eMag_Sept2021_DA | Page 26

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बिजली बिल माफी के नाम पर दलित मजदूरों को धोखा दे रही अमरिंदर सरकार

जाब में कैपटन अमररयंदर लसयंह की अगुवाई

पयं में चल रही कायंग्रेस की सरकार दलित समाज के मजदूरों के साथ बिजली बिल माफी के नाम पर धोखा कर रही है । एक तरफ दलितों को घरेलू बिजली बिलों पर प्रति माह 200 यूनिट माफी की सुविधा दी गई है परनतु दूसरी तरफ दिहाड़ीदार दलित परिवारों को पायंच , दस , बीस व 25 हजार , 50 हजार से लेकर लाखों रुपये में बिजली बिल भेजे गए है । पावरकाम की ओर से दलित मजदूर परिवारों को बड़ी रकमों में बिजली बिलों की अदायगी न होने कारण इन गरीब परिवारों के बिजली कनेकशन काटकर तपती गमटी में बिजली से वयंलचत किया जा रहा है । मचछर व गमटी के कारण मजदूरों का बुरा हाल है ।

साथ ही दलित समाज के बच्ों व युवाओं की पढ़ाई लिखाई भी इससे बुरी तरह प्रभावित हो रही है । इस सयंबयंधी ग्रामीण मजदूर यूनियन के लुधियाना जिला प्रधान अवतार लसयंह रसूलपुर ने कहा कि वह पयंजाब सरकार व पावरकाम की ओर से दलित परिवारों से की जा रही धोखाधड़ी को हर्गिज सवीकार और बदा्ण्त नहीं कर सकते हैं । उनहोंने ऐलान किया कि अमररयंदर सरकार की इस धककेशाही के खिलाफ मजदूरों को लामबयंद करके वे कड़ा और बड़ा सयंघर्ष शुरू करेंगे । किसी भी दलित मजदूर परिवार को बिजली सपिाई से वयंलचत नहीं होने दिया जाएगा । उलिेखनीय है कि सरकार के बिजली विभाग की इस मनमानी के कारण गुससाए जगराओ इलाके
में षसथत गायंव रसूलपुर में पावरकाम की ओर से दलित परिवारों के कनेकशन काटने के विरोध की शुरूआत हो गई है । इस सम्बंध में जगराओ के विधायक सरबजीत कौर मानूके ने भी पयंजाब सरकार द्ारा दलित मजदूरों को अधिक बिजली बिल भेजे जाने और उनकी शिकायत की कहीं भी सुनवाई नहीं होने की कड़ी लनयंदा की । उनहोंने गायंव-गायंव जा लोगों की बिजली बिलों को लेकर लोगों की समस्ाएयं सुनी हैं और कहा है कि वे जलद पयंजाब सरकार से इस समस्ा पर बात करके इसका समाधान करेंगी । इस मौके पर गरीब लसयंह , जिदर लसयंह , कर्म लसयंह , अजैब लसयंह , गुरमेल कौर , रणजीत कौर , शिदर कौर आदि मौजूद रहे ।
अके ले अपने दम पर बसपा बेदम
अकाली दल ने रा्ट्ी् राजनीति में अपनी सवीकार्यता बढ़ाने के लिए भाजपा के साथ तालमेल करके बसपा का साथ छोड़ दिया तो बसपा अपने दम पर कोई कमाल नहीं कर सकी और हाशिए पर चली गई । 1992 के चुनाव में पयंजाब में 9 सीटें जीतने वाली बसपा को 1997 के चुनाव में महज़ एक सीट ही मिली । और उसके बाद तो उसको एक सीट के भी लाले पड़ गए । 2017 के चुनाव में बीएसपी ने 111 सीटों पर अपने उममीदवार उतारे थे , जिसमें से 110 सीटों पर उसके उममीदवारों की ज़मानत ज़बत हो गई । उसका वोट भी महज़ डेढ़ प्रतिशत रह गया । बीएसपी की इस कमजोर षसथलत के लिए यह पाया गया कि अकेले चुनाव लड़ने की वजह से बीएसपी उममीदवारों के चुनाव जीतने की कोई समभावना न देखकर उसका कोर वोटर भी
उससे दूर हो गया और वह अलग-अलग चुनाव के मौके पर अलग-अलग दलों को अपनी सुविधानुसार वोट करने लगा । लेकिन अब जबकि अकाली दल ने बीएसपी के साथ फिर से गठबयंधन किया है तो उसे लगता है कि किसी दलित को डिपटी सीएम बनाए जाने के ऐलान के ज़रिए दलित वोटर्स को एकमु्त अपने पाले में लाया जा सकता है ।
एकजुट दलित समाज ही बनवाएगा सरकार
चुयंलक अकाली दल और बसपा का गठबयंधन पहले भी गुल खिला चुका है लिहाजा इस बार के चुनाव में उनके एक साथ आने को कोई भी पाटटी कतई हलके में नहीं ले रही है । यही वजह है कि अकाली दल-बीएसपी गठबयंधन को खुला मैदान न देने के लिए कायंग्रेस और बीजेपी को भी दलित कार्ड खेलना पड़ रहा है । नतीजन पयंजाब की राजनीति के केनद्र में दलित समाज
आ गया है । इसमें एक पहलू यह भी है कि अकाली और बसपा की राहें जुदा हो जाने के बाद गुरमीत रामरहीम इनसा का ि़ेरा सच्ा सौदा भी दलित समाज के मतदाताओं के काफी बड़़े वर्ग को मनमुताबिक पाटटी के साथ जोड़ने में काफी हद तक कामयाब होते रहे थे । लेकिन बलातकार के मामले में दोषी पाए जाने के बाद अपने करतूतों की सजा भुगत रहे राम रहीम की ियंबे समय से गैर — मौजूदगी के नतीजे में उन पर लव्वास करनेवाले दलित समाज को इस बार अपना रहनुमा अपनी मजटी से ही तय करना है । ऐसे में दलित समाज की एकजुटता की भूमिका प्रदेश में काफी हद तक बन चुकी है । ऐसे में फिलहाल यह कहना तो बेहद मुश्कि है कि दलित समाज का कितना समर्थन किस दल को मिलेगा लेकिन इतना तो तय ही है कि पयंजाब में अपनी सरकार बनाने में वही कामयाब होगा जिसे दलित समाज का सहयोग और समर्थन हासिल होगा । । �
26 दलित आं दोलन पत्रिका flracj 2021