eMag_Sept2021_DA | Page 20

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अहेरिया-बहेलिया को अधिकार और सम्ान की तलाश अं ग्ेजों ने किया अन्याय , स्वतंत् भारत में भी नहीं मिला न्याय

जितेन्द्र रावल

हद अफसोस की बात है कि देश cs

को आजाद कराने में बहुत बड़ी
भूमिका निभानेवाले अहेरिया — बहेलिया समाज के साथ मध् काल से लेकर ब्रिटिश काल और अब सवतंत्र भारत में भी अन्ा् हो रहा है । अगर इतिहास को पलटकर देखें तो मुख् रूप से इस जाति के लोगों का पेशा शिकार करना था और ये अकसर जयंगली सूअर का शिकार करते थे । चुयंलक इसिाम में सूअरों से बेहद घृणा की जाती है लिहाजा विदेशी इसिालमक आकायंताओं व खास तौर से मुगलिया शासन के दौरान इनहें शासक वर्ग की भारी नफरतों का सामना करना पड़ा । वह भी तब जबकि मुगल काल से पूर्व यह शासक समाज था और इस समाज के लोगों का ना सिर्फ राज — पाट था और जमींदारी थी बषलक कई जगह इनके बड़़े — बड़़े महल व चौबारे भी थे । लेकिन मुगलों ने अपनी नफरत के कारण इनहें दर — बदर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया । उस दौरान विदेशी आकायंताओं के खिलाफ सयंघर्ष करते हुए इस समाज के लोग महाराणा प्रताप के नेतृतव में मुगलों से िड़़े और इनकी वीरता
के सामने उनके दायंत खट्टे हो गए ।
अं ग्ेिों ने घोषित कर दी जरायम पेशा जाति
देश में मुगलिया शासनकाल के दौर की समाषपत और ब्रिटिश राज की सथापना के बाद जब 1857 में कायंलत का बिगुल बजा तो इस देशभकत समाज के लोगों ने अयंग्रेजों को अपना दु्मन मान कर उनसे छद्म युद्ध लड़ा और अयंग्रेती हुकूमत की ईंट से ईंट बजा दी । इनकी गुरिलिा तकनीक के हमलों ने अयंग्रेजों की नाक
में दम करके रख दिया और इसका नतीजा यह हुआ कि बौखलाए फिरयंलग्ों ने इस पूरे समाज को ही जरायम पेशा जाति घोषित कर दिया । यहायं इस बात को याद रखा जाना चाहिए कि अयंग्रेजों की नजर में तो भगत लसयंह और चयंद्रशेखर आजाद भी अपराधी थे । किनतु क्ा वे अपराधी थे ? वह तो सवतंत्रता सेनानी थे । इसी प्रकार अयंग्रेजों की दृष्ट में यह जाति भी अपराधी थी लेकिन वासतव में यह जाति भी सवतंत्रता सेनानी जाति ही थी । इन ऐतिहासिक तथ्यों को ध्ान में रखते हुए केनद्र की मोदी सरकार को चाहिए
20 दलित आं दोलन पत्रिका flracj 2021