछले 20 वर्ष कैसे बिताए । वहायं पर अमेरिकियों के लिए एक इयंसान को मारना , महज एक चींटी को मारने जैसा है और उनहेंयं किसी की भी परवाह नहीं है । अफगानिसतान में तालिबानियों द्ारा महिलाओं बरपाए जा रहे जुलमो — सितम पर पर्दा डालते हुए मुनववर राना ने कहा कि सऊदी अरब में भी इसी तरह के हालात हैं । इस मुद्े पर पूरे युग की बात होनी चाहिए । तालिबानी कोई पागल नहीं हैं । राना का मानना है कि जितनी कूरता अफगानिसतान में है , उससे ज्ादा
28 दलित आं दोलन पत्रिका flracj 2021