मधयकाल में हिन्दू उत्पीड़न ्पराकाषठा ्पर ्पहुंच गया । जो हिन्दू कमजोर थे एवं प्रचंड उत्पीड़न और अतयाचार के समक्ष घुटने टेक दिए थे , वह धर्म बदलकर मुसलमान बन गए , किनिु कट्टर , सवातभमानी एवं धर्माभिमानी हिन्ुओं ने असवचछ कर्म करना सवीकार किया , लेकिन हिन्दू धर्म को तयागने से इंकार कर दिया । ्परिणाम यह निकला कि मुससलम धर्म को ्पदूण्तरू्पेण ठुकरा देने वाले हिन्ुओं को सामाजिक , आर्थिक , राजवंशीय एवं धार्मिक सिर ्पर छिन्न-भिन्न कर दिया गया । उनका धन-दौलत , मकान , किला , भदूतम इतयात् छीन लिया गया और उनहें गरीबी , बदहाली , दयनीय और तव्परीत ससरतियों में में जीवन जीने के लिए बाधय किया गया । कालांतर में उनहें बल्पदूव्तक असवचछ कायषों में लगा दिया गया , जिससे वह अ्पने ही हिन्दू समाज में पवित्रता की अवधारणा के अनुसार अलग-थलग होकर अस्पृशय होते चले गएI उनहोंने सर ्पर मैला ढोना और मृत
बिहार में जाति गणना के आकंड़ों में राजय में त्पछड़ा एवं अति त्पछड़ा वर्ग का प्रतिशत 63 और अनुसदूतचि जातियों- जनजातियों का प्रतिशत 21 बताया गया । जाति गणना के आंकड़े बताते हैं कि बिहार की 13 करोड़ जनसंखया में हिन्दू जनसंखया 82 प्रतिशत , जबकि राजय में 18 प्रतिशत मुससलम जनसंखया है । मुससलम जनसंखया भी जातियों में बंटी हुई है । राजय में 36.01 प्रतिशत जनसंखया अतयंि त्पछड़ा वर्ग की और 27.12 प्रतिशत जनसंखया त्पछड़ा वर्ग की है । बिहार सरकार ने यह आंकड़े दो करोड़ 83 लाख 44 हजार एक सौ सात ्परिवारों से जुटाए हैं । इन ्परिवारों में ्पुरुषों की संखया छह करोड़ 41 लाख 31 हजार नौ सौ 92 है । महिलाएं उनसे लगभग 30 लाख कम हैं । उनकी संखया छह करोड़ 11 लाख 38 हजार चार सौ 60 है । स्पषट है कि राजय में प्रति एक हजार ्पुरुष ्पर महिलाओं की संखया 953 है । इसके साथ ही 53 लाख 72 हजार 22 वयसकि असरायी तौर ्पर बिहार से बाहर रह रहे है । राजय की नीतीश कुमार सरकार ने स्पषट किया कुल 13 ्पहलुओं ्पर एकत् किए गए आंकड़े गो्पनीय हैं । वयसकिगत सदूचनाएं न तो साझा की जाएंगी और न ही सार्वजनिक रू्प से प्रकाशित । सरकार के सिर ्पर इन आंकड़ों का विशलेरण करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी ।
्पशुओं के चर्म उकेरना सवीकार करके अस्पृशय हिन्दू बनना तो सवीकार कर लिया ्पर इसलाम को ्पदूरी तरह से ठुकरा दिया । तब्तटश काल के दौरान 1935 में गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एकट के अधीन आर्डर ऑफ़ कौंसिल के सरकारी आदेश में ्पहली बार डिप्रेसि कलास यानी दलित जाति श्् का प्रयोग हुआ और अनुसदूतचि वर्ग के हिन्ुओं की 429 अनुसदूतचि जातियों की सदूची के रु्प में जारी किया गया । वही सदूची आज वर्तमान समय में 1208 अनुसदूतचि जातियों के नाम से देखी जा सकती है । जाति के नाम ्पर कांग्ेस ने उठाया फायदा सविंत्िा के बाद देश में ्पहली सरकार कांग्ेस की बनी और सत्ा चलाने की जिममे्ारी जवाहरलाल नेहरू जी ने ली । ्पर नेहरू को जिस समय सत्ा मिली , उस समय उनके मन-मसषिक में पश्चिमी देशों ्पर आधारित एवं उनहीं की तरह देश को बनाने की मानसिकता थी । कांग्ेस नेता के रू्प में त्पछड़ी एवं दलित
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