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योगी सरकार दिलाएगी अहेरिया समाज को अधिकार

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हेरिया भी बहेलिया जाति से ही समबद्ध है । चू यंलक , समाज में बहेलिया जाति को अपेलषित सममान नहीं मिलता था , इसलिए इनहोंने अपने मूल नाम के आगे अहेरिया टाइटिल लगाना शुरू कर दिया । कुछ दिनों बाद षसथलत यह आ गई कि बहेलिया जाति के बजाय इनहें अहेरिया जाति से पहचाना जाने लगा । लेकिन आज भी बहेलिया और अहेरिया लोगों में रोटी-बेटी का सयंबयंध है । वैसे भी 1897 में विलियम कूक द्ारा लिखी किताब द ट्ाइबस एयंि कास्टस ऑफ नॉर्थ वेसटन्ण इयंलिया ईएसए में बहेलिया और अहेरिया को एक ही बताया गया है । पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के लनददेश पर गठित राज्सतरीय सकूटनी कमेटी ने लखनऊ
षसथत अनुसूचित जाति एवयं जनजाति शोध एवयं प्रलशषिर सयंसथान से प्रापत रिपोर्ट के आधार पर जो सयंसतुलत दी उसके बाद अब इस बात में कोई सयंशय नहीं रह गया है कि करवल , पासिया और अहेरिया ये सभी बहेलिया जाति के ही सदस् हैं । उत्तर प्रदेश के समाज कल्ार विभाग के अनुसार बहेलिया , करवल , पासिया और अहेरिया जाति के लोग मुख् रूप से मथुरा , एटा और अलीगढ़ में रहते हैं । सरकारी गजट सन् 1950 , 1962 , 1994 के मुताबिक , अहेरिया ( बहेलिया ) जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा चुका है । लेकिन आज तक इस समाज के लोगों को जाति प्रमाण जारी नहीं किया गया है ।
वर्तमान में अहेरिया जाति अनुसूचित जाति ,
अनुसूचित जनजाति एवयं अन् पिछड़़े वर्ग की किसी भी सूची में नहीं है । अहेरिया जाति के लोगों का मुख् पैतृक कार्य खेती किसानी , मजदूरी , जयंगल जाकर शहद निकालना , बेर तोड़ना , बाग बचाना , कबूतर व खरगोश पकड़ना , शिकार करना आदि है । अहेरिया व बहेलिया जाति की सामाजिक , आर्थिक , धार्मिक एवयं शैलषिक षसथलत लगभग सामान् है जिससे अहेरिया जाति अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किये जाने हेतु निर्धारित मानदणिों के अनुरूप पायी गयी है । लिहाजा अब उत्तर प्रदेश सरकार ने तय किया है कि अहेरिया जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का प्रसताव केनद्र सरकार को भेजेगी । �
22 दलित आं दोलन पत्रिका flracj 2021