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इस बार पंजाब में भी दलित समाज ही निर्णायक
चतुष्ोणीय चुनावी मुकाबले में निर्णायक होगा दलित समाज का समर्थन प्रदेश में दलित समाज कती एकजुटता का आधार तैयार
चंचल ढ़ींगरा
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त्तर प्रदेश के साथ ही पयंजाब में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं । पयंजाब के चुनावी समीकरण पर गौर करें तो वहायं चौकोना मुकाबला होने के आसार है । सत्तारूढ़ कायंग्रेस को पटखनी देने के लिए शिरोमणी अकाली दल ने बसपा के साथ चुनावी गठजोड़ किया है जबकि केनद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और दिलिी में सत्तारूढ़ आम आदमी पाटटी भी चुनावी अखाड़़े में जबर्दसत ताल ठोक रही है । इस चतु्कोरीय मुकाबले में चुनावी सफलता का ऊंट किस करवट बैठ़ेगा और सत्ता के स्वयंवर में सफलता की वरमाला किसके गले में पड़़ेगी यह तो अभी भलव्् के गर्भ में है । लेकिन निर्णायक दौर में चल रही सभी दलों की चुनावी तैयारियों में जो एक बात साझा दिख रही है , वह है दलित समाज के मतदाताओं को रिझाने की जी — तोड़ कोशिशें ।
दलितों को लुभाने में जुटे सभी अकाली दल के शीर्ष सयंचालक सुखबीर लसयंह
बादल ने कहा कि राज् में उनकी सरकार बनने
पर दो डिपटी सीएम बनाए जाएयंगे , जिनमें से एक डिपटी सीएम दलित समाज से होगा और राज् के दोआब इलाके में डॉ भीमराव आमबेिकर के नाम पर एक लव्वलवद्ाि् भी सथालपत किया जाएगा । अकाली दल के इस बयान के बाद बीजेपी के रा्ट्ी् महासचिव तरुण चुघ उनसे एक कदम और आगे बढ़ गए । उनहोंने कहा , ' अगर अगले साल पयंजाब विधानसभा चुनावों में बीजेपी सत्ता में आती है तो दलित मुख्मंत्री बनाया जाएगा ।' अब भला कायंग्रेस पीछ़े कैसे रहती । लिहाजा पाटटी के एक विधायक मदनलाल का बयान आया कि अकाली दल और बीजेपी सत्ता में आने के बाद की बात कर रही हैं । कायंग्रेस तो सत्ता में है । उसके पास तो मौका है , उसे
फौरी तौर पर दलित समाज से किसी को डिपटी सीएम बना देना चाहिए । मदन लाल के बयान के इसलिए भी खास मायने निकाले जा रहे हैं क्ोंकि वह कैपटन अमररयंदर लसयंह के गृह जिला पटियाला से आते हैं । प्रदेश की तीनों बड़ी पार्टियों के इन बयानों से ही आसानी से यह अयंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार पयंजाब के चुनाव में दलित फैकटर कितना महतवपूर्ण साबित हो रहा है । यह बेवजह तो कतई नहीं है कि प्रदेश में कोई भी पाटटी दलित समाज को रिझाने में पीछ़े नहीं दिख रही है और हर कोई दलित कार्ड खेल रहा है । वैसे भी पयंजाब में हमेशा से ही दलितों की आबादी सबसे ज्ादा रही है । वहायं करीब 32 प्रतिशत दलित समाज की आबादी
flracj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 23